कान में दर्द किसी संक्रमण या जुकाम के कारण होता है, (Ear ache is caused by an infection or a cold) लेकिन कभी-कभी कुछ अन्य कारणों से भी कान दर्द की समस्या हो जाती है। कान के मध्य से लेकर गले के पीछे तक यूस्टेशियन ट्यूब होती है। यूस्टेशियन ट्यूब कान के बीच तरल पदार्थ का उत्पादन करती है, जब ट्यूब के अवरूद्ध होने पर तरल पदार्थ का निर्माण अधिक होने लगता है तो कान के पर्दे पर दबाव पड़ने लगता है। इससे कान में दर्द होने लगता है। उपचार न होने पर तरल पदार्थ संक्रमित होकर कान में संक्रमण पैदा करता है, और इससे कान का दर्द और बढ़ सकता है। बच्चों के कान में दर्द की समस्या ज्यादातर तब देखी जाती है जब कान की नलिका को कॉटन या किसी तेज चीज से साफ की जाती है। इससे कान के अंदर चोट पहुँचती है। कई बार कान में साबुन, शैम्पू या पानी के रह जाने से भी दर्द होने लगता है।
वायुदाब में अचानक परिवर्तन दोनों कानों में प्रभाव डाल सकता है (Sudden changes in air pressure can affect both ears): कान दर्द के कारण होने वाली संवेदना सुस्त, जलन या तेज हो सकती है। कान की दर्द की गंभीरता में भिन्न हो सकती है कुछ में कोमल धड़कन दर्द और अन्य में इतनी गंभीर होती है कि चलना मुश्किल हो जाता है। कान के दर्द के कुछ सबसे सामान्य कारणों में कठोर इयरवैक्स का निर्माण, वायुदाब में त्वरित परिवर्तन, तैराक के कान, संक्रमण, आदि शामिल हैं। पहला वास्तविक दर्द है जो कान के भीतर गहरा होता, दूसरा संदर्भित दर्द है जो कान के बाहर होता है और इस तथ्य से सचेत करता है कि कुछ काफी सही नहीं है। ईयरवैक्स आमतौर पर कानों में बने ईयरवैक्स अपने आप ही निकल जाते हैं लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है।
कभी-कभी इयरवैक्स जम जाता है और कठोर हो जाता है। इससे कान के मार्ग में रुकावट होती है जो दर्द का कारण बनता है। वायुदाब में अचानक परिवर्तन दोनों कानों में बने दबाव के संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जो कुछ समय के लिए दर्दनाक हो सकता है। कान में दर्द के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। एक कान संक्रमण के प्रकारों में बाहरी, मध्य और आंतरिक कान संक्रमण शामिल हैं।बाहरी कान का संक्रमण तब होता है जब इयरफोन या श्रवण सहायता जैसे उपकरणों के उपयोग के कारण इयर केनाल के अंदर की त्वचा क्षतिग्रस्त हो जाती है। पानी के संपर्क में आने से क्षतिग्रस्त त्वचा में बैक्टीरिया के विकास की सुविधा होती है जो अंततः संक्रमण की ओर ले जाती है। मध्य कान संक्रमण आमतौर पर श्वसन पथ में संक्रमण का एक परिणाम है। इस स्थिति के कारण कान में तरल पदार्थ का संचय होता है जो बैक्टीरिया के प्रजनन की सुविधा प्रदान करता है। लैब्रिंथाइटिस यह श्वसन संबंधी बीमारियों से जुड़े संक्रमण के कारण भी होता है।
क्यों होता है कान दर्द (Why does ear pain occur?): कान दर्द वात, पित्त, कफ और रक्त के दूषित होने के कारण हो सकता है। अनुचित आहार-विहार से कान में स्थित वायु प्रकुपित होकर वात, पित्त, कफ और रक्त दोषों से मिलकर असामान्य रूप से गति करती है। इसलिए कान में चारों ओर तेज दर्द उत्पन्न होता है। सर्दी और जुकाम यदि ज्यादा दिनों तक बना रहे तो कान का दर्द हो सकता है। कान में पानी जाने की वजह से या वैक्स जमा होने की वजह से भी कान का दर्द रहता है। साइनस के संक्रमण के कारण भी कान दर्द की समस्या हो जाती है। साइनस हमारे माथे, नाक की हड्डियों, गाल और आँखों के पीछे खोपड़ी में पाया जाने वाला हवा भरा रिक्त स्थान है। साइनस के म्यूकस से अवरुद्ध होने से वहाँ पर संक्रमण हो जाता है तथा साइनस में सूजन आ जाती है। इस कारण से कान का दर्द होने लगता है। दाँत में बैक्टिरीयल इंफेक्शन होने की वजह से भी कान में दर्द होने लगता है। दाँत में कैविटी या संक्रमण होने से कई बार यह संक्रमण दाँतों का समर्थन करने वाली हड्डियों तक फैलकर गंभीर दर्द का कारण बनता है।
घरेलू उपाय कान-दर्द के लिए (Home remedy for earache)
कान-दर्द के लिए प्याज (Onion for earache): एक चम्मच प्याज का रस हल्का गुनगुना गर्म कर लें। इसे 2-3 बूँद कान में डालने से आराम मिलता है। दिन में 2 करें।
अदरक कान-दर्द के लिए उपयोगी (Ginger useful for earache): अदरक को पीस कर जैतून के तैल में मिलाएँ अब इसे छानकर इस तेल को 2-3 बूँद कान में डालें।
कान-दर्द के लिए पानी की गर्म बोतल (Hot water bottle for earache): कान दर्द में गर्माहट मिलने पर आराम महसूस होता है। हॉट वॉटर बोतल को कपड़े में लपेटकर कान पर लगाने से फायदा होता है।
बेल की जड़ कान-दर्द के लिए (Bael root for earache): बेल के पेड़ की जड़ को नीम के तेल में डुबा कर उसे जला दें और जो तेल इसमें से रिसेगा वह सीधे कान में डालें। यह कान के संक्रमण और दर्द दोनों को ठीक करता है।
कान का दर्द ठीक कैसे होगा (How to cure ear pain)
कान-दर्द के लिए मेथी कैसे काम करती है (How fenugreek works for earache): मेथी को पीसकर गाय के दूध में मिलाकर इसकी कुछ बूँदें कान में डालें। यह कान के संक्रमण में लाभदायक है।
कान-दर्द के लिए नीम उपयोगी (Neem useful for earache): नीम की पत्तियों का रस निकालकर 2-3 बूँद कान में डालें। इससे संक्रमण तथा कान के दर्द से राहत मिलती है।
कान-दर्द के लिए तुलसी फायदेमंद (Tulsi beneficial for earache): तुलसी की पत्तियों को ताजा रस कान में डालने से 1-2 दिन में ही कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
आम के पत्तों से कान-दर्द ठीक (Mango leaves cure earache): आम के पत्तों को पीसकर रस निकाल लें तथा ड्रॉपर की सहायता से 3-4 बूँद कान में डाल लें। इससे कान दर्द का इलाज होता है।
केले का तना कान-दर्द के लिए कितना फायदेमंद (Banana stem is beneficial for earache): केले के तने का रस निकाल कर सोने से पहले कान में डालें।
कान-दर्द के लिए अजवाइन लाभकारी (Ajwain beneficial for earache): अजवाइन का तेल सरसों के तेल में मिलाकर गुनगुना करें। इसे कान में डालें।
सरसों का तेल कान-दर्द के लिए (Mustard oil for earache): सरसों के तेल को गर्म कर लें और थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। रात में सोने से पहले 2 से 3 बूंदें कान में डालें।
नमक कान-दर्द में कैसे काम करता है (How salt works in earache): तीन से चार चम्मच नमक, सबसे पहले नमक को गर्म कर लें। फिर साफ सूती कपड़े में गर्म नमक को बांध लें। अब कान के आसपास सिकाई करें।
आयुर्वेद लाइफस्टाइल बीमारियों से रखे दूर-Ayurveda Lifestyle Keep Away From Diseases