कैसे रखें स्वस्थ हृदय - How To Keep Healthy Heart

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कैसे रखें स्वस्थ हृदय
(How To Keep Healthy Heart)

शरीर के लिए स्वस्थ हृदय का होना बहुत जरूरी होता है, (It is very important for the body to have a healthy heart so there should be no negligence) इसलिए इसके प्रति लापरवाही नहीं होनी चाहिए। सिगरेट, तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इससे सिर्फ कैंसर ही नहीं, बल्कि कई तरह की खतरनाक दिल की बीमारियां भी होती है। तंबाकू के कारण धमनियों में रक्त के थक्के बना देता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। युवाओं में हाई ब्लड प्रेशर की एक गंभीर समस्या बनती जा रही है और इसमें तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। देर रात तक जागना और वसायुक्त खाने के साथ सिगरेट और शराब तेजी से ब्लड प्रेशर रोगियों की संख्या को बढ़ा रहे हैं। 

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शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रक्त को अंगों तक ले जाने के लिए हमारे शरीर में धमनियां (आर्टरीज या रक्तवाहिकाएं) हैं। इन्हीं धमनियों में बहकर रक्त और ऑक्सीजन हमारे अंगों तक पहुंचते हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर इन धमनियों में एक तरह का पदार्थ जमा होने लगता है जिसे प्लाक कहते हैं। धमनियों में प्लाक के जमने से खून बहने का रास्ता संकरा होता जाता है। दिल की बीमारियों का सबसे बड़ा कारण धमनियों में जमा प्लाक है। ये प्लाक ज्यादा फैट वाले भोजन और गलत जीवनशैली के कारण जमा होता है। 

धमनियों यानी आर्टरीज में जमा होने वाले इस प्लाक के कारण धमनियां बंद (ब्लॉक) हो जाती हैं और आपके हृदय तक खून नहीं पहुंच पाता है, जिससे हार्ट अटैक आ जाता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल से हृदय रोगों और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। दवाएं आपके कोलेस्ट्रॉल को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं। लेकिन अगर आप पहले अपने कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करके इसे नियंत्रित कर सकते हैं। सर्दियों के मौसम में गर्मियों की तुलना में हार्ट अटैक के मामले अधिक बढ़ जाते हैं। यह दौर बुजुर्गों के लिए बहुत ज्यादा संवेदनशील होता है। इस मौसम में यदि शरीर में कुछ भी अलग बदलाव दिखे तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

आयुर्वेद कैसे स्वस्थ स्वास्थ्य बनता है (How Ayurveda Becomes Healthy Health)

पाचन शक्ति (Digestion Power): अधपचा-भोजन शरीर में जहरीले अम्ल का निर्माण करता है जो कि हृदय संबंधित बीमारियों का कारण बनता है। (Half-eaten food creates toxic acids in the body that cause heart related diseases) स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए सुपाच्य, नियमित और संतुलित भोजन का होना जरूरी होता है। स्वस्थ हृदय के लिए उपवास भी फायदेमंद होता है क्योंकि इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है जो हार्ट संबंधी परेशानियों का प्रमुख कारण है। हृदय हमारे जीवन का आधार है। मानव शरीर की सभी प्रमुख रक्त वाहिनियां मनुष्य के हृदय से पूरे शरीर में रक्त का संचार करती हैं। शरीर में प्राणों के संचार की प्रक्रिया भी हृदय से शुरू होकर हृदय पर ही आकर खत्म होती है। यही कारण है कि हृदय को प्राणवाहक स्रोत के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। हृदय शरीर के तीन महत्वपूर्ण अंगों में से एक माना गया है। हृदय कई प्रकार के जीव द्रव्यों का निर्माता भी है और विभिन्न द्रव्यों जैसे धातु, तंतु, ऊर्जा, अपशिष्ट और प्राणवायु (जीवन वायु) के शरीर में संचरण और संचलन के लिए जिम्मेदार हैं।

