पूर्णिमा के दिन पूजा से समस्त दुःख दूर होते हैं- Pooja on Purnima Day it removes all sorrows

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पूर्णिमा के दिन पूजा से समस्त दुःख दूर होते हैं 

प्रत्येक माह के 30 दिन को 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। हिंदू माह के 15 वें दिवस शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन चन्द्रमा अपने पूरे आकार में नज़र आता है। इस दिन का अपना विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा माँ लक्ष्मी को विशेष अतिप्रिय है । इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से मनुष्य केे जीवन में किसी भी चीज़ की कमी नही रहती है। पूर्णिमा के दिन सुबह पीपल के वृक्ष पर माँ लक्ष्मी का आगमन होता है। कहते है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करके धूप अगरबत्ती जला कर माँ लक्ष्मी की पूजा करके माँ लक्ष्मी को अपने घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था। उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

माघ पूर्णिमा (Magh Purnima)

यह मान्यता है सभी देवता मानव रूप धारण करके स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आकर वास करते है तथा प्रयागराज में स्नान, जप और दान करते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयाग गंगा यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है इसी कारण इस स्थान का विशेष महत्व हो जाता है। माघ पूर्णिमा पर व्रत, स्नान, जप, हवन और दान का विशेष महत्त्व हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पितरों का श्राद्ध करके पितृ दोष दूर होता है। माघ पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र गंगा में स्नान करना चाहिए यदि गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने की पानी मे गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। यदि गंगाजल भी उपलब्ध न हो तो हाथ में जल लेकर निम्न मन्त्र का उच्चारण करे। 

ऊँ गंगे च यमुना गोदावरी नर्मदे सिंधु कावेरी अस्मिन जले सन्निधिं कुरु। इस मंत्र के उच्चारण के बाद स्नान करना प्रारम्भ करे। स्नान के बाद सूर्यदेव को ऊँ घृणि सूर्याय नमः मन्त्र से अघ्र्य देना चाहिए। इसके बाद मन में माघ पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दोपहर में किसी गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दे। दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान करे तथा काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करे।  

भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapad Purnima) 

भाद्रपद पूर्णिमा प्रत्येक मास की पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण होती है लेकिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा बहुत ही खास होती है। मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके खास होने का कारण यह है कि इसी पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष आरंभ होता है जो आश्विन अमावस्या तक चलते है। इस पूर्णिमा को स्नान दान का भी विशेष महत्व माना जाता है। एक बार महर्षि दुर्वासा भगवान शंकर के दर्शन करके लौट रहे थे। रास्ते में उनकी भेंट भगवान विष्णु से हो गई। महर्षि ने शंकर जी द्वारा दी गई विल्व पत्र की माला भगवान विष्णु को दे दी। भगवान विष्णु ने उस माला को स्वयं न पहनकर गरुड़ के गले में डाल दी। इससे महर्षि दुर्वासा क्रोधित होकर बोले कि तुमने भगवान शंकर का अपमान किया है। इससे तुम्हारी लक्ष्मी चली जाएगी। क्षीर सागर से भी तुम्हे हाथ धोना पड़ेगा और शेषनाग भी तुम्हारी सहायता न कर सकेंगे। यह सुनकर भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा को प्रणाम कर मुक्त होने का उपाय पूछा। इस पर महर्षि दुर्वासा ने बताया कि उमा-महेश्वर का व्रत करो तभी तुम्हें ये वस्तुएँ मिलेंगी। तब भगवान विष्णु ने यह व्रत किया और इसके प्रभाव से लक्ष्मी जी समेत समस्त शक्तियाँ भगवान विष्णु को पुनः मिल गईं। 

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima)

पूर्णिमा का अपना विशेष मह्त्व होता है, लेकिन अश्विन माह की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा को सबसे बड़ी पूर्णिमा माना जाता है। इस पूर्णिमा को कोजगार पूर्णिमा भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अनुष्ठान करना सफल होता है। मान्यता है कि इस दिन चांद के प्रकाश में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे धरती पर गिरते हैं और उसकी किरणों के नीचे रखकर किसी खाद्य पदार्थ को खाना सेहत के लिए भी अच्छा होता है।

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान और दान करना काफी फलदायक माना जाता है ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं तो उनके कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते है। इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था। इसी कारण से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है। इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से लोगों पर समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है। ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन विशेष विधि से पूजा-अर्चना की जाए तो समस्त देवी-देवताओं को आसानी से प्रसन्न किया जाता है। मनुष्य को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है इस पवित्र दिन विधि विधान से पूजा-अर्चना करने पर जन्मपत्री के सभी ग्रहदोष दूर हो जाते है।

