पद्मपुराण के अनुसार पीपल को प्रणाम करने और उसकी परिक्रमा करने से आयु लंबी होती है। जो व्यक्ति इस वृक्ष को पानी देता है वह समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। पीपल में पितरों का वास माना गया है इसमें सब तीर्थों का निवास भी होता है इसीलिए मुंडन आदि संस्कार पीपल के पेड़ के नीचे करवाने का प्रचलन भी है। शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के कुप्रभाव से बचने के लिए हर शनिवार पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शाम के समय पेड़ के नीचे दीपक जलाना भी लाभकारी सिद्ध होता है। पीपल की निरंतर पूजा अर्चना और परिक्रमा करके जल चढ़ाने से संतान की प्राप्ति होती है। प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल, कच्चा दूध थोड़ा चढ़ाकर, सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर, पीपल- इन तीनों की सविधि पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगाएं और पितृ देवाय नमः भी 4 बार बोलें तो राहु़केतु, शऩिपितृ दोष का निवारण होता है। पीपल का बृहस्पति ग्रह से सीधा संबंध होता है। पीपल में जल चढ़ाने से बृहस्पति मजबूत होता है जिसके कारण हर प्रकार से सुख-समृद्धि आती है, विवाह-संयोग बनता है।
विभिन्न तरह से पीपल के फायदे
(Benefits of Peepal in different kinds)
अस्थमा के लिए पीपल : पीपल का पत्ता अस्थमा के लिए लाभदायक होता है। (Peepal Leaf is beneficial for asthma) पीपल की पत्तियां या इसका पाउडर भी ले सकते हैं। इन्हें दूध में डालकर उबालें। इसमें थोड़ा शहद या चीनी डालकर इसका सेवन करें।
दांतों के लिए पीपल : पीपल की पत्तियों या तने से यदि दांतों को साफ किया जाए। इससे दांतों का कीडा या मुंह की बदबू दूर हो जाती है। दांतों के लिए पीपल का पत्ता लाभकारी होता है। (If teeth are cleaned with Peepal Leaves or stem. By this, the worm of the teeth or the smell of the mouth ends. Peepal Leaf is beneficial for teeth).
नकसीर के लिए पीपल : गर्मियों में बच्चे अक्सर नकसीर से पीड़ित हो जाते हैं। (In summer, children often suffer from hemorrhage) नकसीर में बिना वजह नाक से खून बहने लगता है। इसका कारण गर्मी को माना जाता है। ऐसी स्थति में पीपल की पत्तियां लाभकारी होती है। पीपल की पत्तियों को पानी में उबालें और फिर उस पानी को पी लें।
जांडिस के लिए पीपल : पीपल की पत्तियों को शक्कर के साथ मिलाकर पाउडर बना ले। (Mix the Peepal Leaves with sugar and make powder) इस पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर छान ले। इस पानी को दिन में कम से कम दो बार पीयें। एक सप्ताह तक करे यह जांडिस पीड़ितों के लिए लाभकारी होता है।
नपुंसकता मुक्त के लिए पीपल : पीपल के फलों का पाउडर बनाकर आप इसे दिन में तीन बाद दूध में आधा चम्मच मिलाकर सेवन करें। (Make powder of Peepal fruit and mix it with milk after half a teaspoon three times a day) यह नपुंसकता से मुक्त होकर शरीर को शक्तिशाली बनाता है।
ऐडियों के घाव और दर्द को कम करने के लिए पीपल : पीपल की पत्तियों से फटी हुई एड़ियों को ठीक किया जाता है। (Ankles torn from Peepal Leaves are cured) पीपल पत्तियों का लेप ऐडियों के घाव और दर्द को कम करने में आपकी मदद करता है।
खून को साफ करता पीपल के फलों का पाउडर : (Peepal fruit powder cleanses the blood) इस पाउडर में शहद मिलाकर उपयोग कर सकते है। इसके सेवन से खून में मिले अशुद्धियाँ दूर होती है।
खुजली के लिए पीपल के छाल : पीपल के छाल की राख बनाकर उसमें नींबू और घी मिलाकर तीनों का अच्छी तरह से मिश्रण बनाइए। (Itching disappears) इसका लेप खुजली वाली जगह पर लगाने से खुजली दूर होती है।
हृदय संबंधी तकलीफ के लिए पीपल : पीपल की पत्तियां को पूरी रात पानी के बर्तन में डाल दें। (Put Peepal Leaves in a pot of water overnight) अगले दिन इस पानी को दो-तीन बार में पी लें। यह हृदय संबंधी तकलीफ को कम करने में मददगार होती है। लगभग 15-20 पीपल की हर्री पत्तियां लें। इसे कैंची की मदद से पत्ते का ऊपरी और निचला भाग काट दें। पत्तियों को साफ करें और एक बर्तन में डालकर पानी में उबालें। आंच धीमी रखें और अच्छे से उबलने दें। ठंडा होने पर इसे तीन हिस्सों में निकाल लें और दिन में तीन बार सेवन करें। इस औषधि का 12 दिनों तक लगातार सेवन करने से हृदय संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। पीपल के पत्ते की दवाई कभी भी खाली पेट ना लें। ध्यान रहे इससे पहले कुछ लें और फिर इसका सेवन करें। यदि आप कोई दवाई ले रहे हैं तब पीपल के पत्ते खाने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूरी है।