जब चंद्रमा गोचर में कुंभ और मीन राशि से होकर गुजरता है तो यह समय अशुभ माना जाता है। इस दौरान चंद्रमा धनिष्ठा से लेकर शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती से होते हुए गुजरता है। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पञ्चक कहा जाता है इन नक्षत्रों की संख्या पांच होती है इस कारण भी इन्हें पंचक कहा जाता है। जब भी कोई कार्य प्रारंभ किया जाता है तो उसमें शुभ मुहूर्त के साथ पंचक का भी ध्यान रखा जाता है। हर 27 दिन के बाद नक्षत्र की पुनरावृत्ति होती है इसलिए पंचक हर 27 दिन बाद आता है। नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं इनमें अंतिम के पांच नक्षत्र दूषित माने गए है।
2025 में पंचक तिथियाँ
रोग पंचक: यदि पंचक का आरम्भ रविवार के दिन से होता है तो इसे रोग पंचक कहते हैं। रोग पंचक के कारण आने वाले 5 दिन विशेष रुप से कष्ट और मानसिक परेशानियों के होते हैं। इस पंचक में शुभ कार्यों को सर्वथा त्यागना चाहिए क्योंकि हर तरह के शुभ कार्यों में अशुभ माने जाते हैं।
अग्नि पंचक: यदि पंचक का आरम्भ मंगलवार के दिन से होता है तो इसे अग्नि पंचक कहा जाता है इस दौरान कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसलों पर अपना हक प्राप्त करने के लिए अनेक कार्य कर सकते हैं। यह पंचक अशुभ माना जाता है इसी वजह से इस पंचक में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तथा मशीनरी और औजार के काम की शुरुआत करना अशुभ होता है। इस पंचक पर इन कार्यों को करने से नुकसान होने की पूरी संभावना रहती है।
मृत्यु पंचक: यदि पंचक का आरमभ शनिवार के दिन से होता है तो इसे मृत्यु पंचक कहते है। इस पंचक के दौरान मृत्यु तुल्य कष्टों की प्राप्ति हो सकती है और यह पूरी तरह से अशुभ माना जाता है। इस दौरान आपको किसी भी प्रकार के कष्टकारी कार्य और किसी भी प्रकार के जोखिम भरे कामों को करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस पंचक के प्रभाव से आपको किसी प्रकार की चोट लग सकती है।