हर दुखों का निवारण करता है पवित्र श्रावण मास- Har Dukhon Ka Nivaran Karta Hai Pavitr Sharavan Maas

Share:


हर दुखों का निवारण करता है - पवित्र श्रावण मास 
(Relieves every suffering- Holy Shravan Month)

भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए श्रावण मास का अपना विशेष महत्व होता है। शिव आराधना से शिव और शक्ति दोनो का आर्शीवाद प्राप्त होता है। जो व्यक्ति दुख दद्रिता, निःसंतान और विवाह संयोग से बंचित है अवश्य ही भगवान शिव की अराधना या सोमवार का व्रत रखे। श्रावण माह में सोमवार का विशेष महत्व है। सोमवार चन्द्रमा का दिन है और चन्द्रमा की पूजा भी स्वयं भगवान शिव को स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। क्योंकि चन्द्रमा भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया है। इस महिने शिव पूजा से सभी देवी.देवताओं का आर्शीवाद स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।

श्रावण महिने का महत्व विभिन्न प्रकार से है (The importance of Shravan month is different): जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से इस पवित्र महिने के बारे में पूछा। तब भगवान शिव ने बताया कि सती ने अपने शरीर का त्याग करने से पहले शंकर भगवान को हर जन्म में पति के रूप में पाने का संकल्प किया। दूसरे जन्म में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए श्रावण के महिने कठोर व्रत रखा। भगवान शिव इससे अत्यन्त प्रसन्न हुए उन्होने मां पार्वती से विवाह किया, तभी से विवाह की यह प्रथा चली आ रही है।  श्रावण का यह पवित्र महिना भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है, इस महिने शिव पूजा से कुवारी कन्याओं को मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है।

हर दुखों का निवारण करता है पवित्र श्रावण मास Har Dukhon Ka Nivaran Karta Hai Pavitr Sharavan Maas, pavitra sawan month, Shravan Month Shiv Puja, sawan ka mahatva, sawan mein shivling par kya chadhaye, Sawan Ke Upay, Shivling Puja Vidhi, Relieves every suffering holy shravan month  in hindi, sawan ka mahina kya karna chahiye, shravan month shiv puja ka mahatva, sawan month shiv pooja vidhi, this month, Lord Shiva protected the world by poisoning it in hindi, satvic meal should be done this month to get Shiva's grace in hindi,bhagwan shiv dwara nishchit roop se manokamana poorn hoti hai, kaise karein shiv ling ki pooja, aisa kabhi nahi karna, everything is achieved in life, just do something like this, get rid of these diseases, to get rid of all problems in hindi, it is inauspicious in hindi, shiva worship will remove all the troubles in hindi, how to overcome the outbreak of kalsarp in hindi, chanting of Gayatri Mantra removes all troubles in hindi, worship of Shiva does not bring any kind of trouble in hindi, worship of Lord Shiva and Gayatri for relief from suffering in hindi, immerse coconut in running water on the day of Nag Panchami in hindi, worship of nag on the day of Nagpanchami brings power and wealth in hindi, shravan month importance, shravan month ki katha story kahani article pdf in hindi,scientific reason behind shravan month in hindi, what is the significance of the Shraavan month, sawan somvar vrat,sawan somvar vrat katha, wishes are definitely fulfilled by Lord Shiva in hindi, sakshambano, sakshambano ka uddeshya, latest viral post of sakshambano website, sakshambano pdf hindi,


इसी महीने भगवान शिव ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी (This month, Lord Shiva protected the world by poisoning it): विषपान के बाद भगवान शिव का कंठ नीलवर्ण हो गया। विष के प्रभाव को कम करने के लिए तथा शरीर को शीतल रखने के लिए भगवान शिव ने चन्द्रमा को अपने सिर पर धारण किया। अन्य देवी-देवताओं ने जल का अभिषेक करने लगे, यहां तक इन्द्र देव ने जल की वर्षा की ताकि भगवान शिव के शरीर का तापमान को कम किया जाए,  इसलिए श्रावण के महिने अत्यधिक वर्षा होती है जिससे भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न होते है।