तांबे के बर्तन का पानी (Copper pot water): एक तांबे के बर्तन में रात भर रखा हुआ बासी पानी हृदय को मजबूती प्रदान करता है।

शहद, गुड़ से फायदे (Benefits of honey, jaggery): शक्कर के स्थान पर शहद और गुड़ लेने से दिल हेल्दी रहता है। 

आंवला स्वास्थ्य के लाभकारी (Amla health benefits): हृदय के लिए आंवला बहुत ही लाभकारी औषधि है। यह फल, सूखे और पिसे किसी भी रूप में लिया जा सकता है। 

तेल-मालिश (Oil massage): हफ्ते में एक बार तेल से या बिना तेल के सिर की मालिश फायदेमंद होती है। सप्ताह में एक बार शरीर की मालिश भी अच्छा विकल्प है। 

आयुर्वेद का स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण योगदान  (Important Contribution Of Ayurveda To Health)

कमजोर पाचन शक्ति (Weak digestive power): चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान, हृदय और पाचनशक्ति को कमजोर कर देते हैं। इसे छोड़ देना चाहिए। 

रुद्राक्ष के फायदे  (Benefits of Rudraksha): रुद्राक्ष का हृदय पर लाभकारी प्रभाव होता है। इसे माला के रूप में गले में पहना जा सकता है। रुद्राक्ष को पानी में भिगोकर सुबह-सुबह पानी लेना चाहिए।

अर्जुन जड़ी बूटी का महत्व (Importance of arjuna herb): अर्जुन जड़ीबूडी हृदय संबंधी समस्या्ओं को दूर करने में सक्षम है। 

ब्राह्मी औषधि के लाभ (Benefits of Brahmi medicine): ब्राह्मी औषधि दिमाग को शांत रखने वाली औषधि है। इससे न सिर्फ दिमाग तेज होता है और याद्दाश्त बढ़ती है।

अपने दिल को कैसे स्वस्थ रखें  (How To Keep Your Heart Healthy)

जटामांसी से मजबूत इम्यून सिस्टम होता है (Jatamansi has a strong immune system): जटामांसी से न सिर्फ  इम्यून सिस्टम मजबूत होता है बल्कि यह हृदय को स्वस्थ रखने में भी कारगार है। यह दिल की धड़कन और मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने में लाभकारी है। 

गुडूची के फायदे (Benefits of Guduchi): गुडूची उच्च रक्तचाप और ब्लड सरकुलेशन को नियंत्रित करता है। इतना ही नहीं ये दीघार्यु के लिए भी लाभकारी है। 

पूर्णानवा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी (Poornava beneficial for health): पूर्णानवा त्वचा को खूबसुरत और हेल्दी बनाने के साथ ही किडनी को ठीक करने में कारगार है। यह मोटापे को दूर करने, मधुमेह को नियंत्रित करने और हृदय रोगों को दूर करने में भी लाभकारी है। 

यष्टिमधु के  कार्य (Works of yashtimadhu): येस्टीमधु हृदय को मजबूत करने, रक्त से कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा घटाने और ह्दयाघात की संभावना को कम करता है। 

कुटकी का प्रयोग (Use of a Kutki ): कुटकी हृदय संबंधी समस्याओं और बीमारियों को दूर करता है। हृदय की घड़कन में भी सुधार लाता है। 

स्वस्थ हृदय के लिए जरूरी है (Essential For A Healthy Heart)

• हर दिन लंबी वॉक पर जायें। 
• हर दिन बहुत नहीं, सिर्फ थोड़ी मात्रा में ड्राइफ्रूट्स जरूर खायें। 
• हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। 
• कोशिश करें कि 6-8 घंटे की नींद लें।
• फास्ट-फूड से दूर रहें। 
• भोजन में अधिक चिकनाई का प्रयोग न करें। 
• ज्यादा देर तक बैठे न रहें। 
• जितना हो सके तनाव से दूर रहें। 

