नाग पंचमी के दिन शिव पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है - Nag Panchami ke din Shiv-Pooja se har manokamna poori hoti hai

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नाग पंचमी के दिन शिव पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है
(Every wish is fulfilled with Shiva worship on the day of Nag Panchami)

हर साल सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कि सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते है। और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है। नाग माँ लक्ष्मी की रक्षा करते है इसलिए धन-समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है। भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए श्रावण मास का अपना विशेष महत्व होता है।

शिव पूजा की पूजा से हर कष्ट दूर (Lord Shiva worship removes every suffering) 

शिव आराधना से शिव और शक्ति दोनो का आर्शीवाद प्राप्त होता है। जो व्यक्ति दुख दद्रिता, निःसंतान और विवाह संयोग से बंचित है अवश्य ही भगवान शिव की अराधना या सोमवार का व्रत रखे। श्रावण माह में सोमवार का विशेष महत्व है। सोमवार चन्द्रमा का दिन है और चन्द्रमा की पूजा भी स्वयं भगवान शिव को स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। क्योंकि चन्द्रमा भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया है। इस महिने शिव पूजा से सभी देवी-देवताओं का आर्शीवाद स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। एक बार महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्रीकृष्ण से नागपंचमी व्रत के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की तब भगवान् श्री कृष्ण ने कहा युधिष्ठर- पंचमी नागों के आनंद को बढ़ाने वाली होती है।  इस दिन वासुकि, तक्षक, कालिक, मणिभद्रक, धृतराष्ट्र, रैवत, कर्कोटक और धनंजय इन सभी नागों को अभय दान व दूध से स्नान कराते है।

