माता शीतला की कृपा से दुख-दरिद्रता से मुक्ति मिलती है - Mata Sheetla gives freedom from misery

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माता शीतला की कृपा से दुख-दरिद्रता से मुक्ति मिलती है 
(Mata Sheetla gives freedom from misery)

माता शीतला जी की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा जी से ही हुई थी। ब्रह्मा जी ने माता शीतला को धरती पर पूजे जाने के लिए भेजा था। देवलोक से धरती पर माता शीतला अपने साथ भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर को अपना साथी मानकर लाईं। तब उनके पास दाल के दाने भी थे। उस समय के राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए कोई स्थान नहीं दिया तो माता शीतला क्रोधित हो गईं। उसी क्रोध की ज्वाला से राजा की प्रजा के शरीर पर लाल-लाल दाने निकल आए और लोग उस गर्मी से संतप्त हो गए। राजा को अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने माता शीतला से माफी मांगकर उन्हें उचित स्थान दिया। लोगों ने माता शीतला के क्रोध को शांत करने के लिए ठंडा दूध एवं कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई और माता शांत हुईं। तब से हर साल शीतला अष्टमी पर लोग माँ शीतला का आशीर्वाद पाने के लिए ठंडे बासी भोजन का प्रसाद माता को अर्पित करने लगे। माता शीतला अपने भक्तों के तन-मन को शीतल कर देती है तथा समस्त प्रकार के तापों का नाश करती है। 

