अदरक, दालचीनी और हल्दी मिलाकर बनी चाय पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है और अनेक बीमारियों को दूर करता है। 400 ml पानी, 2 चम्मच हल्दी, एक छोटा सा दालचीनी का टुकड़ा और 2 चम्मच पिसे हुए अदरक का रस। यह चाय सुबह के समय में खाली पेट लेनी है। ऐसे ही रात को सोने से पहले इस प्राकृतिक चाय का सेवन कर सकते हैं। यदि वजन जरूरत से अधिक हो गया हो तो आप इस प्राकृतिक चाय को सुबह उठने के बाद सेवन करें। ऐसा करने से शरीर की चर्बी घटेगी और बिना मेहनत के आप अपना वजन आसानी से घटा सकते हैं।
प्राकृतिक चाय-डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, एसिड, सूजन के लिए (Natural tea for diabetes, high blood pressure, migraine, acid, inflammation): डायबिटीज के रोगियों को प्राकृतिक चाय का सेवन जरूर करना चाहिए। यह चाय शुगर के स्तर को नियंत्रित करती है। जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या है वह इस हर्बल चाय को जरूर पीएं। क्योंकि यह चाय सबसे पहले माइग्रेन से होने वाले सिर के दर्द को ठीक करती है। पेट में अपच व गैस की समस्या को दूर करती है यह पेट के एसिड को कम करती है। जिसकी वजह से आप अपच से होने वाले रोगों से बचते हो। हर्बल चाय शरीर को अंदर से साफ करती है। यानि शरीर को डिटॉक्स करती है। जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। इन सभी बीमारियों के अलावा भी यह हर्बल चाय शरीर की सूजन, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, पीसीओडी और गैस एसिडिटी आदि कई जानलेवा बीमारियों को खत्म कर देती है।
बिना दूध-चीनी की प्राकृतिक चाय पीजिए (Drink natural tea without milk and sugar)
अदरक : अदरक एक जड़ी-बूटी भी है, और पाचन-तंत्र, सूजन, शरीर के दर्द, सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों में अदरक के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। यह हृदय रोग, रक्त विकार, बवासीर आदि रोगों में भी अदरक के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। भूख की कमी, बदहजमी, वात-पित्त दोष आदि में अदरक के औषधीय गुण के फायदे होते हैं। घाव, पथरी, बुखार, एनीमिया और मूत्र रोग में भी अदरक से लाभ होत हैं। अदरक को सूखी अवस्था में सोंठ कहते हैं। प्राचीन ग्रन्थों में अदरक का उल्लेख पाया जाता है। अदरक का पौधा कई वर्षों तक जीवित रहता है।
दालचीनी : तेज पत्ता एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसकी पत्तियों और तेल का उपयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है। कैंसर और गैस के इलाज के लिए तेज पत्ते का उपयोग किया जाता है। यह पित्त प्रवाह को उत्तेजित करता है जो पसीने का कारण बनता है। तेजपात मसाले के रुप में अति प्रचलित है। दालचीनी के रुप में इसकी छाल तथा सूखी पत्तियां गरम मसाले में प्रयोग होती है। यह एक तरह का गर्म मसाला है, जिसका उपयोग खाने में खुशबू तथा स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। तेज पत्ते में काफी मात्रा में कॉपर, पौटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम और आयरन पाया जाता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। अपच, गले के रोग तथा कफ निस्सारक औषधियों का यह मुख्य अवयव है। तेज पत्ता एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है और इसमें शरीर के कई रोगों का उपचार है। सदियों से तेज पत्ता को राजा-महाराजाओं के मुकुट के अंदर लगाया जाता था ताकि वे तनाव से दूर रहें और तेज पत्ता में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण के कारण उनके सिर में होने वाली समस्या भी दूर होती थी। इसकी पत्तियों और तेल का उपयोग गैस कम करने और जोड़ों का दर्द कम करने के लिए किया जाता है।
अपनाएं आयुर्वेद लाइफस्टाइल (Adopt ayurveda lifestyle in hindi)
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