बृहस्पति की पूजा करने से कुछ भी मांगने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती-Brihaspati ki pooja karne se kuch bhi mangne ki avashyakta hi nahi padti

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बृहस्पति की पूजा करने से कुछ भी मांगने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती
(Brihaspati ki pooja karne se kuch bhi mangne ki avashyakta hi nahi padti)

पुराणों के माध्यम से ब्रहमा जी के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि का विवाह स्मृति से हुआ और उनके दो पुत्रों का जन्म हुआ एक का नाम उतथ्य और दूसरा जीव। जीव बाल्यकाल से ही शांत स्वभाव और ज्ञानी प्रकृति होने के कारण इन्होंने अपनी इंद्रियों को अपने वश में कर लिया था। जीव ने शिवलिंग की स्थापना करके शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की। महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें साक्षात दर्शन दिये और उनसे कहा तुम ने कठिन तप किया इसलिए तुम बृहस्पति नाम से देवतओं के गुरू बनकर उनका मार्ग दर्शन करो। इस प्रकार बृहस्पति को देवगुरू के साथ-साथ नवग्रह मंडल में प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ।

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  (Kuch bhi  mangne ki avashyakta hi nahi padti in hindi) 

गुरु बृहस्पति की तीन पत्नियां है पहली पत्नी का नाम शुभा दूसरी पत्नी तारका और तीसरी पत्नी ममता है। शुभा से सात कन्या उत्पन्न हुई इनके नाम भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, सिनीवाली और हविष्मती और दूसरी पत्नी तारका से सात पुत्र और एक कन्या उत्पन्न हुई। तीसरी पत्नी से भारद्वाज और कच दो पुत्रों का जन्म हुआ। धनु और मीन राशियों का स्वामी बृहस्पति तथा इन्हें ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता है।

बृहस्पति पूजा विधि-विधान (Brihaspati Pooja Vidhi-Vidhan)

बृहस्पतिवार का व्रत बहुत लाभदायी होता है। बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन  बृहस्पतिदेव और केले के पेड़ की पूजा की जाती है। बृहस्पतिदेव को बुद्धि का दाता माना जाता है। केले के पेड़ को बहुत पवित्र माना जाता है। बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। अग्नि पुराण के अनुसार बृहस्पति का व्रत लगातार 7 बृहस्पतिवार तक करना चाहिए। इस दिन प्रातः उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। बृहस्पतिदेव का स्मरण करके फल, फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में केले के पेड़ की का पूजा की जाती है। कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिए। प्रसाद के रूप में केले अर्पित करके इन केलों को दान में ही दे देना चाहिए। शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए।

पवित्र केले की पूजा (Pavitr Kele Ki Pooja)

जल में हल्दी, पीली दाल डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं। केले की जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं साथ ही दीपक जलाकर पेड़ की आरती उतारे। इस दिन पीले वस्त्रों, पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए। मान्यतानुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए। भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग किया जाना चाहिए। ऐसा करने से गुरु ग्रह का दोष खत्म हो जाता है तथा गुरु कृपा प्राप्त होती है। इन दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है। जल्द विवाह के लिए भी गुरुवार का व्रत किया जाता है। व्रत करने वाले व्यक्ति या परिवार के समस्त लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए बाल न कटाएं और ना ही दाढ़ी बनवाएं और ना ही कपड़े धोये।

पूजा सामग्री (Pooja Samgri)

धोती  1 जोड़ा,  पीला कपड़ा 1.25 मीटर,  जनेउ  एक जोड़ा, चने की दाल- 1.25 किलो,  गुड़-250 ग्राम, पीला फूल, फूल माला, दीपक  1, घी  250 ग्राम, धूप-1 पैकैट, हल्दी  1.25 किलो, हल्दी पाउडर- 1 पैकैट. कपूर  1 पैकेट, सिंदूर- 1 पैकैट, बेसन के लड्डु  1.25 किलो, मुन्नका (किशमिश) -25ग्राम, कलश  1, आम के पत्ते, सुपारी,  श्रीफल, पीला वस्त्र, केला  

धन, विद्या, स्वास्थ्य, संतान प्राप्ति का आर्शीवाद मिलता है (Get attain blessings of wealth, education, health and happiness of children's) 

वीरवार को भगवान बृहस्पति की पूजा से धन, विद्या, संतान इत्यादि मनोकामना पूर्ण होती है। (Worship of Lord Brihaspati on Thursday fulfills the desire of wealth, learning, children etc.) परिवार में सुख-समृद्धि के साथ जिन व्यक्तियों का विवाह योग में अड़चनें आ रही है उन्हें वीरवार का व्रत करना चाहिए इससे शीघ्र ही विवाह का योग बनता है। वीरवार के दिन पीले वस्त्र धारण करके पीले पुष्प, चने की दाल, मक्के का आटा, हल्दी, पीले कपड़े, केेले इत्यादि भगवान बृहस्पति अथवा केले के पेड़ को तिलक करके उसमें अर्पित करें इसके बाद भगवान बृहस्पति की कथा का गुणगान कीजिये। ब्राहमण, गुरु, पुरोहित या गरीब को दान में चीनी, केला, केशर, मिठाईयां, हल्दी देवें। बृहस्पति के दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और ऊँ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः  का जाप करने से बृहस्पति भगवान अति प्रसन्न होते है।

इन से बृहस्पति का सीधा संबंध होता है (Brihaspati is directly related to these)

पाचन तंत्र, पेट और आयु से बृहस्पति का सीधा संबंध होता है। (Brihaspati is directly related to the digestive system, stomach and age) बृहस्पति के कारण ही मोटापा निश्चित रूप से कम होता है। (Obesity is definitely reduced due to Brihaspati) शरीर में वसा का संग्रह करने की शक्ति बृहस्पति के पास होती है, जिसके कारण सेहत पर बड़ा खतरा बना रहता है। 

बृहस्पति के प्रकोप से ऐसा होता है (By the outbreak of Brihaspati it happens)

खाने की पाचन शक्ति बृहस्पति से सम्बन्धित है। इसलिए बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने से पाचन तंत्र कमजोर होता है। बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने से हाइपर एसिडिटी और पाचन शक्ति  पर बुरा असर पड़ता है। 

बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने से कैंसर जैसी बीमारी से पेरशान हो सकते है।
 बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने से बृहस्पति जिस स्थान में होता है उसमें लम्बी बीमारियां होती है।
 बृहस्पति किसी भी वस्तु को बड़ा और विशाल बना देता है।
 एकादशी व्रत नियमित करने से मोटापा दूर होता है। 

ऐसा करने का प्रयत्न करें (Try to do it)

 भगवान ब्रहमदेव को केले अर्पित करें तथा ब्राहमणों का आदर के साथ आर्शीवाद प्राप्त करें।
• बृहस्पति वार के दिन केले और धार्मिक पुस्तकों का दान करें।
• बृहस्पति वार के दिन गाय को केले खिलाये।
• बृहस्पति वार के दिन चमेली के फूल, गूलरए मुलहठी, दमयंती और पानी में कुछ शहद मिलाकर स्नान करने से समस्त कष्टों मुक्ति मिलती है।
 शुक्ल पक्ष में लगातार 11 गुरूवार पानी में कुछ हल्दी मिलाकर स्नान करने से विवाह का संयोग बनता है।
 भगवान शिव की उपासना नियमित और भगवान शिव को गन्ने के रस से रूद्राभिषेक करने से पेट की बिमारियां दूर होती है।

समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)