कैसे बनता है मंगल दोष से मंगलमयी जीवन- How make happy life with Mangal Dosh

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कैसे बनता है मंगलमयी जीवन
(How Make Happy Life)

मंगल ग्रह भी अन्य बारह ग्रहों की भांति कुण्डली के किसी एक भाव में होता है। इन बारह भावों में से कुछ ऐसे होते है जिससे मंगल की स्थिति के अनुसार मंगल को को स्पष्ट किया जाता है। कुण्डली में जब लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, और द्वादश भाव में स्थित होता है तब कुण्डली में मंगल दोष माना जाता है। 

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मंगल का अलग-अलग प्रभाव (Different effects of mangal dosh in hindi)  

प्रथम भाव: जब मंगल पहले भाव में होता है तो इसका सम्बन्ध जीवन साथी से होता है। जब एक मांगलिक का विवाह अमांगलिक से होता है तोे उनमें किसी न किसी वजह से अनावश्यक तनाव बढ़ता है। इसकी वजह से शारीरिक हिंसा और तलाक तक की सम्भावना बनी रहीत है।

द्वतीय भाव: जब मंगल दूसरे भाव में होता है तो इसका सम्बन्ध सक्रिय और नकारात्मक से होता है इसलिए यह विवाह और विवाहित जीवन को नुकसान पहुंचाता है जिससे कारण तलाक और दूसरा विवाह संयोग से होता है।

चतुर्थ भाव: जब मंगल चैथे भाव में होता है तो इसका सम्बन्ध पेशेवर व्यक्तियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और यह उसे अपनी नौकरी से असंतुष्ट रखता है। इसके कारण बार-बार अपनी नौकरी बदलता रहता है।

सप्तम भाव: जब मंगल सांतवे भाव में होता है तब इसका सम्बन्ध क्रोध से होता है इसलिए अनावश्यक झगड़ों की स्थिति बनी रहती है। 

अष्टम भाव: जब मंगल आठवे भाव में होता है तो इसका सम्बन्ध आलस से होता है और यह व्यक्ति को आलसी बनाता है। इस वजह से व्यक्ति कुछ समय के लिए अनियमित और अचानक क्रोधवश हो जाता है जिससे घर के अन्य सदस्यों को परेशानी हो सकती है। मंगल के इस भाव में होने से व्यक्ति दुर्घटनाओं का शिकार भी हो सकता है।

द्वादश भाव: जब मंगल बारहवें भाव में होता है तो इसका सम्बन्ध मानसिकता से होता है यह व्यक्ति में मानसिक अशांति पैदा करता है और विफलता की भावना उसे परेशान करता रहता है यह उनके स्वभाव में आक्रामकता उत्पन्न करता है और गैरकानूनी कार्यों की तरफ इच्छा प्रदान करता है।

मंगल दोष से भी जीवन मंगलमयी बनता है (Mangal Dosh also makes life auspicious in hindi)

