(Mercury (Budh Grah) makes Rajyog)
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम।
सौम्यं सौम्य गुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम।।ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय् नम: ।
ॐ त्रैलोक्य मोहनाय विद्महे स्मरजन काय धीमहि तन्नो विणु: प्रचोदयात्।
बुध ग्रह को सबसे उत्तम ग्रह माना जाता है, इसे राजयोग ग्रह भी कहा गया है। कन्या तथा मिथुन राशि का स्वामी होता है हरे रंग का स्वामी, रत्न पन्ना, धातु कांस्य या पीतल। यह बुद्धि, वाणी में मधुरता, तेज, सौन्दर्य का प्रतीक होता है। बुध ग्रह बुद्धि और व्यवसाय से सम्बंधित है अगर किसी भी मनुष्य का बुध ग्रह अच्छी स्थति में है तो मनुष्य अत्यन्त प्रभावशाली हो जाता है। इसके साथ-साथ वह जो भी कहता है ऐसा ही होने की सम्भावना बढ़ जाती है और अन्त में मुहं से निकला शब्द सत्य हो जाता है। बुध ग्रह मनुष्य के जीवन खुशहाली तथा प्रसन्नता का प्रतीक है और इसकी कृपा दृष्टि से व्यवसाय में अत्यधिक वृद्धि होती है। बुध देव जी नेे भगवान विष्णु की कठिन तपस्या करके समस्त सिद्धियों की प्राप्ती हुई।
गुरू और शिष्य में स्त्री के लिए घोर युद्ध
(A fierce battle for a woman in a guru & disciple)
गुरू वृहस्पति चन्द्रमा के गुरू थे और गुरू की पत्नी तारा के सौन्दर्य से चन्द्रमा अत्यन्त प्रभावित हुये और उन्होंने उनसे विवाह का प्रस्ताव दिया। तारा ने विवाह का प्रस्ताव को ठुकरा दिया इससे चन्द्रमा अत्यन्त क्रोधित होकरतारा का हरण किया। तदपश्चात तारा के गर्भ में बुद्धदेव की जन्म प्रक्रिया शुरू हो गई थी जिसके कारण गुरू वृहस्पति के वापस बुलाने पर तारा ने मना कर दिया इससे गुरू वृहस्पति अत्यन्त क्रोधित हुये। चन्द्रमा तथा वृहस्पति के बीच घोर युद्ध आरम्भ हुआ, इस युद्ध में दैत्य गुरू शुक्राचार्य ने चन्द्रमा का साथ दिया।
देवताअें ने गुरू वृहस्पति का साथ दिया इस युद्ध के परिणाम को लेकर ब्रहमा जी को सृष्टि की चिन्ता होने लगी।उन्होंने तारा को समझाकर गुरू वृहस्पति के पास भेज दिया इस बीच तारा ने सुन्दर बालक को जन्म दिया।बृहस्पति और चन्द्र दोनों ही बालक को अपना पुत्र बताने लगे। समय के साथ बड़े होकर एक दिन स्वयं बुद्ध ने माता को सत्य बताने के लिए बाध्य किया और तारा ने चन्द्रमा को उनका पिता बताया। यह सुनकर बुध को अपने जीवन पर क्रोध होने लगा और पाप मुक्ति के लिए उन्होंने हिमालय पर्वत में भगवान विष्णु की कठोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया। भगवान विष्णु ने दर्शन देकर उन्हें वैदिक विधाएं एवं सभी कलाओं का वरदान दिया और वृहस्पति बुध के पालनकर्ता होने के साथ-साथ उनके पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
कथा सुनाओ, सबको बताओ, निश्चित बुध की कृपा पाए
(Tell the story, tell everyone, Grace certain Mercury)
एक आदमी अपनी पत्नी को लेकर अपने ससुराल गया। कुछ दिनों तक वहां रहने के बाद उसने अपनी पत्नी को विदा करने के लिए अपने विचार व्यक्त किये, परन्तु सास और ससुर दोनों ने भी अपने विचार व्यक्त किये कि आज बुधवार है, प्रस्थान के लिए ठीक नही है। यह सब सुनने के बाद भी वह अपनी पत्नी को लेकर चल पड़ा।चलते-चलते उसकी पत्नी को प्यास लगी और उसने अनुरोध किया मुझे पानी पीना है। उसका पति पानी ले जाता है और वापस आते देखता है कि उसकी शक्ल और भेष-भूषा वाला व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा है। यह देखकर उसे क्रोध आया और पूछने लगा कौन हो तुम, तब वह बोला यह मेरी पत्नी है अभी-अभी ससुराल से लाया हूं। दोनों व्यक्ति आपस में लड़ने-झगड़ने लगे इतने में राज्य के सिपाही वहां पहुंच गये।
