बैकुण्ठ चतुर्दशी से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति
(Baikunth Chaturdashi Se Baikunth Dham Ki Prapti)
समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए
- हरतालिका तीज
- भौम प्रदोष व्रत
- तुलादान क्या है
- मोहिनी एकादशी व्रत
- पापांकुशा एकादशी व्रत
- परिवर्तिनी एकादशी
- शुक्र से सुख-समृद्धि की प्राप्ति
- माँ संतोषी सुख-समृद्धि की देवी
- शनि-कृपा से अच्छे दिन अवश्य आते हैं
- बैकुण्ठ चतुर्दशी से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति
- आरोग्य के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ
- पाप कर्मों से मुक्त करती है - जया एकादशी
- कुछ भी मांगने की आवश्यकता ही नही पड़ती
- कैसे बनता है? मंगल दोष से मंगलमयी जीवन
- पूर्णिमा के दिन पूजा से समस्त दुःख दूर होते हैं
- हर दुखों का निवारण करता है - पवित्र श्रावण मास
- हर प्रकार के दुखों से मुक्ति देती है-अनन्त चतुर्दशी
- हर प्रकार से राजयोग का संयोग बनाता है बुध ग्रह
- इस व्रत से भगवान विष्णु हर मनोकामना पूर्ण करते है
- अमावस्या के दिन पूजा से हर मनोकामना पूर्ण होती है
- इस व्रत से भगवान विष्णु हर मनोकामना पूर्ण करते है
- बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव का विभिन्न् पदार्थों से अभिषेक करने का बड़ा महत्व है। उनका विशेष श्रृंगार करके भांग, धतूरा, बेलपत्र अर्पित करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
- बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करके उनका भी श्रृंगार करना चाहिए।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान-पुण्य करना चाहिए। इससे समस्त पापों का प्रायश्चित होता है।
- नदियों में दीपदान करने से विष्णु-लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- राधा-दामोदर का पूजन सुहागिन स्त्रियों के लिए चिर सौभाग्यदायक होता है। पूजन के बाद गाय को प्रसाद खिला दें।
- तुलसी-शालिग्राम का पूजन परिवार में सुख, शांति, समृद्धि के लिए किया जाता है।
- बैकुंठ चतुर्दशी को व्रत कर तारों की छांव में तालाब, नदी के तट पर 14 दीपक जलाने चाहिए। वहीं बैठकर भगवान विष्णु को स्नान कराकर विधि विधान से पूजा अर्चना करें। उन्हें तुलसी पत्ते डालकर भोग लगाएं। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत करें। शास्त्रों की मान्यता है कि जो एक हजार कमल पुष्पों से भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन कर शिव की पूजा अर्चना करते हैं, वे बंधनों से मुक्त होकर बैकुंठ धाम पाते हैं।