माता शीतला जी की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा जी से ही हुई थी। ब्रह्मा जी ने माता शीतला को धरती पर पूजे जाने के लिए भेजा था। देवलोक से धरती पर माता शीतला अपने साथ भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर को अपना साथी मानकर लाईं। तब उनके पास दाल के दाने भी थे। उस समय के राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए कोई स्थान नहीं दिया तो माता शीतला क्रोधित हो गईं। उसी क्रोध की ज्वाला से राजा की प्रजा के शरीर पर लाल-लाल दाने निकल आए और लोग उस गर्मी से संतप्त हो गए। राजा को अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने माता शीतला से माफी मांगकर उन्हें उचित स्थान दिया। लोगों ने माता शीतला के क्रोध को शांत करने के लिए ठंडा दूध एवं कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई और माता शांत हुईं। तब से हर साल शीतला अष्टमी पर लोग माँ शीतला का आशीर्वाद पाने के लिए ठंडे बासी भोजन का प्रसाद माता को अर्पित करने लगे। माता शीतला अपने भक्तों के तन-मन को शीतल कर देती है तथा समस्त प्रकार के तापों का नाश करती है। Sheetla mata image, Sheetla mata photo, Sheetla mata jpeg, Sheetla mata jpg, माता शीतला की कृपा से दुःख-दरिद्रता से मुक्ति 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है इन IN HINDI, माता शीतला की कृपा इन IN HINDI, कैसे प्राप्त होती है? इन IN HINDI, माता शीतला के बारे में,  इन IN HINDI, शीतला-चालीसा इन IN HINDI, माता शीतला कैसे खुश होती है इन IN HINDI, माता शीतला की कहानी इन IN HINDI, शीतला माता इन IN HINDI, शीतला माता कौन है? इन IN HINDI, शीतला माता की कहानी इन IN HINDI, शीतला माता सबकी मनोकामना पूरी करती है इन IN HINDI,  जैसे बसौड़ा अथवा बसियौरा भी इसे कहा जाता है इन IN HINDI,  शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है इन IN HINDI,  चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है इन IN HINDI,  चेचक का रोगी व्यग्रता में वस्त्र उतार देता है इन IN HINDI,  सूप से रोगी को हवा की जाती है इन IN HINDI,  झाडू से चेचक के फोड़े फट जाते है इन IN HINDI,  नीम के पत्ते फोडों को सड़ने नहीं देते इन IN HINDI,  रोगी को ठंडा जल प्रिय होता है इन IN HINDI, अतः कलश का महत्व है इन IN HINDI,  गर्दभ की लीद के लेपन से चेचक के दाग मिट जाते है इन IN HINDI,  शीतला-मंदिरों में माता शीतला को गर्दभ पर ही आसीन दिखाया गया है इन IN HINDI, शीतला माता के संग ज्वरासुर- ज्वर का दैत्य इन IN HINDI,  ओलै चंडी बीबी-हैजे की देवी, चैंसठ रोग, घेंटुकर्ण-त्वचा-रोग के देवता एवं रक्तवती -रक्त संक्रमण की देवी होते हैं इन IN HINDI, स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणु नाशक जल होता है इन IN HINDI, स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है इन IN HINDI,  ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी इन IN HINDI, इस व्रत को करने से शीतला देवी प्रसन्न होती है इन IN HINDI, पौराणिक कथा इन IN HINDI, पाठ-पूजा इन IN HINDI, माता शीतला का पूजन सूर्य ढलने के पश्चात तेल और गुड़ में खाने-पीने की वस्तुएं मीठी रोटी, मीठे चावल, गुलगुले, बेसन एवं आलू आदि की नमकीन पूरियां तैयार की जाती हैं इन IN HINDI,  शीतला माता को अष्टमी के दिन मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध की लस्सी के साथ सभी चीजों का भोग लगाया जाता है इन IN HINDI,  माता को मीठी रोटी के साथ दही और मक्खन, कच्चा दूध, भिगोए हुए काले चने, मूंग और मोठ आदि प्रसाद रूप में अर्पित करने की परंपरा है इन IN HINDI,  माता शीतला को भोग लगाने के बाद मंदिर में बनी विभिन्न पिंडियों समेत शिवलिंग पर कच्ची लस्सी चढ़ाई जाती है इन IN HINDI,  इसी के साथ माता से परिवार की मंगल कामना के लिए प्रार्थना की जाती है इन IN HINDI, माता शीतला को चेचक, खसरा आदि की देवी के रूप में पूजी जाती है इन IN HINDI,  इन्हें शक्ति के दो स्वरुप, देवी दुर्गा और देवी पार्वती के अवतार के रूप में जाना जाता है इन IN HINDI,  इस दिन लोग माँ शीतला का पूजन का करते है ताकि उनके बच्चे और परिवार वाले इस तरह की बिमारियों से बचे रह सके इन IN HINDI,  माता शीतला के नाम से ही स्पष्ट होता है की यह हर दुःख का निवारण करती है इन IN HINDI,  यदि किसी बच्चे को इस तरह की बीमारी हो जाए तो उन्हें माँ शीतला का पूजन करना चाहिए इन IN HINDI,  बिमारी में राहत मिलती है और समस्या जल्दी ठीक होती है इन IN HINDI, शीतला-चालीसा इन IN HINDI, जय जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी इन IN HINDI, गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती इन IN HINDI, विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीड़ा  इन IN HINDI, मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा इन IN HINDI, शोक हरी शंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी  इन IN HINDI, सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै  इन IN HINDI, चैसट योगिन संग दे दावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै , इन IN HINDI,नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिर पार ना पावै इन IN HINDI, धन्य धन्य भात्री महारानी। सुर नर मुनी सब सुयश बधानी , ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी इन IN HINDI,, र हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक इन IN HINDI, हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी इन IN HINDI,तब माता धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा इन IN HINDI,स्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो  इन IN HINDI, बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मा नहीं फल कछु मैं कीन्हा  इन IN HINDI,अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो इन IN HINDI, पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है इन IN HINDI,अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे इन IN HINDI, श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना इन IN HINDI,कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै इन IN HINDI,विस्फोटक भय गृह-गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई इन IN HINDI,तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता इन IN HINDI,तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी इन IN HINDI,नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी इन IN HINDI,नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी इन IN HINDI,श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला इन IN HINDI,मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी इन IN HINDI,राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन इन IN HINDI,सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई इन IN HINDI,कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई इन IN HINDI,हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन इन IN HINDI,निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै इन IN HINDI,कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे इन IN HINDI,बंधा नारी पुत्र को पावे इन IN HINDI,जन्म दरिद्र धनी हो जावे इन IN HINDI,सुंदर दास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत इन IN HINDI,या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका इन IN HINDI,कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा इन IN HINDI,ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा इन IN HINDI,अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत इन IN HINDI,बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई इन IN HINDI,जो यह चालीसा शीतला पाठ करे सुख-समृद्ध बैकंुठ पद पावे इन IN HINDI, sheetla mata in hindi, sheetla mata ki pooja in hindi, sheetla mata pooja-vidhi in hindi, sheetla mata ki kirpa kaise prapt Karen in hindi, sheetla mata ki kahani in hindi, sheetla mata in hindi, sheetla mata kya hai in hindi, sheetla mata kaise prasan hoti hai in hindi, sheetla mata in hindi, sheetla mata chalisa in hindi, shree sheetla mata chalisa in hindi, sri sheetla chalisa in hindi, sheetla mata katha in hindi, माता शीतला की कृपा कैसे प्राप्त होती है? in hindi, संक्षमबनों इन IN HINDI, संक्षम बनों इन IN HINDI, sakshambano in hindi, saksham bano in hindi, क्यों सक्षमबनो इन IN HINDI, क्यों सक्षमबनो अच्छा लगता है इन IN HINDI?, कैसे सक्षमबनो इन IN HINDI? सक्षमबनो ब्रांड से कैसे संपर्क करें इन IN HINDI, सक्षमबनो IN HINDI, सक्षमबनो इन IN HINDI, सब सक्षमबनो IN HINDI,अपने को सक्षमबनो हिन्दीं में, सक्षमबनो कर्तव्य IN HINDI, सक्षमबनो भारत IN 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 Mata Sheetla ki kirpa se dukh-daridrata se mukti milti hai  