स्त्री से पूछने लगे तुम्हारा पति इनमें से कौन है स्त्री चुप ही रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे। इतने में व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि हे प्रभु सत्य का फैसला कीजिये तभी आकशवाणी हुई मूर्ख बुधवार को प्रस्थान नहीं करना था। यह सब बुध देव की लीला है तब उसने बुध देव से प्रार्थना और अपनी गल्ती के लिए क्षमा मांगी। और पति-पत्नी ने घर पहुंचने के बाद नियमानुसार बुधवार का व्रत करने लगे। बुध की कृपा से हर तरफ सुख-समृद्धि का माहौल स्वयं स्थापित हो गया। जो भी मनुष्य बुध ग्रह की विधिवत कथा तथा इसके उपाय करता है। उस पर बुध वार प्रस्थान का कोई भी दोष नही लगता है।
बुध ग्रह सब सुखों के लिए ब्रह्मास्त्र है
(Mercury is the Brahmastra for all happiness)
सभी प्रकार के सुखों की कामना के लिए बुध्रवार का व्रत करना चाहिए और इस दिन हरी वस्तुओं का उपयोग करना अति लाभकारी होता है इस दिन भगवान शिव की पूजा बेल-पत्र इत्यादि से करना अति लाभकारी होता है।
बुध ग्रह के प्रकोप से मनुष्य को इन स्थितियों का सामना करना पड़ता है
(Humans have to face these conditions due to the outbreak of the planet Mercury)
(Humans have to face these conditions due to the outbreak of the planet Mercury)
त्वचा, मुंह, जिवा, नाक, कान, गर्दन, खुजली, एलर्जी, शरीर पर दाग, दाने, धब्बे, चेचक, पित्त, कफ, सिर दर्द, मानसिक शक्ति क्षीण, सूँघने की शक्ति क्षीण, स्मरण शक्ति क्षीण इत्यादि सम्बंधी स्थितियों का सामना करना पड़ता सकता है।
बुध ग्रह से निजात पाने के लिए ऐसा कीजिये
(Do this to get rid of Mercury)
यह उपाय करने से जीवन का महत्व ही बदल जाता है हर प्रकार से सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण स्वतः ही बन जाता है।
यह उपाय करने से जीवन का महत्व ही बदल जाता है हर प्रकार से सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण स्वतः ही बन जाता है।
- प्रतिदिन सुबह सूरज निकलते ही सूर्य देवता को जल अर्पित करें ।
- प्रत्येक बुधवार को माँ जगदम्बा को हरे फल जोड़े में या हरी सब्बजी अर्पित करें।
- प्रतिदिन तुलसी के पत्तों का किसी भी प्रकार से सेवन करें।
- शिवालाय में गायत्री मंत्र का जाप करें। प्रत्येक बुधवार श्री गणेश जी को लड्डू अर्पित करें।
- गौ सेवा करने से बुधदेव अत्यधिक प्रसन्न होते है।
- बुध ग्रह के कमजोर होने से व्यापार और नौकरी भारी क्षति होती है।
- प्रत्येक बुधवार को गौ माता को हरा घास दें ऐसा करने से अत्यन्त लाभकारी फल प्राप्त होता है।
- प्रत्येक बुधवार को हरे वस्त्र धारण कीजिये।
- अपने खाने में से कुछ हिस्सा गाय, कुत्ता, कौवें के लिए जरूर निकाल दें।
- प्रत्येक बुधवार को चन्दन का प्रयोग अपने गले, माथे, सीने पर कीजिये ।
- किन्नरों का हरी सड़ी दान करें या उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें ऐसा करने से बुध की कृपा बनी रहती है।
- दुर्गा कवच, दुर्गा स्तुति का पाठ प्रत्येक बुधवार को करें।
- बुधवार को खाने में हरी सब्जी या मिर्च का प्रयोग करें।
(How define Budh Graha)
प्रथम भाव- विनोदप्रिय, हंसमुख, सामाजिक, आजीविका से निश्चिंत, ससुराल या संतान की ओर से चिंतित।
उपाय- हरे रंग और शालियों से यथासंभव दूर रहें।, अंडा, मांस और मदिरा का सेवन न करें।, घूम फिर कर करने वाले व्यापार से एक ही स्थान पर बैठ कर करने वाला व्यापार अच्छा और फायदेमंद रहेगा, नशा न करें।
द्वितीय भाव- लेखन कार्य, व्यापार से आमदनी, उभरा हुआ मस्तिष्क, शत्रुओं से हानि।
उपाय- नाक में छेद करवाएं।, जुआ न खेलें, अंडे, मांस और शराब से बचें, शालियों से संबंध हानिकारक होंगे, भेड़, बकरी, और तोता पालना सख्त वर्जित है।
तृतीय भाव- धनी, डॉक्टर, संतान का फल उत्तम, कभी-कभी बाधाएं।