हर साल सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कि सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते है। और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है। नाग माँ लक्ष्मी की रक्षा करते है इसलिए धन-समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है। भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए श्रावण मास का अपना विशेष महत्व होता है।सक्षमबनो इन हिन्दी में, sakshambano image, sakshambano ka ddeshya in hindi, sakshambano ke barein mein in hindi, sakshambano ki pahchan in hindi, apne aap sakshambano in hindi, sakshambano blogger in hindi,  sakshambano  png, sakshambano pdf in hindi, sakshambano photo, Ayurveda Lifestyle keep away from diseases in hindi, sakshambano in hindi, sakshambano hum sab in hindi, sakshambano website, adopt ayurveda lifestyle in hindi, to get rid of all problems in hindi, Vitamins are essential for healthy health in hindi in hindi, How can we remove the bad effects of Rahu and Ketu 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 शिव आराधना से शिव और शक्ति दोनो का आर्शीवाद प्राप्त होता है in hindi,  जो व्यक्ति दुख दद्रिता in hindi,  निःसंतान और विवाह संयोग से बंचित है in hindi, अवश्य ही भगवान शिव की अराधना या सोमवार का व्रत रखे in hindi, श्रावण माह में सोमवार का विशेष महत्व है in hindi, सोमवार चन्द्रमा का दिन है और चन्द्रमा की पूजा भी स्वयं भगवान शिव को स्वतः ही प्राप्त हो जाती है in hindi,  क्योंकि चन्द्रमा भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया है in hindi,  इस महिने शिव पूजा से सभी देवी-देवताओं का आर्शीवाद स्वतः ही प्राप्त हो जाता है in hindi, एक बार महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्रीकृष्ण से नागपंचमी व्रत के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की  in hindi, तब भगवान् श्री कृष्ण ने कहा युधिष्ठर- पंचमी नागों के आनंद को बढ़ाने वाली होती है in hindi,  इस दिन वासुकि, तक्षक, कालिक, मणिभद्रक, धृतराष्ट्र, रैवत, कर्कोटक और धनंजय इन सभी नागों को अभय दान व दूध से स्नान कराते है in hindi,  नागपंचमी के दिन नाग पूजा से आध्यात्मिक शक्ति और धन की प्राप्ति होती है in hindi, जिन व्यक्यिों की कुण्डली में विषकन्या या अश्वगंधा का योग बना हो  in hindi, इस तरह के लागों को इस दिन पूजा जरूर करनी चाहिए in hindi, जिनको सांप के सपने आते या फिर सर्प से डर लगता हो in hindi,  ऐसे व्यक्ति को इस दिन नाग की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए in hindi, भगवान शिव का अभिषेश करके उन्हें बेहपत्र और जल चढ़ाने के बाद भगवान शिव के गले में विराजमान नागों की पूजा करनी चाहिए in hindi,  नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल, चने, खील बताशे और जरा सा दूध अर्पित करना चाहिए in hindi, वैदिक संहित के अनुसार नाग पंचमी पर नागों को दूध छिड़कर स्नान कराना चाहिए in hindi,  अपने घर के मुख्य दरवाजे पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं in hindi,  और इसकी पूजा करें in hindi, ऐसा करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है in hindi, और हर कष्ट दूर होते है in hindi,  इसके बाद ऊँ कुरु कुल्ले फट् स्वाहा in hindi,  का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें in hindi, नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें  in hindi, उनकी पूजा भगवान शिव के आभूषण के रूप में ही करें in hindi, कई स्थानों में लोग पूजा स्थान पर गोबर से नाग बनाते है  in hindi, और  दूध, दूब, कुश, चंदन, अक्षत, फूल आदि से पूजा करते है  in hindi, और इस मंत्र का उच्चारण करें in hindi, अनंतं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कंबलं in hindi,  शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा in hindi, एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम् in hindi, सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः in hindi, तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् in hindi,  भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से हर कष्ट दूर होते है in hindi, कालिया नाग ने पूरी यमुना नदी में विष घोल दिया in hindi, जिसके कारण यमुना नदी का पानी पीने से बृजवासी बेहोश होने लगे in hindi, ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना नदी के अंदर बैठे कालिया को बाहर निकालकर उससे युद्ध किया in hindi, युद्ध में कालिया हार गया और यमुना नदी से उसने अपना सारा विष सोख लिया in hindi,  भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर कालिया को वरदान दिया in hindi, और कहा कि सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा in hindi, और सर्पों की पूजा की जाएगी in hindi, इस दिन जो भी व्यक्ति नाग देवता को दूध अर्पित करेगा उसे जीवन में कभी कष्ट नहीं होगा in hindi, ऐसा अशुभ होत है in hindi, नागपंचमी पर भूल कर भी धरती खोदना in hindi, धरती में हल चलाना in hindi, नींव खोदना in hindi, कपड़े सिलना in hindi, साग काटना चाहिए in hindi, जैसे काम नहीं करने चाहिए in hindi, नाग नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और  in hindi, उपवास करने वाला व्यक्ति सांयकाल को भूमि की खुदाई न करे in hindi, नागपंचमी के दिन धरती पर हल नहीं चलना चाहिए in hindi, राहु-केतु का प्रकोप दूर करें in hindi, एक रस्सी में सात गांठें लगाकर उसे सर्प जैसा बना लें  in hindi, और इसे एक आसन पर स्थापित करे in hindi, अब इस पर कच्चा दूध, बताशा in hindi, फूल और जल अर्पित करके धूप जलाए in hindi, अब राहु के मंत्र ऊँ रां राहवे नमः का जाप करें in hindi  फिर केतु के मंत्र ऊँ कें केतवे नमः का जाप करें in hindi, जितनी बार राहु के मंत्र का जाप होगा उतनी ही बार केतु का जाप होना चाहिए in hindi, मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए  in hindi, एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं in hindi,  फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर in hindi,  राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है in hindi, तो वह समस्या दूर हो जाएगी in hindi, सांप के भय मुक्त होता है in hindi, सांप भय मुक्त के लिए चांदी या जस्ते के दो सर्प बनवाएं in hindi, और साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं in hindi, थाली में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए in hindi, और एक दूसरे थाली में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए in hindi,  नागों को कच्चा दूध अर्पितत करें और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें in hindi, फिर दोनों थाल को सामने रखकर ऊँ नागेंद्रहाराय नमः का उच्चारण करें in hindi,  अब नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करेंगे in hindi. स्वास्तिक को गले में धारण करें in hindi, नाग पंचमी की सत्यता, hindi, naag panchmi ki katha in hindi, naag panchmi ka mahatva in hindi, naag panchmi kya hai hindi, naag panchmi kyo manate hai hindi, naag panchmi se kya hota hai in hindi, naag devea ki pooja in hindi, naaraja ki pooja  in  hindi,  नाग पंचमी के दिन शिव पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है in hindi, Shiv ki pooja har kasht door in hindi, Every distress away by shiv pooja  in hindi, Nag Panchami in hindi, Nag Panchami, katha hindi in hindi, Nag Panchami ke bare mein in 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  शिव पूजा से हर मनोकामना पूरी  