राजा बलि (Raja bali): बलि के अंहकार को मिटाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में अवतरित हुए और बलि का उद्धार किया। इसके साथ-साथ राजा बलि को पाताल लोक का राजा बनाया। राज बलि ने भी भगवान विष्णु से ही अपने द्वारपाल बनने का वरदान प्राप्त किया। सृष्टि के पालन कर्ता द्वारपाल बन जाते तो सृष्टि कैसे चलती। इसका मतलब सृष्टि के कार्य में रूकावट इसलिए मां लक्ष्मी नेे इसका समाधान किया और उन्होंने राजा बलि को राखी के बंधन से बांध दिया और साथ ही भाई-बहन का रिस्ता बनाया। इसके साथ-साथ भाई ने भगवान विष्णु को मां लक्ष्मी को दे दिया और उन्हें इस बंधन से मुक्त कर दिया। तब से ही रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है। राजा बलि ने भगवान विष्णु से अनुरोध किया - प्रभु हो सके तो साल में एक वार मुझे अवश्य दर्शन देवें भगवान विष्णु ने इस अनुरोध को स्वीकार किया। इसलिए भगवान विष्णु एकादशी के दिन पाताल लोक में राजा बलि के यहां चार महिने तक पहरा देने जाते हैं। और इन चार महिने तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते है और तभी से श्रावण का पवित्र  मास शुरू होता है। इन चार महिनों तक खाने पीने का विशेष ध्यान देना चाहिए, हरी सब्जियों का से बचना चाहिए, एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान विष्णु का कमल पुष्पों से पूजन करता है  उसे तीनों देवताओं का फल प्राप्त होता है।

शिव की कृपा पाने के लिए इस महीने सात्विक भोजन करना चाहिए (Satvic meal should be done this month to get Shiva's grace): प्याज तथा लहसुन का सेवन नही करना चाहिए। सावन में अगर संभव हो तो दूध का सेवन न करें, इसलिए श्रावण में शिव भगवान का दूध से अभिषेक की परम्परा शुरू हुई । इसके साथ-साथ दूध पित्त रोग को बढ़ाने का काम करता है। मान्यता है कि श्रावण में हरी सब्जी का त्याग करने देने से विशेष पुण्य का फल प्राप्त होता है । इस महिने खाने में बैंगन न ले बैंगन अशुभ माना जाता है, श्रावण में  बैल अगर घर के दरवाजे पर आए तो उसे कुछ खाने को दें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

भगवान शिव द्वारा निश्चित रूप से मनोकामना पूर्ण होती है(Bhagwan Shiv dwara nishchit roop se manokamana poorn hoti hai)

1) पहले सोमवार को भगवान शिव को कच्चे चावल अर्पित करें।
2) दूसरे सोमवार को भगवान शिव को सफेद तिल अर्पित करें
3) तीसरे सोमवार को भगवान शिव को साबत मूग दाल अर्पित करें।
4) चौथे  सोमवार को भगवान शिव को जौ अर्पित करें।
5) पांचवे सोमवार को भगवान शिव को सतुआ अर्पित करें।

कैसे करें शिव लिंग की पूजा (Kaise karein Shiv Ling ki Pooja)

1) शिव भगवान का स्मरण करते हुए ताम्बे के वर्तन में शिव लिंग का जलअभिषेक करें। गंगाजल अति उत्तम है।
2) दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, केसर के मिश्रण से अभिषेक कीजिए।
3) चन्दन लगाइये।
4) मौली, जनेऊ,  वस्त्र अर्पित कर सकते हैं।
5) चावल, तिल, इत्र, पुष्प, धतुरा, बेल पत्र 5, 11, 21, शुभ संख्या है अर्पित करें।

ऐसा कभी नही करना (Aisa kabhi nahi karna)

शिवलिंग पर सिंदूर, हल्दी, लाल रंग के फूल तथा स्त्री सौंदर्य से सम्बंधित समान न अर्पित करें क्योंकि शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक माना जाता है।

