मंगल दोष मिट जाता है- Mangal Dosh Mit Jata Hai

Share:


भौम प्रदोष व्रत
(Bhaum Pradosh Vrat)

हर माह के कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। अतः मंगलवार को प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत की पूजा त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल के समय की जाती है। रात्रि के प्रथम प्रहर को यानी कि सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। साथ ही जिस दिन प्रदोष काल होता है उस दिन के नाम से प्रदोष का नाम रखा जाता है। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष के व्रत का बहुत माहात्म्य है। ऐसा विश्वास है कि इस व्रत को रखने से महादेव प्रसन्न होते है। मंगल दोष शांत होता है और दरिद्रता का नाश होता है। 

मंगल दोष मिट जाता है Mangal Dosh Mit Jata Hai in hindi, Mangal Dosh in hindi, mangal ke upay in hindi, Mangal Grah Upay in hindi, mangal dosh nivaran ke upay in hindi, manglik dosh ke upay in hindi, Manglik Dosha kya hai hindi, Manglik Mangal Dosha Effects and Remedies in hindi, mangal dosha check in hindi, Bhaum Pradosh Vrat Pooja in hindi in hindi, Bhaum Pradosh Vrat Katha in hindi in hindi, Bhaum Pradosh Vrat Katha Ka Mahatva in hindi in, bhaum pradosh vrat hindi, manglik dosh kab khatam hota hai in hindi, manglik ladki ki shadi ki age in hindi, manglik dosh kab khatam hota hai in hindi, manglik dosh kab hota hai in hindi, manglik dosh kaise pata chalta hai in hindi, mangal dosh kaya hota hai in hindi, mangal kaise hota hai in hindi, mangal dosh ke barein mein hindi, mangal dosh ka upay in hindi, sakshambano, sakshambano ka uddeshya, latest viral post of sakshambano website, sakshambano pdf hindi,

प्रदोष व्रत की कथा भी काफी पुण्य फल देने वाली मानी जाती है। जिस तरह हर महीने के दोनों पक्षों में एक-एक बार एकादशी का होता है ठीक उसी प्रकार त्रयोदशी को प्रदोष का व्रत रखा जाता है। यदि इन तिथियों को सोमवार हो तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं और यदि मंगलवार हो तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं और शनिवार हो तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। विशेष कर सोमवार, मंगलवार एवं शनिवार के प्रदोष व्रत अत्याधिक प्रभावकारी माने गये हैं। प्रदोष व्रत से शिव जी अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस व्रत के करने से वह दोष खंडित हो जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की हर दिन की पूजा से अलग-अलग दोष खंडित होते हैं। इस दिन व्रत करने से सर्व कामना की सिद्धि प्राप्त होती है। 

मंगल का सीधा संबंध कर्ज से है, अतः भौम प्रदोष व्रत कर्ज से मुक्ति पाने के लिये बहुत ही श्रेष्ठ है। इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलेगा। मंगलवार को मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही हैं। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। कोई कार्य सीखन है तो इस योग में शुरुआत करें। पुराणों के अनुसार माना जात है कि इस अवधि के बीच भगवान शिव कैलाश पर्वत में प्रसन्न होकर नृत्य करते है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

पौराणिक व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)

प्राचीन समय में एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी। एक बार हनुमानजी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची। हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- कोई हनुमान भक्त जो हमारी इच्छा पूर्ण करे। पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज। साधु बोले- मैं भूखा हूँ भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई। हाथ जोड़कर बोली- महाराज लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें मैं अवश्य पूर्ण करूंगी। 

साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के पास भेजा। साधु ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दुखी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले। इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ। लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व (Bhaum Pradosh Vrat Katha Ka Mahatva)

भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष का अर्थ है त्रयोदशी तिथि। मंगलवार यानी त्रयोदशी तिथि होने से इसको भौम दोष कहा जाता है। इस दिन शिव जी और हनुमान जी दोनों की पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव जी की उपासना करने से हर दोष का नाश होता है वहीं हनुमान जी की पूजा करने से शत्रु बाधा शांत होती है और कर्ज से छुटकारा मिलता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन उपवास करने से गोदान के बराबर फल मिलता है और उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

भौम प्रदोष व्रत पूजा (Bhaum Pradosh Vrat Pooja)

प्रदोष व्रत में प्रसाद, फूलमाला, फल, विल्वपत्र आदि लाकर यदि संभव हो तो पति-पत्नी एक साथ बैठकर शिव जी का पूजन करें। ईशान कोण में शिव जी की स्थापना करें। कुश के आसन पर बैठकर शिव जी के मन्त्रों का जाप करें। यदि मंत्र का ज्ञान ना हो तो ऊँ नमः शिवाय का उच्चारण करते हुए पूजन करें। पूजन के उपरांत शुद्ध सात्विक आहार ग्रहण करें। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी दिन मंगल दोष की समस्या से मुक्ति के लिए शाम को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सुन्दरकाण्ड का पाठ करके उनसे मंगल दोष की समाप्ति की प्रार्थना करें। 

भौम प्रदोष पर प्रातःकाल लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए। उनको लाल फूलों की माला चढ़ाकर दीपक जलायें और गुड़ का भोग लगायें।  ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोषव्रत के दिन शिवपूजा के बाद एक्राग होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती।

समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To Get Rid Of All Problems)