काल भैरव दुष्टों का संहार करता है- Kaal Bhairav destruction of evil

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काल भैरव दुष्टों का संहार करता है
(Kaal Bhairav destruction of evil) 

शिवपुराण के अनुसार कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह में भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इस तिथि को काल भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अंधकासुर नामक दैत्य अपने अत्याचार की सारी सीमाएं पार कर रहा था वह घमंड में चूर होकर भगवान शिव के ऊपर आक्रमण कर बैठा। तब उसके संहार के लिए शिव के रुधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई। पुराणों के अनुसार शिव के अपमान-स्वरूप भैरव की उत्पत्ति हुई थी। यह सृष्टि के प्रारंभकाल की बात है। एक बार विष्णु और ब्रह्मा प्रमाद वश अपने को सर्वश्रेष्ट समझकर अहंकार युक्त हो गये। दोनों में ही इस बात को लेकर झगडा होने लगा की सम्पूर्ण ब्राह्मंड का रचयिता कौन है दोनों ही देव अपने को ब्राह्मंड का रचनाकार समझ रहे थे। इस विवाद को काफी समय हो गया तब दोनों देवों ने निर्णय किया की वेद ही सर्वश्रेष्टता निर्धारित करेंगे, उन्होने जब वेदों से पूछा तब चारों वेद ने एक स्वर में कहा-जिनके अन्दर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है, वह अनादि अंनत और अविनाशी तो भगवान शिव ही है। जो निरंतर ओम मंत्र का जाप करते है एवं महाकल्याणकारी है। भगवान शिव ही सम्पूर्ण चराचर जगत के रचयिता है।

वेदों के वचन सुनकर ब्रह्मा जी अत्यधिक क्रोधित हुये और शिव की घोर निंदा करने लगे। उसी समय दिव्यज्योति के रूप में एक बालक उत्पन्न हुआ और वह रुदन करने लगा। ब्रह्मा जी को ऐसा प्रतीत हुआ की ये बालक मेरे क्रोध से उत्पन्न हुआ है तब उन्होने उस बालक को शांत करते हुये वरदान दिया की तुम रुदन रूप में प्रकट हुये हो तुम्हारा नाम रुद्र होगा तथा तुम दुष्टों को उनके पापों की सजा देने वाले होंगे। परमपिता ब्रह्मा के इन वचनों को सुनकर उस बालक ने अत्यंत विकराल और भयंकर अट्टाहस करते हुये ब्रह्मा की गर्दन को अपने हाथ की छोटी उंगली के नाखून से काट दिया और कहा तुमने इस मुहं से शिव निंदा की थी। ब्रह्मा की गर्दन का छेदन होते ही सारा अहं नष्ट हो गया। इसकेे पश्चात ब्रह्मा और विष्णु दोनों शिव की स्तुति करने लगे। 

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह में भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इस तिथि को काल भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।kaal bhairav jayanti in hindi, सक्षमबनो इन हिन्दी में, kaal bhairav photo, कैसे सक्षमबनो इन हिन्दी में? खुद सक्षमबनो हिन्दी में, पहले खुद सक्षमबनो हिन्दी में, एक कदम सक्षमबनो के ओर हिन्दी में, आज से ही सक्षमबनो हिन्दी हिन्दी में,सक्षमबनो के उपाय हिन्दी में, अपनों को भी सक्षमबनो का रास्ता दिखाओं हिन्दी में, सक्षमबनो का ज्ञान पाप्त करों हिन्दी में,सक्षमबनो-सक्षमबनो हिन्दी में, सक्षमबनो इन हिन्दी में, सक्षमबनो इन हिन्दी में, sakshambano in hindi, kaise saksambano sakshambano image, sakshambano photo, sakshambano pdf in hindi, दुष्टों का संहार करता है-काल भैरव, दुष्टों-का-संहार-करता-है-काल-भैरव, shiv ke 19 avatar, shiv avatar, shiv avatar hindi, bhgwan shiv ke avatar, भगवान शिव का काल-भैरव अवतार, काल का भय कैसे ?, हर दुखों का निवारण करता है, दुष्टों का संहार करता है-काल भैरव , दुष्टों-का-संहार-करता-है-काल-भैरव, kaal bhairav, bhairav ke barein mein, kaal bhairav ki image, kaal bhairav jpeg, kaal bhairav photo, kaal bhairav pdf in hindi, kaal bhairav ke barein mein in hindi, kaal bhairav ki pooja in hindi, kaal bhairav pooja se labh in hindi, kaal bhairav ki katha in hindi, shiv ka avatar kaal bhairav in hindi, bhagwan shiv ka kaal bhairav avatar in hindi,