1) यदि चंद्रमा केंद्र में है तो कुंडली मांगलिक दोष मुक्त होती है। मंगल शुभ का प्रतीक है। मंगल की स्थिति से रोजगार से जुडी होती है। मंगल अगर शनि जैसे ग्रह के साथ है तब ही अनिष्टकारी होता है।
2) मांगलिक दोष होने पर वधु पक्ष लड़की का पूर्व विवाह पीपल या शालिग्राम के साथ कराने से इसका वैवाहिक दोष मिट जाता है।
3) भगवान गणेश की पूजा और मंगल ग्रह का जाप करने से दोष मिट जाता है।
4) मंगल ग्रह का रंग लाल होता है इस कारण लाल रंग का रुमाल रखने से इसका प्रभाव निश्चित रूप कम होता है।
5) मांगलिक दोष होने पर वट-वृक्ष पर मीठा दूध चढ़ाने से मंगल दोष दूर होता है।
6) चांदी की धातु धारण करने तथा चिड़ियों को दाना डालने से मंगल दोष दूर होता है। 
7) यदि मंगल की स्थिति पंचम भाव है तो सर के पास पानी रख कर सोए और सुबह उठ कर वही पानी किसी पेड़ में डाले।
8) यदि मंगल की स्थिति छठे भाव में हो तो पिता-पुत्र को सोना धारण नहीं करना चाहिए।
9) मंगल दोष के निवारण के लिए हनुमान पूजा अति आवश्यक होती है चाहे स्त्री हो या पुरुष लाल सिंदूर रख कर हनुमान जी का व्रत से दूर किया जाता है।
10) हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का स्वामी माना जाता है। माना जाता है कि अगर इनकी कृपा हो तो कोई भी ग्रह अपना अशुभ फल प्रदान नहीं कर पाता।
11) अपने घर में लाल रंग के फूल वाले पौधे लगवाएं और उनकी सेवा करें।
12) यदि संतान को कष्ट या नुक्सान हो रहा हो तो नीम का पेड़ लगाने से मंगल दोष दूर होता है।
13) पितर श्राद्ध करने से मंगल दोष दूर होता है।
14) मंगल यंत्र बनवा कर विधि-विधानपूर्वक मंत्र जाप करें और इसे घर में स्थापित करें।
15) मूंगा धारण करने से मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।
16) यदि विवाह के उपरांत मांगलिक होने का पता चले तो सात मंगल वार अपने शरीर से रक्त निकालकर बहते पानी में डालने से और लाल पुष्प, लाल चन्दन, लाल कपड़े में लाल मसूर दाल, मिष्ठान को साथ बांध कर नदी में बहा देने से मंगल दोष दूर होता है क्योंकि मंगल ग्रह लाल रंग कि और आकर्षित होता है इससे मंगल का प्रकोप दूर होता है।
17) अगर किसी व्यक्ति का जन्म मंगलवार को होता है तो उसकी कुण्डली में मंगल दोष होने के वावजूद उस पर उसका कोई प्रभाव नही पड़ता।
18) जब दो मांगलिक व्यक्तियों की शादी होती है तो इसका प्रभाव समाप्त हो जाता है और उनका वैवाहिक जीवन सुखी बना रहता है।

अमंगल की सम्भावना बनी रहती है मंगल दोष के कारण (The possibility of inauspiciousness remains due to mangal dosh in hindi)  

1) मंगल दोष अगर लग्न और अष्टम भाव में होता है तो इसका प्रभाव ज्यादा होता है।
2) मंगल एक क्रूर ग्रह है इसलिए इसके प्रभाव से गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है।
3) मंगल दोष के कारण विवाह तथा वैवाहिक जीवन में अड़चने आती है।
4) पति-पत्नी में से अगर एक मांगलिक हो तो बीमारी की समस्या बनी रहती है।
5) मंगल दोष के कारण दुर्घटनाओं की सम्भावना बनी रहती है।
6) मंगल दोष से ऋण बढ़ता है।
7) मंगल दोष से भूमि संबंधी कार्यों में नुकसान हो सकता है।
8) मंगल दोष से मकान बनाने में परेशानियां आती हैं।
9) मंगल दोष से शरीर में दर्द रहता है। रक्त संबंधी को बीमारी हो सकती है।
10) मंगल दोष से विवाह में देरी हो सकती है।

इस स्थिति में मंगल प्रभाव स्वतः दूर होता है

 अगर जीवन साथी में से एक की कुण्डली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुण्डली में उसी भाव में राहु या शनि स्थित हो तो मंगल दोष दूर हो जाता है।  अगर सप्तम भाव में स्थित मंगल पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो कुण्डली में मांगलिक का बुरा प्रभाव नही पड़ता है।  मंगल गुरू की राशि धनु अथवा मीन में हो अथवा राहु के साथ मंगल की उपस्थिति हो व्यक्ति चाहे अपनी पंसद के अनुसार किसी से भी विवाह कर सकता है क्योंकि वह मांगलिक दोष से मुक्त होता है।