भगवान शिव का वृषभ अवतार - Vrishabh Avatar

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भगवान शिव का वृषभ अवतार 
(Bhagwan Shiv ka Vrishabh Avatar)

भगवान शिव की महिमा अपरम्पार है वे सृष्टि के रक्षक और भक्षक दोनों है। भगवान शिव जो भी करते है वह कल्याण के लिये करते है। समय-समय पर सृष्टि के कल्याण के लिये कई अवतार में अवतरित हुए। दानवों के विनाश करने के लिए लिये या फिर विष्णु पुत्रों का संहार करने के लिए वही वृषभ अवतार में अवतरित हुए। समुद्र मंथन से जब अमृत कलश उत्पन्न हुआ तब दैत्यों की नजर से बचाने के लिए श्री हरि विष्णु ने अपनी माया से बहुत सारी अप्सराओं की सर्जना की। दैत्य अप्सराओं को देखते ही उन पर मोहित हो गए और उन्हें उठाकर पाताल लोक ले गए। उन्हें वहाँं बंधी बना कर अमृत कलश को पाने के लिए फिर वापिस आए तब समस्त देवताओं ने अमृतपान कर चुके थे। दैत्यों ने पुनः देवताओं पर आक्रमण कर दिया किन्तु अमृतपान से देवता अमर हो चुके थे। इसलिए दैत्यों को हार का सामना करना पड़ा और स्वयं को सुरक्षित करने के लिए वह पाताल की ओर भागने लगे।

दैत्यों के संहार की मंशा लिए हुए श्री हरि विष्णु उनके पीछे-पीछे पाताल जा पहुँचे और वहाँ उन्होंने समस्त दैत्यों का विनाश कर दिया। समस्त अप्सराएं मुक्त हो गई तब उन्होंने श्री हरि विष्णु को देखा वह उन पर मोहित हो गई तब उन्होंने भगवान शिव से श्री हरि विष्णु को उनका स्वामी बन जाने का वरदान प्राप्त किया। भगवान शिव की इच्छा से श्री हरि विष्णु को अपने सभी धर्मों व कर्तव्यों को भूल अप्सराओं के साथ पाताल लोक में रहने लगे। भगवान श्री हरि विष्णु को अप्सराओं से कुछ पुत्रों की प्राप्ति हुई लेकिन वह पुत्र राक्षसी प्रवृति के थे। अपनी क्रूरता के बल पर श्री हरि विष्णु के इन पुत्रों ने तीनों लोकों में अहाकार मचा दिया। उनके अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव से इस समस्या का समाधान करने का अनुरोध किया। 

