महाशक्तिशाली माँ बगलामुखी-Mahashaktishali Maa Baglamukhi

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महाशक्तिशाली माँ बगलामुखी-महाशक्तिशाली माँ बगलामुखी 
(Mahashaktishali Maa Baglamukhi)

दस विद्याओं में आठवीं विद्या माता बगलामुखी की है इन्हें माँ पीताम्बरा भी कहते हैं। यह महाशक्तिशाली है समस्त ब्रह्माण्ड की सारी शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती है। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय प्राप्ति के लिए इनकी उपासना अति उपयोगी मानी जाती है। इसके लिए दस हजार से एक लाख मंत्र का जाप करना उचित माना गया है। शत्रुओ को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली तथा समिष्टि रूप में परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला है। पिताम्बराविद्या के नाम विख्यात बगलामुखी की साधना शत्रुभय से मुक्ति और वाकसिद्धि के लिये की जाती है। इनकी उपासना में हल्दी की माला पीले फूल और पीले वस्त्रो का विधान है। माहविद्याओ में इन का स्थान आठवाँ है। दाहिने हाथ में एक गदा दूसरे हाथ से राक्षस की जीभ बाहर खींच हुई विद्ययमान है।

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प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। 1. काली 2. तारा 3. षोड़षी 4. भुवनेश्वरी 5. छिन्नमस्ता 6. त्रिपुर भैरवी 7. धूमावती 8. बगलामुखी 9. मातंगी 10. कमला। माँ भगवती श्री बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। 

माँ बगलामुखी हर प्राणियों का दुःख दूर करती है

सतयुग में सम्पूर्ण जगत को नष्ट करने वाला भयंकर तूफान आया। प्राणियो के जीवन पर संकट को देख कर भगवन विष्णु चिंतित हो गये। वे सौराष्ट्र देश में हरिद्रा सरोवर के समीप जाकर भगवती को प्रसन्न करने के लिये तप करने लगे। श्रीविद्या ने उस सरोवर से बगलामुखी रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिये और विध्वंसकारी तूफान का तुरंत स्तम्भन कर दिया। बगलामुखी महाविद्या भगवन विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी है। मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में इसका प्रादुर्भाव हुआ था। श्री बगलामुखी को ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। 

हर बला दूर करती है-माँ बगलामुखी

साधना आरम्भ करने से पहले शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नए ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ करते है। पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त करते है। माँ बगलामुखी की आराधना के लिए जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर उत्तर की तरफ मुँह करके बैठकर करना चाहिए। 

माँ बगलामुखी की भक्ति से इस प्रकार से लाभ होते है

1) अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती है।
2) माँ बगुलामुखी की भक्ति से इनकी शुभ दृष्टि हमेशा रहती है।
3) माँ बगुलामुखी की आराधना से जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं।
4) माँ बगलामुखी दुष्टों का संहार करती है।
5) तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर भागती है।
6) माँ बगलामुखी यंत्र मुकदमों में सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
7) इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है।
8) बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।
9) पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें।
10) नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें।
11) कपूर से देवी की आरती करें।
12) आटे के तीन दिये बनाएं व देसी घी डाल कर जलाएं। 

ऐसा करने से हर प्रकार का भय दूर होता है 

किसी भी परिस्थिति में डर दूर करने के लिए इस भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए। 
ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हरः
ऊँ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधां नाशय नाशय

साधना और सावधानियाँ

पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
एक समय भोजन करना चाहिए।
बाल नहीं कटवाए चाहिए।
मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात सुबह तक होना चाहिए।
दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लेना चाहिए।
साधना अकेले में, मंदिर में बैठकर की जानी चाहिए।

सिद्धी के लिए विधि 

साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाना चाहिए। हो सके तो इसे ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करवाना चाहिए। 
अस्य: श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि। 
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे।
श्री बगलामुखी दैवतायै नमो हृदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। 
स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

आवाहन

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके
इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

ध्यान-साधना

अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करके मंत्रों का जाप करें।
मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्न वेद्यां,
सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,
पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं
देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,
वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,
गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।।

दस महाविद्या शक्तियां-Das Mahavidya