माता शीतला  का पर्व चाहे षष्टी को हो या सप्तमी को या अष्टमी को इसे दूसरे नामों से भी जाना जाता है, जैसे बसौड़ा अथवा बसियौरा भी इसे कहा जाता है। स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है। ये हाथों में कलश, सूप, झाडू तथा नीम के पत्ते धारण करती है। इन्हें चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है। चेचक का रोगी व्यग्रता में वस्त्र उतार देता है। सूप से रोगी को हवा की जाती है, झाडू से चेचक के फोड़े फट जाते है। नीम के पत्ते फोडों को सड़ने नहीं देते। रोगी को ठंडा जल प्रिय होता है अतः कलश का महत्व है। गर्दभ की लीद के लेपन से चेचक के दाग मिट जाते है। शीतला-मंदिरों में माता शीतला को गर्दभ पर ही आसीन दिखाया गया है। शीतला माता के संग ज्वरासुर- ज्वर का दैत्य, ओलै चंडी बीबी-हैजे की देवी, चैंसठ रोग, घेंटुकर्ण-त्वचा-रोग के देवता एवं रक्तवती -रक्त संक्रमण की देवी होते हैं। इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणु नाशक जल होता है। स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी। इस व्रत को करने से शीतला देवी प्रसन्न होती है और भक्त के कुल में दाह ज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्रों के समस्त रोग, शीतलाकी फुंसियों के चिन्ह तथा शीतलाजनित दोष दूर हो जाते है।

पौराणिक कथा

एक समय प्रताप नगर में गांववासी शीतला माता की पूजा-अर्चना कर रहे थे और पूजा के दौरान गांव वालों ने गरिष्ठ का प्रसाद माता शीतला को प्रसाद रूप में चढ़ाया। गरिष्ठ प्रसाद से माता शीतला का मुंह जल गया। इससे माता शीतला नाराज हो गई। माता शीतला क्रोधित हो गई और अपने कोप से सम्पूर्ण गांव में आग लगा दी जिससे सम्पूर्ण गांव जलकर रख हो गया परन्तु एक बुढ़िया का घर बचा हुआ था। गांव वालों ने जाकर उस बुढ़िया से घर ने जलने का कारण पूछा तब बुढ़िया ने माता शीतला को प्रसाद खिलाने की बात कही और कहा कि मैंने रात को ही प्रसाद बनाकर माता को ठंडा एवम बासी प्रसाद माता को खिलाया। जिससे माता शीतला ने प्रसन्न होकर मेरे घर को जलने से बचा लिया। बुढ़िया की बात सुनकर गांव वालों ने माता शीतला से क्षमा याचना की तथा अगले पक्ष में सप्तमी-अष्टमी के दिन उन्हें बासी प्रसाद खिलाकर माता शीतला का बसौड़ा पूजन और शीतला माता जी की आरती का गुण-गान किया।

पाठ-पूजा

माता शीतला का पूजन सूर्य ढलने के पश्चात तेल और गुड़ में खाने-पीने की वस्तुएं मीठी रोटी, मीठे चावल, गुलगुले, बेसन एवं आलू आदि की नमकीन पूरियां तैयार की जाती हैं। शीतला माता को अष्टमी के दिन मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध की लस्सी के साथ सभी चीजों का भोग लगाया जाता है। माता को मीठी रोटी के साथ दही और मक्खन, कच्चा दूध, भिगोए हुए काले चने, मूंग और मोठ आदि प्रसाद रूप में अर्पित करने की परंपरा है। माता शीतला को भोग लगाने के बाद मंदिर में बनी विभिन्न पिंडियों समेत शिवलिंग पर कच्ची लस्सी चढ़ाई जाती है। इसी के साथ माता से परिवार की मंगल कामना के लिए प्रार्थना की जाती है। माता शीतला को चेचक, खसरा आदि की देवी के रूप में पूजी जाती है। इन्हें शक्ति के दो स्वरुप, देवी दुर्गा और देवी पार्वती के अवतार के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग माँ शीतला का पूजन का करते है ताकि उनके बच्चे और परिवार वाले इस तरह की बिमारियों से बचे रह सके। माता शीतला के नाम से ही स्पष्ट होता है की यह हर दुःख का निवारण करती हैै यदि किसी बच्चे को इस तरह की बीमारी हो जाए तो उन्हें माँ शीतला का पूजन करना चाहिए इससे बिमारी में राहत मिलती है और समस्या जल्दी ठीक होती है।

शीतला चालीसा

जय जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।

गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।

विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीड़ा।।

मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा।।

शोक हरी शंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी।।

सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै।।

चैसट योगिन संग दे दावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै।।

नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिर पार ना पावै।।

धन्य धन्य भात्री महारानी। सुर नर मुनी सब सुयश बधानी।।

ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।

हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।

हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।

तब माता धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।

विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।

बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मा नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।

अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।

पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।

अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।

श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।

कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।

विस्फोटक भय गृह-गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।

तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।

तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।

नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।

नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।

श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।

मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।

राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।

सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।

कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।

हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।

निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।

कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।

बंधा नारी पुत्र को पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।

सुंदर दास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।

या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।

कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।

ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।

अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।

बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।

जो यह चालीसा शीतला पाठ करे सुख-समृद्ध बैकुण्ठ पद पावे।।

समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)