गायत्री मन्त्र के बारे में हमारे वेदों और पुराणों में लिखा है, यह शुद्धीकरण का सबसे उत्तम उपाय है। गायत्री मन्त्र की साधना कभी निषफल नही होती। यह एक ब्रह्मास्त्र है, यह निश्चित रूप से सफल होता है। गायत्री मन्त्र की उत्पत्ति ऋषि विश्वमित्र जी द्वारा हुई है, मनुष्य के जीवन में जितनी भी बाधायें उत्पन्न होती है, इन सब बाधाओं को दूर करने के लिए एक मात्र उपाय गायत्री मन्त्र है। गायत्री माता को वेदमाता व संस्कृति की जननी भी कहा जाता है, और सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। बह्माण्ड इन पाँच तत्वों वायु, जल, पृथ्वी, प्रकाश और आकाश से बना है। गायत्री माता को पंचमुखी माना गाया है, बह्माण्ड में जितने भी प्राणी है उनका शरीर इन्हीं पाँच तत्वों से मिलकर बना है, और प्रत्येक प्राणी के अन्दर गायत्री माता प्राण शक्ति के रूप में विद्यमान है। धर्म शास्त्रों अनुसार ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी को माँ गायत्री की उत्पत्ति हुई है इसी दिन को हम सभी गायत्री जयन्ती के रूप में मनाते है।
• गायत्री पूजा से निश्चित मंगल ही मंगल।
गायत्री मन्त्र आरम्भ करने से पहले कुछ जरूरी जानकरी कैसे करें आरम्भ: गायत्री मन्त्र का जप तीनों समय काल में होता है परन्तु प्रातः काल का समय सबसे उचित माना जाता है। गायत्री मन्त्र आरम्भ करने से पहले स्नान के साथ-साथ शुद्ध वातावरण का होना अति आवश्यक है। सूती वस्त्र धारण करके गायत्री मन्त्र का जप उचित माना जाता है।
भगवान शिव को सबसे अधिक प्रसन्न करने वाली शक्ति, गायत्री ही महाकाली है (Bhagwan Shiv ko sabase adhik prasan karane wali Shakti, Gayatri hi Nahakali hai): भगवान शिव का साक्षात रूप ही महाकाल है सृष्टि विनाश के साथ साथ भगवान शिव को सभी देवताओं में सबसे अधिक दयालु माना जाता है इसलिए जिसने भी भगवान शिव की अराधना में गायत्री मन्त्रों का उपयोग किया निश्चित रूप से फल की प्राप्ति हुई।
गायत्री मन्त्र से सूर्य जैसा तेजस्व (Gayatri mantra se soorya jaisa tejasv): गायत्री मन्त्र को सूर्य देव की पूजा के लिए सबसे उत्तम उपाय माना गया है, इसी मन्त्र के द्वारा मन पवित्र, वचन में मधुरता, कर्म में सत्यता और मनुष्य किसी भी रोग व भय से मुक्त होने के साथ-साथ धन सम्पति से परिपूर्ण हेाता है।
अत्याधिक नुकसान देने वाले ग्रहों का प्रकोप दूर हो जाता है (Atyadhik nukasan dene vale grahon ka prakop door ho jata hai): यदि इन तीनों वृक्षों (शमी, पीपल, बरगद) की लकड़ी द्वारा हवन तैयार करके उसमें गायत्री मन्त्र के अनुसार 108 बार आहूति देने से सुख-समृद्धि का हर प्रकार से आगमन होता है। बुरा करने वाला ग्रह भी अच्छा करने लगता है।
शनिवार को पीपल वृक्ष की छाया में गायत्री मन्त्र का जप करने से गृह क्लेश दूर होता है (Shanivar ko peepal vriksh ki chhaya mein gayatri mantra ka jaap karne se grah kalesh door hota hai): पीपल वृक्ष के नीचे निरन्तर गायत्री मन्त्र का जप करने से घर या व्यवसाय में किसी भी प्रकार की रूकावटें दूर हो जाती है।
प्राण संकट में संजीवनी का कार्य करती है (Praan sankat mein sanjeevani ka karya karti hai): गायत्री मन्त्र प्राण संकट की दशा के लिए एक मात्र उपाय है। कमर या गले तक पानी में रहकर 108 बार गायत्री मन्त्र का जप करनेसे प्राण संकट की दशा अपना रास्ता बदल लेती है। सब कुछ अच्छा होने लगता है, प्राण संकट की दशा के लिए महत्वपूर्ण है।
कैसा भी ज्वर का प्रकोप दूर हो जाता है (Kaisa bhi jwer ka prakop door ho jata hai): यदि आम के पत्तों को गाय के दूध में डूबोकर हवन किया जाए। किसी भी प्रकार का ज्वर नही रह जाता।
मधुमेह रोग में अत्यधिक लाभ होता है (Madhumeh rog mein atyadhik labh hota hai): मधुमेह रोग का प्रभाव कम होने लगता अगर ईख रस और मधु का मिश्रण करके हवन किया जाए।
बवासीर रोग में अत्यधिक लाभ होता है (Bavaseer rog mein atyadhik labh hota hai): गाय दूध-दही, और घी द्वारा हवन करने से बवारीर जैसी बीमारी का प्रभाव कम होने लगता है।
हृदय संबंधी बिमारियों को दूर करता है (Hirdaya sambandhi bimariyon ko door karta hai): गायत्री मंत्र के उच्चारण से शरीर में रक्त का संचारण बहुत अच्छे से होता है जिसके कारण हदय संबंधी विभिन्न प्रकार की बिमारियां दूर हो जाती है।
सांस संबंधी बिमारियों को दूर करता है (Saans sambandhi bimariyon ko door karta hai): गायत्री मंत्र के उच्चारण से शरीर में रक्त का संचारण के साथ-साथ आक्सीजन पर्याप्त रूप में फेफड़ों तक पहुंचता है और श्वसन तत्र को मजबूत करता है।
समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)
भगवान शिव के अवतार (Bhagwan Shiv Ke Avatars)
click here » भगवान शिव का गृहपति अवतार
click here » भगवान शिव का शरभ अवतार
click here » भगवान शिव का वृषभ अवतार
click here » भगवान शिव का कृष्णदर्शन अवतार
click here » भगवान शिव का भिक्षुवर्य अवतार
click here » भगवान शिव का पिप्पलाद अवतार
click here » भगवान शिव का यतिनाथ अवतार
click here » भगवान शिव का अवधूत अवतार
click here » भगवान शिव के अंश ऋषि दुर्वासा
click here » भगवान शिव का सुरेश्वर अवतार
click here » शिव का रौद्र अवतार-वीरभद्र
click here » भगवान शिव का किरात अवतार