  भगवान शिव का काल-भैरव अवतार  

भगवान महादेव प्रकट हुये और उन्होने दोनों देवों को अभय वरदान दिया तथा भैरव से बोले हे भैरव आपने ब्रह्म हत्या की है जिसका प्रायश्चित आपको करना पडेगा। तीनों लोकों का भ्रमण कर जब आप काशी में प्रवेश करोगे तब ब्रहम हत्या से आपको मुक्ति मिलेगी। भगवान शिव का भैरव अवतार सभी अवतार व रुपों में सर्वाधिक भयानक हैं। भैरव देव अनेक चिंताओं का हरण करने वाले है। पुराणों में कहा गया हैं भोले नाथ शिव रूप में महाकल्याण करते है और भैरव रूप में सहांर व नाश करते है।  कालान्तर में भैरव-उपासना की दो शाखाएं है बटुक भैरव तथा काल भैरव जहां बटुक भैरव अपने भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप है वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचण्ड दंडनायक के रूप में प्रसिद्ध हुए। शिवमहापुराण में भैरव को परमात्मा शंकर का ही पूर्णरूप बताते हुए लिखा गया है:

भैरव: पूर्णरूपोहि शंकरस्य परात्मन:।
मूढास्तेवै न जानन्ति मोहिता:शिवमायया।।

भगवान काल भैरव की जयंती (Bhagwan Kaal Bhairav Jayanti) 

आज मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जा रही है।  मान्यता के अनुसार पूजन से प्रसन्न होकर भगवान काल भैरव सुख और समृद्धि का आशीर्वाद ही नहीं देते हैंए बल्कि व्यक्ति के जीवन से भय और अवसाद का नाश भी करते हैं।  काल भैरव की पूजा से भय और अवसाद का होता है नाश किसी का अहित कराने के लिए ना करें।  

1) काल भैरव को तांत्रिक और योगियों का इष्ट देव कहते है। तंत्र साधक विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करने के लिए भैरो की उपासना करते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भैरव, छाया ग्रह राहु के देवता हैं। इसलिए वे लोग जो राहु से मनोवांछित लाभ पाने के इच्छुक होते है वे भैरो की उपासना करते है। 

2) किसी भी टोने-टोटके का असर नही होता है। इसके अलावा यदि आपके शरीर में किसी प्रेत आत्मा या नकारात्मक ऊर्जा का वास है तो काल भैरव की पूजा से इस समस्या से भी छुटकारा मिलता है।

3) काल भैरव की पूजा सेे शत्रु कभी भी नुकसान नही पहुँचा सकते। उनकी ओर से उत्पन्न की गई बाधाएं अपने आप समाप्त हो जाती है।

4) काल भैरव की पूजा से कचहरी व मुकदमेबाजी से भी निजात मिलती है। यदि श्रद्धा से काल भैरव की पूजा करते है तो सालों से चला आ रहा केस जल्द ही समाप्त जाता है। 

5) काल भैरव की पूजा से जीवन में कभी कठिनाइयां नहीं आती। हर समस्या आसानी से पूर्ण हो जाती है। आगे बढ़ने के लिए आपको पर्याप्त अवसर मिलते है।

6) काल भैरव की पूजा एवं उनके मंत्र के जप से आपकी कुंडली में मौजूद दोष दूर हो होता है यदि भैरव बाबा को कालाष्टमी के दिन काली उड़द व इससे बनी वस्तुए जैसे-इमरती, कचैड़ी, दही बड़े आदि एवं दूध और मेवे से बनी चीजें भोग लगाया जाए तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

7) काल भैरव तंत्र के देवता है इसलिए उन्हें शराब का भी प्रसाद चढ़ाया जाता है। इनकी पूजा करने से लंबे समय से चल रही बीमारी का अंत हो जाता है। 

8) हर महीने कालाष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ती है। मगर कार्तिक माह की कालाष्टमी का सबसे ज्यादा महत्व होता है। यह कार्तिक कृष्ण पक्ष के आठवें दिन पड़ता है। इस दिन को काल भैरव जयंती भी कहते है।

9) काल भैरव को माँ दुर्गा का रक्षक भी माना जाता है। मान्यता है कि देवी दुर्गा के दर्शन के बाद यदि काल भैरव के दर्शन न किए जाए तो तीर्थ यात्रा अधूरी रहती है। 

10) भगवान काल भैरव कुत्ते की सवारी करते हैं। ऐसे में इस दिन यदि आप किसी काले कुत्ते को मीठी रोटी और गुड़ के पुए खिलाते हैं तो आपके जीवन से हर कष्ट और परेशानियां अवश्य दूर हो जाएंगे।

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