नागपंचमी के दिन नाग पूजा से आध्यात्मिक शक्ति और धन की प्राप्ति होती है (On the worship this day, brings spiritual strength and wealth): जिन व्यक्यिों की कुण्डली में विषकन्या या अश्वगंधा का योग बना हो इस तरह के लागों को इस दिन पूजा जरूर करनी चाहिए। जिनको सांप के सपने आते या फिर सर्प से डर लगता हो ऐसे व्यक्ति को इस दिन नाग की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए। भगवान शिव का अभिषेश करके उन्हें बेहपत्र और जल चढ़ाने के बाद भगवान शिव के गले में विराजमान नागों की पूजा करनी चाहिए। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल, चने, खील बताशे और जरा सा दूध अर्पित करना चाहिए। वैदिक संहित के अनुसार नाग पंचमी पर नागों को दूध छिड़कर स्नान कराना चाहिए। अपने घर के मुख्य दरवाजे पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें। ऐसा करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है और हर कष्ट दूर होते है। इसके बाद ऊँ कुरु कुल्ले फट् स्वाहा का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें उनकी पूजा भगवान शिव के आभूषण के रूप में ही करें। कई स्थानों में लोग पूजा स्थान पर गोबर से नाग बनाते है और  दूध, दूब, कुश, चंदन, अक्षत, फूल आदि से पूजा करते है और इस मंत्र का उच्चारण करें।
अनंतं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कंबलं। शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्। सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।। 

भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से हर कष्ट दूर होते है (With the grace of Lord Krishna, every suffering is removed): कालिया नाग ने पूरी यमुना नदी में विष घोल दिया। जिसके कारण यमुना नदी का पानी पीने से बृजवासी बेहोश होने लगे। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना नदी के अंदर बैठे कालिया को बाहर निकालकर उससे युद्ध किया। युद्ध में कालिया हार गया और यमुना नदी से उसने अपना सारा विष सोख लिया। भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर कालिया को वरदान दिया और कहा कि सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा और सर्पों की पूजा की जाएगी। इस दिन जो भी व्यक्ति नाग देवता को दूध अर्पित करेगा उसे जीवन में कभी कष्ट नहीं होगा। 

ऐसा अशुभ होता है (It is inauspicious): नागपंचमी पर भूल कर भी धरती खोदना, धरती में हल चलाना, नींव खोदना या कपड़े सिलना, साग काटना चाहिए जैसे काम नहीं करने चाहिए। नाग नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और उपवास करने वाला व्यक्ति सांयकाल को भूमि की खुदाई न करे। 

राहु-केतु का प्रकोप दूर करें (Remove the bad effects of Rahu-Ketu): एक रस्सी में सात गांठें लगाकर उसे सर्प जैसा बना लें और इसे एक आसन पर स्थापित करे। अब इस पर कच्चा दूध, बताशा, फूल और जल अर्पित करके धूप जलाए। अब राहु के मंत्र ऊँ रां राहवे नमः का जाप करें फिर केतु के मंत्र ऊँ कें केतवे नमः का जाप करें। जितनी बार राहु के मंत्र का जाप होगा उतनी ही बार केतु का जाप होना चाहिए। मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं। फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित करे। राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी। 

सांप के भय मुक्त होता है (Snake fear free): सांप भय मुक्त के लिए चांदी या जस्ते के दो सर्प बनवाएं और साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं। थाली में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए और एक दूसरे थाली में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए। नागों को कच्चा दूध अर्पितत करें और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें फिर दोनों थाल को सामने रखकर ऊँ नागेंद्रहाराय नमः का उच्चारण करें। अब नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करेंगे और स्वास्तिक को गले में धारण करें।

नाग पंचमी की सत्यता (The truth of Nag Panchami) 