उपाय- पक्षियों की सेवा करें। दांत हमेशा साफ रखें, हर रोज फिटकिरी से अपने दाँत साफ करें, बकरी दान करें, दक्षिण्मुखी घर में न रहें, अस्थमा की दवाएं वितरित करें।
चतुर्थ भाव- माता का सुख, राजकीय सम्मान धनी।
उपाय- पीले कपड़े पहनें, केसर का तिलक लगाएं, स्वर्ण पहनें, मानसिक शांति के लिए चांदी की चेन पहने और धन-संपत्ति पाने के लिए सोने की चेन पहनें, माथे पर 43 दिनों के लिए नियमित रूप से केसर का तिलक लागाएं, बंदरों को गुड खिलाएं और उनकी सेवा करें।
पंचम भाव- सृजनात्मक व वाणी संबंधित कार्यों में ओजस्विता, न्यायप्रियता, ज्योतिष में रुचि व प्रवीणता, अशुभ स्थिति में परिवारजनों की चिंता।
उपाय- गले में तांबे के छेद वाला गोल सिक्का धारण करें, धन प्राप्त करने के लिए सफेद धागे में तांबे का एक सिक्का पहनें, पत्नी की प्रसन्न्ता और अच्छी किस्मत लिए गायों की सेवा करें, गोमुखी घर अत्यधिक शुभ साबित होगा जबकि शेरमुखी घर अत्यधिक विनाशकारी साबित होगा।
षष्ठम भाव- ईमानदार, उच्च श्रेणी का वक्ता, प्रबुद्ध व्याख्या, तर्कशास्त्र में निपुण, लेखन कार्य में कुशलता।
उपाय- शुभ कार्य के समय लड़की, कन्या या बकरी की सेवा करें। घर का द्वार उत्तर दिशा की ओर न रखें। चांदी धारण करें, कृषि भूमि में गंगा जल से भरा बोतल दफनाएं, अपनी पत्नी के बाएं हाथ में चांदी की एक अंगूठी पहनांए, किसी भी महत्वपूर्ण काम की शुरुआत किसी कन्या या बेटियों की उपस्थिति में करें अथवा हाँथ में फूल लेकर करना शुभ रहेगा।
सप्तम भाव- सलाह-मशविरा में तेज, मार्गदर्शक, कलम में तेजी, जो कि विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदलने-सा प्रभाव दे। व्यापारी।
उपाय- साझेदारी के व्यापार से बचें, सट्टेबाजी से बचें, खराब चरित्र वाली साली से सम्बन्ध न रखें। पन्ना धारण करें।
अष्टम भाव- दांत का रोगी, बहन, बुआ इत्यादि को कोई कष्ट, बातचीत तथा स्वभाव में कर्कश।
उपाय- दुर्गा पूजा करें। मूंग साबुत का यथाशक्ति दान करें। नाक में चांदी का छल्ला धारण करें, छत पर बारिश का पानी रखें।
नवम भाव- अपने से ज्यादा परिवार की चिंता करने वाला, प्राध्यापक, 35 वर्ष के बाद पूर्ण सफलता। अशुभ राशि में होने पर हरा रंग नुकसानदायक।
उपाय- लोहे की लाल रंग की गोली अपने पास रखें, हरे रंग के प्रयोग से बचें, अपनी नाक छिदवायें, किसी मिट्टी के बर्तन में मशरूम भरकर धार्मिक जगह दान करें, किसी साधु या फ़कीर से कोई ताबीज़ न लें।
दशम भाव- नीतिगत या ठेकेदारी के कार्य में संलग्न।
उपाय- शराब, मांस, अंडे और बहुत अधिक भोजन खाने से बचें, चावल और दूध धार्मिक स्थानों में दान करें, शाकाहारी बनें।
एकादश भाव- उच्च कुल में विवाह। 34 वर्ष के बाद अचानक सफलता एवं उन्नति।
उपाय- बुध को और अधिक शुभ करने के लिए पीला वस्त्र, केसर का तिलक तथा स्वर्ण का उपयोग करें। गले में तांबे का पैसा धारण करें, गर्दन में किसी सफेद धागे या चांदी की चेन में तांबे का गोल सिक्का पहनें, अपने घर में विधवा बहन या बुआ को न रखें। हरे रंग और पन्ना रत्न से बचें, साधु या फ़कीर की दी हुई ताबीज़ न लें।
द्वादश भाव- व्ययकारी, रोगी, कन्या, बहन, मौसी तथा बुआ इत्यादि को कोई कष्ट संभव।
उपाय- माथे पर केसर का तिलक लगाएं, कम बोलें, नदी में एक नया खाली घड़ा फेंकें, स्टेनलेस स्टील की एक अंगूठी पहनें, केसर का तिलक लगाएं और धार्मिक स्थानों पर जाएँ, किसी भी नए या महत्वपूर्ण काम को शुरू करने से पहले किसी अन्य व्यक्ति की सलाह लें। कुत्ता पालें, स्वर्ण धारण करें।
बुध ग्रह के प्रभाव
(Effects of Budh Graha)
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन
- जुए-सट्टे के कारण धन की बड़ी हानि
- दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी
- सिर दर्द के कारण अधिक तनाव की स्थिति
समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए