मार्गशीर्ष मास को भगवान श्री कृष्ण का महीना माना गया है और पुरानी और प्रचलित कथाओं और शास्त्रों के अनुसार इस महीने में गजेन्द्र मोक्ष, विष्णु सहस्त्रनाम तथा भगवद्गीता का पाठ पढ़ने की बहुत महिमा मानी जाती है। कहते हैं कि इन्हें दिन में 2-3 बार अवश्य पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे महालाभ होता है और इस के साथ ही इस महीने में श्रीमद्भागवत ग्रंथ को देखने भर की भी विशेष महिमा मानी जाती है। कहते हैं स्कंद पुराण के अनुसार घर में अगर भागवत हो तो इस मास में दिन में एक बार उसको प्रणाम करना चाहिए। इसी के साथ इस महीने में हफ्ते के किसी भी एक दिन गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र संपूर्ण पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे बड़े से बड़े दोष से छुटकारा मिल जाता है और सारे काम सफल हो जाते हैं।
गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र (Gajendra Moksha Stotram)
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो।
जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल रुचि-रुचि-भोग लगायो।
दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
पैठ पाताल काली नाग नाथ्यो, फन पर नृत्य करायो।
गिरि गोवर्द्धन कर पर धार्यो नन्द का लाल कहायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
असुर बकासुर मार्यो दावानल पान करायो।
खम्भ फाड़ हिरनाकुश मार्यो नरसिंह नाम धरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी चीर बढ़ायो।
पय पान करत पूतना मारी कुब्जा रूप बनायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
कौरव-पाण्डव युद्ध रचायो कौरव मार हटायो।
दुर्योधन का मन घटायो मोहि भरोसा आयो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
सब सखियां मिल बन्धन बान्धियो रेशम गांठ बंधायो।
छूटे नाहिं राधा का संग, कैसे गोवर्धन उठायो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
योगी जा को ध्यान धरत हैं ध्यान से भजि आयो।
सूर श्याम तुम्हरे मिलन को यशुदा धेनु चरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
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