अगर कोई भी मनुष्य भगवान शिव की पूजा विधिवत् और नियमित रूप से करता है तो उस पर किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं आता। चाहे उस पर कोई भी दशा या योग बन रहा हो या किसी भी ग्रह का प्रकोप महाकाल शिव के भक्त के समीप कभी नही आता। वह अपने सम्पूर्ण जीवन में सुख की प्राप्ति करता है और अंतः काल में बैकुण्ठ धाम की भी प्राप्ति होती है।

कष्ट निवारण के लिए भगवान शिव और गायत्री की पूजा सबसे उत्तम है (Lord Shiva and Gayatri worship are the best for troubleshooting): भगवान शिव का साक्षात रूप ही महाकाल और भगवान शिव को सबसे अधिक प्रसन्न करने वाली शक्ति, गायत्री ही महाकाली है। गायत्री माता को वेदमाता अर्थात् संस्कृति की जननी भी कहा गया है। सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। ब्रहमाण्ड इन पाँच तत्वों वायु, जल, पृथ्वी, प्रकाश और आकाश से बना है। गायत्री माता को पंचमुखी माना गाया है। ब्रहमाण्ड में जितने भी प्राणी है उनका शरीर इन्हीं पाँच तत्वों से मिलकर बना है। प्रत्येक प्राणी के अन्दर गायत्री माता प्राण शक्ति के रूप में विद्यमान है। धर्म शास्त्रों अनुसार ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष दशमी को माँ गायत्री की उत्पत्ति हुई है। इसी दिन को हम सभी गायत्री जयन्ती के रूप में मनाते है।
कालसर्प अर्थात् राहु और केतु की छाया (Kaal Sarp Rahu-Ketu ka samadhan): जब से मनुष्य की उत्पत्ति हुई तब से ही इन ग्रहों की दृष्टि मनुष्य के जीवन में लगातार बनी रहती है।यह मनुष्य के पूरे जीवन तक चलती है। इन ग्रहों की उत्पत्ति देवताओं के द्वारा अमृतपान की वजह से हुई।भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राहू का सिर धड़ से अलग कर दिया। प्रतिशोध के प्रकोप से सूर्य चन्द्रमा के साथ-साथ देवता भी नही बच सके। यही से इसकी प्रक्रिया चली आ रही है।
सर्प योग योग के लिए जरूरी जानकारी (Important information for Sarp Yoga): इसके नाम से ही ज्ञात होता है, कालसर्प अर्थात राहु नक्षत्र के देवता यम और यमराज (काल)। केतू नक्षत्र के देवता सर्प है, राहू ग्रह की समानता शनि ग्रह जैसी होती है, इसलिए इसका प्रकोप भी अति हानिकारक होता है। अपने मनुष्य जीवन को रोगमुक्त तथा भयमुक्त करने के लिए कुछ उपाय जरूरी है, इसका उपाय विधिवत् करना चाहिए।
शिव की ऐसी विधिवत् पूजा से दूर होंगे सारे प्रकोप (All troubles will go away by worshipping Shiva in this proper manner): हर सोमवार के दिन शिवलिंग में इनमें से कोइ भी वस्तु अर्पित कर सकते है, जैसे चमेली के फूल, धतुरा, बेल पत्र 5, 11, 21, यह सब शुभ संख्या है। दूध, दही, लस्सी, चावल, गेहू, तिल, इत्र अर्पित करने से और गायत्री मन्त्र का निरन्तर जप करने से जन्म कुण्डली में काल सर्प, पितृदोष, राहू-केतू के आगमन तथा शनि की क्रूर दृष्टि अथवा साढ़ेसाती का कुप्रभाव स्वतः चला जाता है।
पति-पत्नी में झगड़ा, प्रेमी-प्रेमिका में अनबन, गृह क्लेश को दूर करता है (Eliminates quarrels between husband and wife, differences between lovers, and domestic troubles): अगर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति जिसमें मोरपंखी मुकुट धारण किये हो, घर स्थापित करके प्रतिदिन ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय या ऊँ नमो वासुदेवाय कृष्णाय नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करने ऐसी स्थिति कभी नही आती। कालसर्प योग के प्रकोप को दूर करता है।
कालसर्प योग से कारण (Reasons behind Kalsarp Yoga): अगर व्यवसाय तथा रोजगार संबंधी समस्या आ रही है, तो शिव परिवार की पूजा नियमित करे।
नाग भक्ति से प्रसन्न होते भगवान शिव (Lord Shiva is pleased with Naag Bhakti)
2) नाग पंचमी के दिन बहते पानी में नारियल विसर्जन कीजिए।
3) नाग पंचमी के दिन इस मंत्र का उच्चारण कीजिये ऊं कुरूकुल्ये हुं फट् स्वाहा।
4) नाग पंचमी के दिन नागराजा की सुन्दर पुष्प तथा चन्दन से पूजा कीजिये।
5) नाग पंचमी के दिन महामृत्युंजय का पाठ करे।
6) कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति के लिए शिवरात्रि का दिन अति फालदायक होता है।
कालसर्प का योग विभिन्न प्रकार से बनता है (Kaalsarp is made of various types)
बस थोड़ा ध्यान देना है इसके निवारण के लिए और विधिवत् उपाय करना है।
3) अन्नत कालसर्प योग- Anat kaalsarp yog
4) पातक कालसर्प योग- Patak kaalsarp yog
5) वासुकि कालसर्प योग- Vasuki kaalsarp yog
6) कुलिक कालसर्प योग - Kulik kaalsarp yog
7) पदम कालसर्प योग- Padam kaalsarp yog
8) महापदम कालसर्प योग- Mahapadam kaalsarp yog
9) शेषनाग कालसर्प योग- Sheshanag kaalsarp yog
10) शंखनाद कालसर्प योग- Shankhanad kaalsarp yog
11) कर्कोटक कालसर्प योग- Karkotak kaalsarp yog
12) विषाक्त कालसर्प योग- Vishaakt kaalsarp yog
कालसर्प योग का प्रकोप सभी व्यक्तियों के लिए एक समान नही होता। यह तो राहू और केतू की दिशा पर निर्भर करता है, इसकी स्थति ठीक होने पर मनुष्य को धन की प्राप्ति भी करवाता है।
कालसर्प योग होने के बावजूद इन व्यक्तियों को हर क्षेत्र में कामयाबी मिलती है (Despite having Kaalsarp Yoga, these people get success in every field): किसी भी मनुष्य की कुण्डली में अगर राहू उच्च राशि जैसे वृष और मिथुन में होता है तो उसे हर क्षेत्र में कामयाबी प्राप्त होती है। अगर जन्म कुण्डली में गुरू और चन्द्रमा एक दूसरे से केन्द्र में हो अथवा एक ही स्थान पर हो। इसके कारण उस व्यक्ति की उन्नति निश्चित है।
पीढ़ादायक कारण (Painful Reason): अगर किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में राहू का यह योग बन रहा है- छठा, आठवां और बारहवां भाव बुरे फल देने की श्रेणी में होते है, उस व्यक्ति को विधिवत उपाय करने चाहिए।
राहू और केतू से पीड़ित व्यक्ति आने वाले सूर्य ग्रहण को उपरोक्त बताये गये उपायों के अनुसार विधिवत् पूजा या हवन की अति आवश्यकता है, इससे जीवन में राहू और केतू की छाया से मुक्ति मिलेगी ।
समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)
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