भगवान शिव की महिमा अपरम्पार है वे सृष्टि के रक्षक और भक्षक दोनों है। भगवान शिव जो भी करते है वह कल्याण के लिये करते है। समय-समय पर सृष्टि के कल्याण के लिये कई अवतार में अवतरित हुए। दानवों के विनाश करने के लिए लिये या फिर विष्णु पुत्रों का संहार करने के लिए वही वृषभ अवतार में अवतरित हुए। समुद्र मंथन से जब अमृत कलश उत्पन्न हुआ तब दैत्यों की नजर से बचाने के लिए श्री हरि विष्णु ने अपनी माया से बहुत सारी अप्सराओं की सर्जना की। दैत्य अप्सराओं को देखते ही उन पर मोहित हो गए और उन्हें उठाकर पाताल लोक ले गए। उन्हें वहाँं बंधी बना कर अमृत कलश को पाने के लिए फिर वापिस आए तब समस्त देवताओं ने अमृतपान कर चुके थे। दैत्यों ने पुनः देवताओं पर आक्रमण कर दिया किन्तु अमृतपान से देवता अमर हो चुके थे। इसलिए दैत्यों को हार का सामना करना पड़ा और स्वयं को सुरक्षित करने के लिए वह पाताल की ओर भागने लगे।bhagwan shiv ke 19 avatar in hindi, bhagwan shiv ke 19 avatar ke naam in hindi, bhagwan shiv ke 19 avatar ka mahatva in hindi, bhagwan shiv ke 19 avatar kya hai hin hindi, bhagwan shiv ke 19 avatar ki pooja in hindi, bhagwan shiv ke kitne avatar hai in hindi, bhagwan shiv ke kitne roop hai in hindi, bhagwan shiv avatar hai in hindi, shiv-parvti in hindi, shiv kya hai in hindi, bhagwan shiv hi mahakaal hai in hindi, shiv avtar ki utpatti in hindi, संक्षमबनों इन हिन्दी में, संक्षम बनों इन हिन्दी में, sakshambano in hindi, saksham bano in hindi, bhagwan shiv ka vrishabh avtar in hindi, भगवान शिव का वृषभ अवतार  in hindi, भगवान शिव की महिमा अपरम्पार है in hindi, वे सृष्टि के रक्षक और भक्षक दोनों है in hindi,  भगवान शिव जो भी करते है in hindi, वह कल्याण के लिये करते है in hindi, समय-समय पर सृष्टि के कल्याण के लिये in hindi, कई अवतार में अवतरित हुए in hindi,  दानवों के विनाश करने के लिए लिये in hindi, या फिर विष्णु पुत्रों का संहार करने के लिए in hindi, वही वृषभ अवतार में अवतरित हुए in hindi, समुद्र मंथन से जब अमृत कलश उत्पन्न हुआ in hindi,तब दैत्यों की नजर से बचाने के लिए  in hindi, श्री हरि विष्णु ने अपनी माया से बहुत सारी अप्सराओं की सर्जना की in hindi, दैत्य अप्सराओं को देखते ही उन पर मोहित हो गए in hindi, और उन्हें उठाकर पाताल लोक ले गए। उन्हें वहाँ in hindi,  बंधी बना कर अमृत कलश को पाने के लिए फिर वापिस आए in hindi, तब समस्त देवताओं ने अमृतपान कर चुके थे in hindi,  दैत्यों ने पुनः देवताओं पर आक्रमण कर दिया in hindi, किन्तु अमृतपान से देवता अमर हो चुके थे in hindi,  इसलिए दैत्यों को हार का सामना करना पड़ा in hindi, और स्वयं को सुरक्षित करने के लिए वह पाताल की ओर भागने लगे in hindi, दैत्यों के संहार की मंशा लिए हुए in hindi,  श्री हरि विष्णु उनके पीछे-पीछे पाताल जा पहुँचे  in hindi, और वहाँ उन्होंने समस्त दैत्यों का विनाश कर दिया in hindi, समस्त अप्सराएं मुक्त हो गई in hindi, तब उन्होंने श्री हरि विष्णु को देखा in hindi, वह उन पर मोहित हो गई in hindi, तब उन्होंने भगवान शिव से श्री हरि विष्णु को उनका स्वामी बन जाने का वरदान प्राप्त किया in hindi, भगवान शिव की इच्छा से श्री हरि विष्णु को अपने सभी धर्मों व कर्तव्यों को भूल in hindi, अप्सराओं के साथ पाताल लोक में रहने लगे in hindi,  भगवान श्री हरि विष्णु को अप्सराओं से कुछ पुत्रों की प्राप्ति हुई in hindi, लेकिन वह पुत्र राक्षसी प्रवृति के थे in hindi,  अपनी क्रूरता के बल पर श्री हरि विष्णु के इन पुत्रों ने तीनों लोकों में अहाकार मचा दिया in hindi, उनके अत्याचारों से परेशान होकर in hindi, सभी देवतागण भगवान शिव से इस समस्या का समाधान करने का अनुरोध किया in hindi, विष्णु पुत्रों के आतंक से मुक्त करवाने के लिए in hindi,  भगवान शिव एक बैल यानि कि वृषभ के रूप में पाताल लोक पहुंचे in hindi, और वहां जाकर भगवान विष्णु के सभी पुत्रों का संहार कर डाला in hindi, तभी श्री हरि विष्णु आए आपने वंश का सर्वनाश हुआ in hindi, देख वह क्रोद्ध हो उठे in hindi, और भगवान शिव रूपी वृषभ पर आक्रमण कर दिया in hindi, लेकिन उनके सभी वार का भगवान शिव पर कोई प्रभाव नही पड़ा in hindi, भगवान विष्णु शिव के अंश थे इसलिए दोनों में से किसी को हानि हुई in hindi, और न ही कोई लाभ in hindi, अंत में जिन अप्सराओं ने श्री हरि विष्णु को अपने वरदान में बांध रखा था  in hindi, उन्होंने उन्हें मुक्त कर दिया in hindi,  इस घटना के बाद जब श्री हरि विष्णु को इस घटना का बोध हुआ in hindi, तो उन्होंने भगवान शिव की स्तुति की in hindi,  भगवान शिव की इच्छानुसार श्री हरि विष्णु विष्णुलोक लौट गए in hindi,  लेकिन वह अपना सुदर्शन चक्र पाताल लोक में ही छोड़ गए in hindi, तब भगवान शिव द्वारा उन्हें एक और सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुई in hindi, क्यों सक्षमबनो इन हिन्दी में, क्यों सक्षमबनो अच्छा लगता है इन हिन्दी में?, कैसे सक्षमबनो इन हिन्दी में? 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भगवान शिव के अवतार (Bhagwan Shiv Ke Avatars)

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