कृपा प्राप्ति के लिए (Kirpa prapti ke liye)

i) प्रातः काल उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कीजिए।
ii) पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
iii) श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
iv) श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
v) इस दिन गौदान का फल अनंत पुण्यदायी होता है।
vi) घी और अन्न का दान करें।
vii) ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
viii) रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
ix) मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है।
x) इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें, चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करना बेहतर होगा।

सफलता कैसे प्राप्त होती है (Safalta kaise prapt hoti hai)

1) शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है।
2) शरद पूर्णिमा के दिन रोशनी के नीचे खीर बनाकर रखने से और फिर उसको खाने से शरीर को कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है।
3) शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए।
4) हर पूर्णिमा के दिन सुबह के समय हल्दी में थोडा पानी मिलाकर उससे घर के मुख्य द्वार पर ऊँ बनायें।
5) प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर बनाकर, माँ लक्ष्मी को उसका भोग लगाकर प्रसाद के रूप में वितरित करे ऐसा करने से धन-आगमन का रास्ता बनता है।
6) प्रत्येक पूर्णिमा पर सुबह के समय घर के मुख्य दरवाज़े पर आम के ताजे पत्तों से माला बनाकर लगाये। इससे अवश्य ही  विघ्न-बाधायें दूर होती है और शुद्ध वातावरण बनता है। 
7) पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। 
8) पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बेलपत्र, शमीपत्र और फल चढ़ाने से भगवान शिव कृपा बनी रहती है। 
9) पूर्णिमा के दिन सफ़ेद चंदन में केसर मिलाकर भगवान शंकर को अर्पित करने से घर से कलह और अशांति दूर होती है।
10) सफल दाम्पत्य जीवन के लिए प्रत्येक पूर्णिमा को पति पत्नी में कोई भी चन्द्रमा को दूध का अध्र्य अवश्य ही दें।
11) पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमासे नमः का उच्चारण करें ऐसा करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नही रहती।
12) पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें । अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी नहीं होती है। इसके पश्चात प्रत्येक पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुनः हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे। आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। 
13) हर व्यक्ति को अपने घर के मंदिर में प्रेम, शुभता और धन लाभ के लिए श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख आदि माता लक्ष्मी की प्रिय इन दिव्य वस्तुओं को अवश्य ही स्थान देना चाहिए। इनको साबुत अक्षत के ऊपर स्थापित करना चाहिए और हर पूर्णिमा को इन चावलों को जिनको आसान के रूप में स्थान दिया गया है उन्हें अवश्य ही बदल कर नए चावल रख देना चाहिए। पुराने चावलों को किसी वृक्ष के नीचे अथवा बहते हुए पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए । 

प्रत्येक माह के 30 दिन को 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। हिंदू माह के 15 वें दिवस शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन चन्द्रमा अपने पूरे आकार में नज़र आता है। इस दिन का अपना विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा माँ लक्ष्मी को विशेष अतिप्रिय है । इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से मनुष्य केे जीवन में किसी भी चीज़ की कमी नही रहती है। पूर्णिमा के दिन सुबह पीपल के वृक्ष पर माँ लक्ष्मी का आगमन होता है। कहते है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करके धूप अगरबत्ती जला कर माँ लक्ष्मी की पूजा करके माँ लक्ष्मी को अपने घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था। उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

  पूर्णिमा का महत्व और इसके लाभ 
  Purnima ka mahatva aur iske labh in hindi  

स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए (Swasth Swasthia ke liye)

i) पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा को लगातार देखें इससे नेत्रों की ज्योति तेज होती है। 
ii) आयुर्वेद के अनुसार पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की चाँदनी सभी मनुष्यों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
iii) पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा का प्रकाश गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है अतः गर्भवती स्त्रियों को तो विशेष रूप से कुछ देर अवश्य ही चन्द्रमा की चाँदनी में रहना चाहिए ।
iv) चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है। 
v) शोध के मुताबिक खीर को चांदी के बर्तन में बनाना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। 
vi) शरद पूर्णिमा की रात दमा रोगियों के लिए वरदान की तरह है। इस रात दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर उसे vii) चांदनी रात में रखकर प्रातः 4 बजे सेवन किया जाता है।  

Purnima ke din pooja se samast dukh door hote hai

समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)