जीवन में हर एक चीज़ की प्राप्ति होती है बस कुछ ऐसा कीजिए (Everything is achieved in life, just do something like this)

1) भगवान शिव को चमेली के फूल अर्पित करने से वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
2) भगवान शिव को बेल के फूल अर्पित करने मनचाहा जीवन-साथी मिलता है।
3) भगवान शिव को धतूरे के फूल अर्पित करने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
4) भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से सभी रागों से मुक्ति मिलती है।
5) भगवान शिव को गेहूं अर्पित करने से संतान वृद्धि होती है।
6) शिव को जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
7) भगवान शिव को तिल अर्पित करने से पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
8) भगवान शिव चावल अर्पित करने से धन की प्राप्ति होती है।
9) भगवान शिव को गन्ने का रस अर्पित करने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है।
10) भगवान शिव का गाय के दूध से रूद्रभिषेक करने से मनुष्य को यश और लक्ष्मी की प्राप्ति के साथ-साथ घर में किसी प्रकार कलह दूर हो जाता है।
12) भगवान शिव को गाय घी से अभिषेक करने से दीर्घायु के साथ-साथ वंश की वृद्धि होती है।
13) भगवान शिव को सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रुओं पर विजय के साथ-साथ हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
14) भगवान शिव का शहद से अभिषेक करने से टीबी रोग से मुक्ति मिलती है।
15) भगवान शिव की पूजा से शनि की दशा अथवा साढ़ेसाती का कुप्रभाव स्वतः चला जाता है।
16) अगर घर में कोई भी परेशानी चल रही है तो गौमूत्र का चिढ़काव करें।

इन रोगों से मुक्ति मिलती है (Get rid of these diseases)

i) भगवान शिव की पूजा या शिव लिंग में पुष्प या बेलपत्र  अर्पित करने से सिरदर्द, नेत्र रोग, अस्तिरोग दूर हो जाता है।
ii) भगवान शिव का रूद्री पाठ काले तिल के साथ करने से खांसी, जुखाम, नज़ला, रक्तचाप तथा मानसिक परेशानी दूर हो जाती है।
iii) शिवलिंग का गिलोये के रस से अभिषेक करने से रक्तदोष दूर हो जाता है।
iv) शिवलिंग कां विदार या जड़ी-बूटी के रस से अभिषेक करने से चर्म रोग, गुर्दे का रोग दूर हो जाता है।
v) शिवलिंग का मिश्रित दूध और हल्दी से अभिषेक करने से लीवर, आतों एवं चर्बी करने में सहायता मिलती है।
vi) शिवलिंग का पंचामृत, शहद, धृत से अभिषेक करने से शारीरिक कमजोरियां दूर हो जाती है।
vii) शिवलिंग का गन्ने के रस तथा लस्सी से अभिषेक करने से वात, जोड़ों तथा मांस पेशियों का रोग दूर हो जाता है।

समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)

    click here » शिव की पूजा से काल का भय कैसे?
    click here » हर दुखों का निवारण-पवित्र श्रावण मास

    भगवान शिव के अवतार (Bhagwan Shiv Ke Avatars)

    click here » भगवान शिव का नंदी अवतार 
    click here » भगवान शिव का गृहपति अवतार 
    click here » भगवान शिव का शरभ अवतार
    click here » भगवान शिव का वृषभ अवतार
    click here » भगवान शिव का कृष्णदर्शन अवतार
    click here » भगवान शिव का भिक्षुवर्य अवतार
    click here » भगवान शिव का पिप्पलाद अवतार
    click here » भगवान शिव का यतिनाथ अवतार
    click here » भगवान शिव का अवधूत अवतार 
    click here » भगवान शिव के अंश ऋषि दुर्वासा
    click here » भगवान शिव का सुरेश्वर अवतार
    click here » शिव का रौद्र अवतार-वीरभद्र
    click here » भगवान शिव का किरात अवतार