एक समय की बात है एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातो पुत्रों का विवाह हो चुका था। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी उच्च चरित्रवान और विदुषी, सुशील थी परंतु उसका कोई भाई नहीं था। एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी डलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगी। तभी वहाँ एक सर्प निकला जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी। यह देखकर छोटी बहू ने उसे रोकते हुए कहा मत मारो इसे? यह सुनकर बड़ी बहू ने उसे नही मारा तब यह सर्प एक ओर जा बैठा। छोटी बहू ने उससे कहा मैं लौटकर आती हूँ तुम यही पर रहना जाना मत। यह कहकर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और वहाँ कामकाज में उलझ गई और अपनी कई बातें भूल गई उसे दूसरे दिन वह बात याद आई तो सब को साथ लेकर वहाँ पहुँची और सर्प को उस स्थान पर बैठा देखकर बोली सर्प भैया नमस्कार! सर्प ने कहा मुझे भैया कह चुकी है इसलिए तुझे छोड़ देता हूँ नहीं तो झूठी बात कहने के कारण तुझे अभी डस लेता। भैया मुझसे भूल हो गई उसकी क्षमा माँगती हूँ, तब सर्प बोला- अच्छा तू आज से मेरी बहन हुई और मैं तेरा भाई हुआ। तुझे जो माँगना हो माँग ले। वह बोली भैया! मेरा कोई नहीं है अच्छा हुआ जो आप मेरा भाई बन गये। कुछ दिन व्यतीत होने पर वह सर्प मनुष्य का रूप धारण कर उसके घर आया और बोला कि मेरी बहिन को भेज दो। तब सबने कहा कि इसका तो कोई भाई नही था तो वह बोला मैं दूर के रिश्ते में इसका भाई हूँ बचपन में बाहर चला गया था। उसके विश्वास दिलाने पर घर के लोगों ने छोटी को उसके साथ भेज दिया। उसने मार्ग में बताया कि मैं वही सर्प हूँ इसलिए तू डरना नहीं और जहां चलने में कठिनाई हो वहाँ मेरी पूंछ पकड़ लेना। इस प्रकार वह उसके घर पहुँच गई। वहाँ के धन-ऐश्वर्य को देखकर वह चकित हो गई।एक दिन सर्प की माता ने उससे कहा -मैं एक काम से बाहर जा रही हूँ तू अपने भाई को ठंडा दूध पिला देना। उसे यह बात ध्यान न रही और उसने गर्म दूध पिला दिया जिसके कारण उसका मुख जल गया। यह देखकर सर्प की माता बहुत क्रोधित हुई। परंतु सर्प के समझाने पर चुप हो गई। तब सर्प ने कहा कि बहन को अब उसके घर भेज देना चाहिए। तब सर्प और उसके पिता ने उसे बहुत सा सोना, चाँदी, जवाहरात, वस्त्र, आभूषण इत्यादि देकर उसके घर पहुँचा दिया। इतना सारा धन देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या से कहा तेरा भाई तो बड़ा धनवान है, तुझे तो उससे और भी धन लाना चाहिए। सर्प ने यह वचन सुना तो सब वस्तुएँ सोने की लाकर दे दी। यह देखकर बड़ी बहू ने कहा इन्हें झाड़ने की झाड़ू भी सोने की होनी चाहिए। तब सर्प ने झाडू भी सोने की लाकर रख दी। सर्प ने छोटी बहू को हीरा-मणियों का एक अद्भुत हार दिया था। उसकी प्रशंसा उस देश की रानी ने भी सुनी और वह राजा से बोली कि सेठ की छोटी बहू का हार यहाँ आना चाहिए। राजा ने मंत्री को हुक्म दिया कि उससे वह हार लेकर शीघ्र उपस्थित हो मंत्री ने सेठजी से जाकर कहा कि महारानी जी-छोटी बहू का हार चाहती है वह उससे लेकर मुझे दे दो। सेठजी ने डर के कारण छोटी बहू से हार मँगाकर दे दिया। छोटी बहू को यह बात बहुत बुरी लगी उसने अपने सर्प भाई को याद किया और आने पर प्रार्थना की भैया! रानी ने हार छीन लिया है। तुम कुछ ऐसा करो कि जब वह हार उसके गले में रहे तब तक के लिए सर्प बन जाए और जब वह मुझे लौटा दे तब हीरों और मणियों का हो जाए। सर्प ने ठीक वैसा ही किया। जैसे ही रानी ने हार पहना वैसे ही वह सर्प बन गया। यह देखकर रानी चीख पड़ी और रोने लगी। यह देख कर राजा ने सेठ के पास खबर भेजी कि छोटी बहू को तुरंत भेजो। सेठजी डर गए कि राजा न जाने क्या करेगा? वे स्वयं छोटी बहू को साथ लेकर उपस्थित हुए। राजा ने छोटी बहू से पूछा- तूने क्या जादू किया है मैं तुझे दण्ड दूँगा। छोटी बहू बोली राजन ! धृष्टता क्षमा कीजिए यह हार ही ऐसा है कि मेरे गले में हीरों और मणियों का रहता है और दूसरे के गले में सर्प बन जाता है। यह सुनकर राजा ने वह सर्प बना हार उसे देकर कहा अभी पहनकर दिखाओ। छोटी बहू ने जैसे ही उसे पहना वैसे ही हीरों-मणियों का हो गया। यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया और उसने प्रसन्न होकर उसे बहुत सी मुद्राएं भी पुरस्कार में दी यह सब लेकर छोटी बहू अपने घर लौट आई। उसके धन को देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या के कारण उसके पति को सिखाया कि छोटी बहू के पास कहीं से धन आया है। यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक-ठीक बता कि यह धन तुझे कौन देता है? तब वह सर्प को याद करने लगी। तब उसी समय सर्प ने प्रकट होकर कहा यदि कोई मेरी धर्म बहन के आचरण पर संदेह प्रकट करेगा तो मैं उसे खा लूँगा। यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन से नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है और स्त्रियाँ सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।

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