30 दिन के महीने को 15-15 दिनों के साथ दो पक्षों में बाँटा जाता है शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते है जबकि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते है। (Amavasya ke din pooja se har Manokamna pourn hoti hai in hindi) शुक्ल पक्ष में दैव-आत्माएं अधिक सक्रिय रहती है जबकि वर्ष के दक्षिणायन में और महीने के कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं सक्रीय होती है। जब दैत्य-आत्माएं सक्रीय होती है तो मनुष्य में दानव प्रकृति का असर बढ़ने लगता है। इसीलिए इन दिनों में पूजा-पाठ के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक होता है।
सोमवती-अमावस्या (Somvati Amavasya)
अमावस्या पवित्र दिन है इस दिन पर पितृओं की पूजा की जाती है। ऐसा करने से पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। सोमवार वाली को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। यह वर्ष में एक या दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में अपना विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों की दीर्घायु के लिए व्रत का विधान है। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है। इस दिन गंगा-स्नान विशेष महत्व हैै। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था इस दिन गंगा-स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वास्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा और पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है।
ऐसा करने का प्रत्यन करें (Try to do): Aisa karane ka prayatn karein
2) इस दिन पीपल की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। पीपल की पूजा करनी चाहिए पीपल में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है ऐसा करने से शनि-दोष से मुक्ति मिलती है।
3) अमावस्या के दिन आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर तालाब में मछलियों को खिलाएं। इससे आपको पुण्य मिलेगा और घर में धन का आगमन होगा। यह काम आप घर के बच्चे से करवाएंगे तो और भी फलित सिद्ध होगा।
4) सोमवती अमावस्या पर धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपारी से पीपल के पेड़ की पूजा और परिक्रमा की जाती है। हर परिक्रमा पर इनमें से कोई भी एक चीज चढ़ाएं। उसके बाद अपने सामर्थ्य यानी जितना दान आप दे सकें उस हिसाब से फल, मिठाई, खाने की चीजें या सुहाग सामग्री किसी मंदिर के पुजारी या गरीब ब्रह्मण को दान दें।
5) सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव को जल चढ़ाएं। गरीबों को खाने की चीजें दान दें।
6) पितृओं की पूजा करें। पितृओं के लिए ब्राह्मण या किसी मंदिर के पुजारी को भोजन करवाएं। गाय, कुत्ते और कौवों को रोटी खिलाएं।
7) नौकरी में तरक्की के लिए सोमवती अमावस्या के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे आटे के सात दीपक बनाकर उनमें सरसों का तेल भरकर जलाएं। पीपल की 21 वार परिक्रमा करके बिना पीछे देखे चुपचाप घर चले आएं।
8) दांपत्य जीवन में परेशानी गृह-क्लेश बना हुआ है तो पीपल में मीठा दूध अर्पित करें। किसी बगीचे में खुशबूदार फूलों के पौधे लगाएं। इससे आपसी संबंधों में प्रेम बढ़ेगा।
9) घर-परिवार में कोई बीमार चल रहा हो तो सोमवती अमावस्या के दिन रोगी के सिर के उपर से एक नारियल घड़ी की उल्टी दिशा में 21 बार उसारकर बहते जल में प्रवाहित करें। इससे रोगी शीघ्र ठीक होने लगेगा।
भूल से भी ऐसा न करने का प्रयत्न करें
• अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नही करना चाहिए। इस दिन शराब आदि से दूर रहना चाहिए।
• झूठा भोजन न करें। • स्नान जरूर करें। • नेल-बाल न काटे। • दोपहर में न सोएं।
• सूर्य उदय होने से पहले पीपल के पेड़ पर जल और कच्चा दूध चढ़ाने से पितृदोष की शांति होती है।
• सूर्योदय के समय किसी भी पवित्र नदी में कच्चा दूध और पानी मिलाकर बहाएं इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
• चाँदी के नाग-नागिन बनवा कर उनकी पूजा करें। पूजा करने के बाद शिवलिंग या किसी पवित्र नदी में बहा देने से कालसर्प दोष में शांति मिलती है।
• सफेद कपड़े में चावल, सफेद मिठाई, चांदी का सिक्का और एक नारियल रखकर खुद पर से 7 बार घुमाकर नदी में बहा देने से कालसर्प दोष शांति होती है।
• अमावस्या पर किसी भी इंसान को श्मशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके आस-पास नहीं घूमना चाहिए। इस समय बुरी आत्माएं सक्रिय हो जाती है और मानव इन बुरी आत्माओं या नकारात्मक शक्तियों से लड़ने में सक्षम नहीं होता है।
• गरुण पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को आजीवन सुख की प्राप्ति नही होती।
• शनिवार के अलावा अन्य दिन पीपल का स्पर्श नहीं करना चाहिए इसलिए पूजा करें लेकिन पीपल के वृक्ष का स्पर्श ना करें इससे धन की हानि होती है।
• इस दिन जमीन पर सोना चाहिए और शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए।
• अमावस्या पर घर में पितरों की कृपा पाने के लिए घर में कलह नहीं होनी चाहिए। वाद-विवाद से बचना चाहिए इस दिन कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए।
एक गरीब ब्राह्मण परिवार था उनकी एक पुत्री थी। पुत्री धीरे धीरे बड़ी होने लगी। लड़की सुन्दर और गुणवान थी पर गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन ब्राह्मण के घर एक साधू पधारे वह उस कन्या की सेवा-भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने उस कन्या को लम्बी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधू ने कहा की कन्या की हथेली में विवाह-संयोग रेखा नहीं है। ब्राह्मण दम्पति ने साधू से उपाय पूछा-ऐसा क्या करे जिससे उसके हाथ में विवाह-योग बन जाए। साधू ने अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना धोबिन नाम की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है जो बहुत संस्कारी है। यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला अपने मांग का सिन्दूर लगा दे तब इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। कन्या तडके ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर सफाई और अन्य सारे काम करके अपने घर वापस आ जाती। सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है तुम तो सुबह-सुबह उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा कि माँजी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम ख़ुद ही कर लेती हो। मैं तो देर से उठती हूँ। इस पर दोनों सास बहू निगरानी करने करने लगी कि कौन है जो सुबह-सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है। कई दिनों के बाद धोबिन ने उस कन्या को देखा कन्या जो अंधेरे में ही घर आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी और पूछने लगी तुम कौन हो और इस तरह छुपकर मेरे घर की सफाई क्यों कर रही हो। कन्या ने साधू द्वारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति कर्तव्य-परायण थी वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़े अस्वस्थ थे इसलिए उसने अपनी बहू को घर में ही रहने को कहा। सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया उसके पति की मृत्यु हो गई उसे भी यह मालूम हो गया। वह घर से निराजल ही चली यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भँवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी। उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर जो पूए-पकवान मिले थे उनको पीपल के पेड को अर्पित करके १०८ बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति पुनः जीवित हो गये।
पति की दीर्घायु के लिए: सोमवार अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखती है। इस दिन सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखने का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है, ऐसा पुराणों में वर्णित है। विशेष कर सोमवार को भगवान शिवजी का दिन माना जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर शिवजी की आराधना-पूजन-अर्चना की जाती है। इसीलिए सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना करते हुए पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं।
समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)