सौभाग्य का प्रतीक सिन्दूर
सिंदूर से क्यों प्रसन्न होते है बजरंगबली
(Why is Bajrangbali happy with vermilion)
भगवान शिव ने 12 रूद्र अवतार लिए हैं इनमें से हनुमान अवतार को श्रेष्ठ माना गया है। हनुमान भगवान शिव के अवतार है और वह अपनी माता के श्राप को दूर करने के लिए अवतरित हुये। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। उस समय सभी देवताओं ने अलग-अलग रूप में भगवान राम की सेवा करने के लिए अवतरित हुये। उसी समय भगवान शंकर ने भी अपना रूद्र अवतार लिया और इसके पीछे वजह थी कि उनको भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त हुआ था। हनुमान उनके ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं। इस रूप में भगवान शंकर ने राम की सेवा के साथ-साथ रावण वध में अपना योगदान दिया।
एक बार हनुमान जी ने माता सीता को मांग मैं सिंदूर लगाते हुए देखा तो हनुमान जी ने इसका कारण पूछा। तब माता सीता ने उन्हें बताया कि इससे भगवान राम की आयु बढ़ेगी। जब हनुमान ने यह सुना तो उन्होंने सोचा कि जब मांग में सिंदूर भरने से भगवान राम की आयु बढ़ती है तो क्यों न पूरे शरीर में ही सिंदूर लगा लिया जाए। हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर केसरिया रूप धारण कर लिया। तब से यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और आज भी हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए मूर्ति पर सिंदूर का लेप लगाया जाता है।
(Why did God Shriram have to use Brahmastra on his biggest devotee Hanuman?)
भगवान श्री राम जब अयोध्या के राजा बने तो नारद मुनि ने हनुमान जी से ऋषि विश्वामित्र के सिवाय सभी साधुओं और ऋषियों से मिलने को कहा क्योंकि विश्वामित्र कभी महान राजा हुआ करते थे। हनुमान ने इसका पालन किया लेकिन इससे विश्वामित्र को कोई फर्क नहीं पड़ा। तब कपट से नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और उन्हें हनुमान के खिलाफ बातें की जिसके कारण विश्वामित्र हनुमान पर बेहद गुस्सा हो गए। उन्होंने भगवान श्रीराम से हनुमान जी को मौत की सजा देने के लिए कहा। राम अपने गुरु विश्वामित्र की बात टाल नहीं सकते थे इसी कारण उन्होंने हनुमान जी को मृत्युदंड देने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। हनुमान राम का नाम जपते रहे और उन पर ब्रह्मास्त्र का कुछ असर नही हुआ। भगवान श्री राम को अपने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा का पालन करना ही था इसलिए श्रीराम ने हनुमान पर फिर ब्रहमास्त्र चलाया। हनुमान जी लगातार राम नाम का जप कर रहे और ब्रह्मास्त्र का उन पर फिर कोई असर नही हुआ। यह सब देखकर नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और उन्हें अपनी भूल स्वीकार करने को कहा।
(Pleased with Hanumanji Devotion of Rama's)
भगवान राम के गुरु विश्वामित्र के निर्देशानुसार भगवान राम को राजा ययाति को मारना था। राजा ययाति ने हनुमान से शरण मांगी। हनुमान ने राजा ययाति को वचन दे दिया। हनुमान ने किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाए भगवान राम का नाम जपना शुरू कर दिया। राम ने जितने भी बाण चलाए सब बेअसर रहे। विश्वामित्र हनुमान की श्रद्धाभक्ति देखकर हैरान रह गए और भगवान राम को इस धर्मसंकट से मुक्ति दिलाई।
सिंदूर का लेप करते समय इस मंत्र उच्चारण करें
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।