हार्ट ब्लॉकेज की संभावना कम (Less Chance Of Heart Blockage)

हार्ट ब्लॉकेज में कोलेस्ट्रॉल की भूमिका (Role of Cholesterol in Heart Blockage): ज्यादा कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol) से हार्ट ब्लोकेज का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन हमेशा कोलेस्ट्रॉल के कारण ऐसा नहीं होता है। कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है।  (Cholesterol is of two types.) अच्छा कोलेस्ट्रॉल (Good cholesterol) और बेकार कोलेस्ट्रॉल। (Bad cholesterol) शरीर को विटामिन डी पैदा करने में, कोशिका झिल्ली के निर्माण में और फैट को अवशोषित करने वाले एसिड का निर्माण करने में कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद के अनुसार ज्यादा तनाव, खाने पर ध्यान नहीं देना, व्यायाम नहीं करना आदि कारणों से शरीर में ए एम ए (टॉक्सिन) इकट्ठा हो जाता है। यह ए एन ए धमनियों में जाकर उन्हें ब्लॉक करता है।

अर्जुन वृक्ष की छाल (Arjun Chaal): हार्ट से जुड़ी बीमारियों जैसे कि हाइ कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, आर्टरी में ब्लोकेज और कोरोनरी आर्टरी डीजीज के इलाज में यह कारगर है। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियमित रखता है और दिल को मजबूत करता है। बेकार कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में इस औषधि का इस्तेमाल होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसका इस्तेमाल हार्ट ब्लोकेज में किया जा सकता है। इसकी छाल में प्राकृतिक ओक्सिडाइजिंग तत्व होते हैं।

दालचीनी (Cinnamon): हार्ट ब्लोकेज में काम आने वाली यह एक बढ़िया औषधि है। यह बेकार कोलेस्ट्रॉल को शरीर से कम करती है और हार्ट को मजबूती प्रदान करती है, इसमें भी ओक्सिडाइजिंग तत्व होते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से सांस की तकलीफ दूर होती ही और दिल की बीमारियाँ कम होती हैं।

अलसी के बीज (Flaxseed seeds): फ्लक्स सीड्स यानि कि अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड की अधिकता होती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड से ए एम ए कम होता है और दिल स्वस्थ रहता है।

लहसुन (Garlic): विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का गुण होता है यह हार्ट को सुरक्षा प्रदान करता है। लहसुन के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है।

इलायची (Cardamom): हृदय के साथ-साथ कई प्रकार से स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।

मिर्च का पाउडर (Chili Powder): खाने में काम आने के अलावा मिर्च का स्वस्थ-स्वास्थ्य में अपना अहम योगदान होता है। इसकी सही मात्रा के इस्तेमाल से रुधिर कोशिकाओं से गंदगी हटती है और दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।

अश्वगंधा (Ashwagandha): यह औषधि भी दिल की बीमारियों के इलाज में कारगर सिद्ध है। इस प्राकृतिक औषधि में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इन्फ्लामेट्री, एंटी-ट्यूमर, हेमोपोइथिक और रिजुवनेशन तत्व होते हैं। यह तनाव को दूर करने में मददगार है। इससे दिल को कोशिकाओं को मजबूती मिलती है और दिल की बीमारियाँ दूर रहती है।

स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए योग अहम (Yoga Is Important For Good Health)

मानसिक तनाव (Mental stress): हृदय रोगों का एक सामान्य कारण मानसिक तनाव होता है, (One common cause of heart diseases is mental stress) जिसे योग और प्राणायाम के नियमित अभ्यास से कम किया जा सकता है। ध्यान वैज्ञानिक रूप से हृदय रोगों की रोकथाम में सक्षम पाया गया है।

ताड़ासन (Tadasana): यह हृदय को मजबूती के साथ-साथ शरीर में लचीलेपन को बढ़ाता है।

वृक्षासन (Vrikshasana): वृक्षासन मन को शांत एवं संतुलित करता है। शांत मन के लिए यह मुद्रा लाभदायक है। इससे हृदय की कार्य-प्रणाली सक्षम बनती है।

ऊथिताहस्तपादासन (Utthita Hastapadasana): इस मुद्रा में संतुलन बनाए रखने के लिए अधिक ध्यान एवं शक्ति की जरुरत होती है।

त्रिकोणासन (Trikonasana): यह खड़े रहकर की जाने वाली हृदय को खोलने वाली मुद्रा है। यह मुद्रा हृदयवाहिनी तन्त्र को लाभ पहुँचाती है। गहरी साँस लेने से छाती का फैलाव होता है एवं सामर्थ्य में बढ़ोतरी होती है।

वीरभद्रासन (Veerabhadrasana): शरीर में संतुलन को बेहतर करता है। यह तनाव को कम करने एवं मन को शांत करने के साथ साथ हृदय गति को भी नियंत्रित करता है।

उत्कटासन (Utkatasana): इस मुद्रा से हृदय गति में बढ़ोतरी के साथ-साथ ऊष्मा-शक्ति मिलती है।

मार्जारीआसन (Marjariasana): यह मुद्रा कुर्सी आसन के बाद बेहद आरामदायक प्रतीत होती है क्योंकि इससे हृदयगति फिर से सामान्य हो जाती है।

अधोमुखोस्वानआसन (Adho Mukho Svanasana): यह मुद्रा विश्राम के लिए आरामदायक होती है जिससे तंत्रिकाओं को शांति व् ऊर्जा मिलती है।

भुजंगासन (Bhujangasana): यह मुद्रा छाती के फैलाव को बढ़ाती है और इससे शक्ति-सामर्थ्य को बल मिलता है।

धनुरासन (Dhanurasana): पूरे शरीर में गहरा खिंचाव प्रदान करने वाला धनुरासन हृदय क्षेत्र को मजबूती देता है।

सेतुबंधासन (Setu Bandhasana): यह मुद्रा गहरी साँस लेने में मदद करता है, छाती के हिस्से में फैलाव एवं रक्त संचार को बढ़ाता हैै।

सालंब सर्वांगासन (Salamba Sarvangasana): कंधो के सहारे खड़े होने पर यह परानुकमपी तन्त्रिका तन्त्र को उतेजित करता है और छाती में फैलाव लाता है।

अर्धमत्सेन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana): बैठे हुए रीढ़ को आधा मोड़ना पूरे मेरुदंड के लिए काफी लाभदायक है।

पश्चिमोतानासन (Paschimottanasana): बैठकर आगे की ओर झुकने से सिर हृदय से नीचे आ जाता है, जिससे हृदयगति एवं स्वसनगति में कमी आने से विश्राम मिलता है।

दंडासन (Dandasana): इस मुद्रा में पीठ को मजबूती मिलती है।

अर्धपिंचमयूरासन (Dolphin pose): इससे सामर्थ्य में बढ़ोतरी होती है एवं शरीर के ऊपरी भाग को मजबूती मिलती है।

मकर अधोमुखशवासन (Dolphin Plank pose): हृदय की पम्पिंग नियमित होती है।

सालंब भुजंगासन (Salamba Sarvangaana): इसमें रीढ़ की हड्डी थोड़ी से मुड़ती है जिससे छाती खुलती है व् फेफड़ों और कन्धों में खिंचाव होता है।

शवासन (Shavasana): सम्पूर्ण स्वास्थय के लिए अति लाभदायक होता है।

अंजुली मुद्रा (Anjali Mudra): यह मुद्रा हृदय को खोलने, मस्तिष्क को शांत रखने के साथ ही तनाव एवं व्याकुलता को कम करती है। 

आयुर्वेद लाइफस्टाइल बीमारियों से रखे दूर-Ayurveda Lifestyle Keep Away From Diseases