बुध ग्रह को सबसे उत्तम ग्रह माना जाता है, इसे राजयोग ग्रह भी कहा गया है। कन्या तथा मिथुन राशि का स्वामी होता है हरे रंग का स्वामी, रत्न पन्ना, धातु कांस्य या पीतल। यह बुद्धि, वाणी में मधुरता, तेज, सौन्दर्य का प्रतीक होता है। बुध ग्रह बुद्धि और व्यवसाय से सम्बंधित है अगर किसी भी मनुष्य का बुध ग्रह अच्छी स्थति में है तो मनुष्य अत्यन्त प्रभावशाली हो जाता है। इसके साथ-साथ वह जो भी कहता है ऐसा ही होने की सम्भावना बढ़ जाती है और अन्त में मुहं से निकला शब्द सत्य हो जाता है। बुध ग्रह मनुष्य के जीवन खुशहाली तथा प्रसन्नता का प्रतीक है और इसकी कृपा दृष्टि से व्यवसाय में अत्यधिक वृद्धि होती है। बुध देव जी नेे भगवान विष्णु की कठिन तपस्या करके समस्त सिद्धियों की प्राप्ती हुई।
बुध ग्रह बुद्धि और व्यवसाय से सम्बंधित है
बुध ग्रह से निजात पाने के लिए ऐसा कीजिये (Do this to get rid of Mercury)
• शिवालाय में गायत्री मंत्र का जाप करें। प्रत्येक बुधवार श्री गणेश जी को लड्डू अर्पित करें।
• गौ सेवा करने से बुधदेव अत्यधिक प्रसन्न होते है।
• बुध ग्रह के कमजोर होने से व्यापार और नौकरी भारी क्षति होती है।
• प्रत्येक बुधवार को गौ माता को हरा घास दें ऐसा करने से अत्यन्त लाभकारी फल प्राप्त होता है।
• प्रत्येक बुधवार को हरे वस्त्र धारण कीजिये।
• अपने खाने में से कुछ हिस्सा गाय, कुत्ता, कौवें के लिए जरूर निकाल दें।
• प्रत्येक बुधवार को चन्दन का प्रयोग अपने गले, माथे, सीने पर कीजिये ।
• किन्नरों का हरी सड़ी दान करें या उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें ऐसा करने से बुध की कृपा बनी रहती है।
• दुर्गा कवच, दुर्गा स्तुति का पाठ प्रत्येक बुधवार को करें।
• बुधवार को खाने में हरी सब्जी या मिर्च का प्रयोग करें।
बुद्ध ग्रह कैसे परिभाषित करते हैं (How define Budh Graha)
प्रथम भाव- विनोदप्रिय, हंसमुख, सामाजिक, आजीविका से निश्चिंत, ससुराल या संतान की ओर से चिंतित।
उपाय- हरे रंग और शालियों से यथासंभव दूर रहें।, अंडा, मांस और मदिरा का सेवन न करें।, घूम फिर कर करने वाले व्यापार से एक ही स्थान पर बैठ कर करने वाला व्यापार अच्छा और फायदेमंद रहेगा, नशा न करें।
द्वितीय भाव- लेखन कार्य, व्यापार से आमदनी, उभरा हुआ मस्तिष्क, शत्रुओं से हानि।
उपाय- नाक में छेद करवाएं।, जुआ न खेलें, अंडे, मांस और शराब से बचें, शालियों से संबंध हानिकारक होंगे, भेड़, बकरी, और तोता पालना सख्त वर्जित है।
तृतीय भाव- धनी, डॉक्टर, संतान का फल उत्तम, कभी-कभी बाधाएं।
उपाय- पक्षियों की सेवा करें। दांत हमेशा साफ रखें, हर रोज फिटकिरी से अपने दाँत साफ करें, बकरी दान करें, दक्षिण्मुखी घर में न रहें, अस्थमा की दवाएं वितरित करें।
चतुर्थ भाव- माता का सुख, राजकीय सम्मान धनी।
उपाय- पीले कपड़े पहनें, केसर का तिलक लगाएं, स्वर्ण पहनें, मानसिक शांति के लिए चांदी की चेन पहने और धन-संपत्ति पाने के लिए सोने की चेन पहनें, माथे पर 43 दिनों के लिए नियमित रूप से केसर का तिलक लागाएं, बंदरों को गुड खिलाएं और उनकी सेवा करें।
