ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
शुक्राचार्य द्वारा भगवान शंकर के १०८ नामों का जाप
भगवान शंकर के उदर में शुक्राचार्य ने जिन १०८ मन्त्रों का जाप किया था वह इस प्रकार से है।
१. ॐ जो देवताओं के स्वामी, २. सुर-असुर द्वारा वन्दित, ३. भूत और भविष्य के महान देवता, ४. हरे और पीले नेत्रों से युक्त, ५. महाबली, ६. बुद्धिस्वरूप, ७. बाघम्बर धारण करने वाले, ८. अग्निस्वरूप, ९. त्रिलोकी के उत्पत्तिस्थान, १०. ईश्वर, ११. हर, १२. हरिनेत्र, १३. प्रलयकारी, १४. अग्निस्वरूप, १५. गणेश, १६. लोकपाल, १७. महाभुज, १८. महाहस्त, १९. त्रिशूल धारण करने वाले, २०. बड़ी-बड़ी दाढ़ों वाले, २१. कालस्वरूप, २२. महेश्वर, २३. अविनाशी, २४. कालरूपी, २५. नीलकण्ठ, २६. महोदर, २७. गणाध्यक्ष, २८. सर्वात्मा, २९. सबको उत्पन्न करने वाले, ३०. सर्वव्यापी, ३१. मृत्यु को हटाने वाले, ३२. पारियात्र पर्वत पर उत्तम व्रत धारण करने वाले, ३३. ब्रह्मचारी, ३४. वेदान्तप्रतिपाद्य, ३५. तप की अंतिम सीमा तक पहुंचने वाले, ३६. पशुपति, ३७. विशिष्ट अंगों वाले, ३८. शूलपाणि, ३९. वृषध्वज, ४०. पापापहारी, ४१. जटाधारी, ४२. शिखण्ड धारण करने वाले, ४३. दण्डधारी, ४४. महायशस्वी, ४५. भूतेश्वर, ४६. गुहा में निवास करने वाले, ४७. वीणा और पणव पर ताल लगाने वाले, ४८. अमर, ४९. दर्शनीय, ५०. बालसूर्य के समान रूप वाले, ५१. श्मशानवासी, ५२. ऐश्वर्यशाली, ५३. उमापति, ५४. शत्रुदमन, ५५. भग के नेत्रों को नष्ट कर देने वाले, ५६. पूषा के दांतों के विनाशक, ५७. क्रूरतापूर्वक संहार करने वाले, ५८. पाशधारी, ५९. प्रलयकालरूप, ६०. उल्कामुख, ६१. अग्निकेतु, ६२. मननशील, ६३. प्रकाशमान, ६४. प्रजापति, ६५. ऊपर उठाने वाले, ६६. जीवों को उत्पन्न करने वाले, ६७. तुरीयतत्त्वरूप, ६८. लोकों में सर्वश्रेष्ठ, ६९. वामदेव, ७०. वाणी की चतुरतारूप, ७१. वाममार्ग में भिक्षुरूप, ७२. भिक्षुक, ७३. जटाधारी, ७४. जटिल-दुराराध्य, ७५. इन्द्र के हाथ को स्तम्भित करने वाले, ७६. वसुओं को विजडित कर देने वाले, ७७. यज्ञस्वरूप, ७८. यज्ञकर्ता, ७९. काल, ८०. मेधावी, ८१. मधुकर, ८२. चलने-फिरने वाले, ८३. वनस्पति का आश्रय लेने वाले, ८४. वाजसन नाम से सम्पूर्ण आश्रमों द्वारा पूजित, ८५. जगद्धाता, ८६. जगत्कर्ता, ८७. सर्वान्तर्यामी, ८८. सनातन, ८९. ध्रुव, ९०. धर्माध्यक्ष, ९१. भू:-भुव:, स्व:-इन तीनों लोकों में विचरने वाले, ९२. भूतभावन, ९३. त्रिनेत्र, ९४. बहुरूप, ९५. दस हजार सूर्यों के समान प्रभाशाली, ९६. महादेव, ९७. सब तरह के बाजे बजाने वाले, ९८. सम्पूर्ण बाधाओं से विमुक्त करने वाले, ९९. बन्धनस्वरूप, सबको धारण करने वाले, १००. उत्तम धर्मरूप, १०१. पुष्पदन्त, १०२. विभागरहित, १०३. मुख्यरूप, १०४. सबका हरण करने वाले, १०५. सुवर्ण के समान दीप्त कीर्ति वाले, १०६. मुक्ति के द्वारस्वरूप, १०७. भीम तथा १०८. भीमपराक्रमी हैं, उन्हें नमस्कार है, नमस्कार है।