पंचम भाव- सृजनात्मक व वाणी संबंधित कार्यों में ओजस्विता, न्यायप्रियता, ज्योतिष में रुचि व प्रवीणता, अशुभ स्थिति में परिवारजनों की चिंता।
उपाय- गले में तांबे के छेद वाला गोल सिक्का धारण करें, धन प्राप्त करने के लिए सफेद धागे में तांबे का एक सिक्का पहनें, पत्नी की प्रसन्न्ता और अच्छी किस्मत लिए गायों की सेवा करें, गोमुखी घर अत्यधिक शुभ साबित होगा जबकि शेरमुखी घर अत्यधिक विनाशकारी साबित होगा।
षष्ठम भाव- ईमानदार, उच्च श्रेणी का वक्ता, प्रबुद्ध व्याख्या, तर्कशास्त्र में निपुण, लेखन कार्य में कुशलता।
उपाय- शुभ कार्य के समय लड़की, कन्या या बकरी की सेवा करें। घर का द्वार उत्तर दिशा की ओर न रखें। चांदी धारण करें, कृषि भूमि में गंगा जल से भरा बोतल दफनाएं, अपनी पत्नी के बाएं हाथ में चांदी की एक अंगूठी पहनांए, किसी भी महत्वपूर्ण काम की शुरुआत किसी कन्या या बेटियों की उपस्थिति में करें अथवा हाँथ में फूल लेकर करना शुभ रहेगा।
सप्तम भाव- सलाह-मशविरा में तेज, मार्गदर्शक, कलम में तेजी, जो कि विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदलने-सा प्रभाव दे। व्यापारी।
उपाय- साझेदारी के व्यापार से बचें, सट्टेबाजी से बचें, खराब चरित्र वाली साली से सम्बन्ध न रखें। पन्ना धारण करें।
अष्टम भाव- दांत का रोगी, बहन, बुआ इत्यादि को कोई कष्ट, बातचीत तथा स्वभाव में कर्कश।
उपाय- दुर्गा पूजा करें। मूंग साबुत का यथाशक्ति दान करें। नाक में चांदी का छल्ला धारण करें, छत पर बारिश का पानी रखें।
नवम भाव- अपने से ज्यादा परिवार की चिंता करने वाला, प्राध्यापक, 35 वर्ष के बाद पूर्ण सफलता। अशुभ राशि में होने पर हरा रंग नुकसानदायक।
उपाय- लोहे की लाल रंग की गोली अपने पास रखें, हरे रंग के प्रयोग से बचें, अपनी नाक छिदवायें, किसी मिट्टी के बर्तन में मशरूम भरकर धार्मिक जगह दान करें, किसी साधु या फ़कीर से कोई ताबीज़ न लें।
दशम भाव- नीतिगत या ठेकेदारी के कार्य में संलग्न।
उपाय- शराब, मांस, अंडे और बहुत अधिक भोजन खाने से बचें, चावल और दूध धार्मिक स्थानों में दान करें, शाकाहारी बनें।
एकादश भाव- उच्च कुल में विवाह। 34 वर्ष के बाद अचानक सफलता एवं उन्नति।
उपाय- बुध को और अधिक शुभ करने के लिए पीला वस्त्र, केसर का तिलक तथा स्वर्ण का उपयोग करें। गले में तांबे का पैसा धारण करें, गर्दन में किसी सफेद धागे या चांदी की चेन में तांबे का गोल सिक्का पहनें, अपने घर में विधवा बहन या बुआ को न रखें। हरे रंग और पन्ना रत्न से बचें, साधु या फ़कीर की दी हुई ताबीज़ न लें।
द्वादश भाव- व्ययकारी, रोगी, कन्या, बहन, मौसी तथा बुआ इत्यादि को कोई कष्ट संभव।
उपाय- माथे पर केसर का तिलक लगाएं, कम बोलें, नदी में एक नया खाली घड़ा फेंकें, स्टेनलेस स्टील की एक अंगूठी पहनें, केसर का तिलक लगाएं और धार्मिक स्थानों पर जाएँ, किसी भी नए या महत्वपूर्ण काम को शुरू करने से पहले किसी अन्य व्यक्ति की सलाह लें। कुत्ता पालें, स्वर्ण धारण करें।
बुध ग्रह के प्रभाव (Effects of Budh Graha)
• दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी
• सिर दर्द के कारण अधिक तनाव की स्थिति