(SINUS KNOWLEDGE AND TREATMENT)
साइनस को अधिकतर लोग एलर्जी के रूप में देखते हैं क्योंकि उन्हें धूल, मिट्ठी, धुंआ इत्यादि की वजह से सांस लेने में परेशानी होती है। लेकिन यह एक मात्र एलर्जी नहीं है यह नाक की मुख्य बीमारी है जो मुख्य रूप से नाक की हड्डी के बढ़ने या तिरछी होने की वजह से होती है। सिर में कई खोखले छिद्र होते हैं, जो सांस लेने में हमारी मदद करते हैं और सिर को हल्का रखते हैं। इन छिद्रों को साइनस या वायुविवर कहा जाता है। जब इन छिद्रों में किसी कारणवश गतिरोध पैदा होता है, तब साइनस की समस्या उत्पन्न होती है। ये छिद्र कई कारणों से प्रभावित हो सकते हैं और बैक्टीरिया, फंगल व वायरल इसे गंभीर बना देते हैं।
साइनस नाक की समस्या है, जिसे साइनुसाइटिस (Sinusitis) से भी जाना जाता है। मेडिकल साइंस ने साइनुसाइटिस को क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का माना है। आयुर्वेद में भी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय एक्यूट साइनुसाइटिस और पक्व प्रतिश्याय क्रोनिक साइनुसाइटिस के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी उस स्थिति में होती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की हड्डी बढ़ जाती है और जिसकी वजह से उसे जुखाम रहता है। कई बार यह बीमारी समय के साथ ठीक हो जाती है, लेकिन यदि काफी लंबे समय तक रह जाए तो उसके लिए नाक की सर्जरी की अधिकता बढ़ जाती है।
साइनस के प्रकार (Types of sinus)
एक्यूट साइनस (Acute sinus): यह सामान्य साइनस है, जिसे इंफेक्शन साइनस के नाम से भी जाना जाता है। एक्यूट साइनस मुख्य रूप से उस स्थिति में होता है जो कोई व्यक्ति किसी तरह के वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाता है। एक्यूट साइनोसाइटिस दो से चार हफ्तों तक रहता है, जबकि क्रॉनिक साइनोसाइटिस 12 हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक रहता है।
क्रोनिक साइनस (Chronic sinus): यह ऐसी स्थिति से है जिसमें नाक के छेद्रों के आस-पास की कोशिकाएं सूज जाती हैं। क्रोनिक साइनस होने पर नाक सूज जाता है और इसके साथ में व्यक्ति को दर्द भी होता है।
जुकाम साइनस का कारण (Cause of cold sinus): साइनस का सबसे सामान्य कारण जुकाम है, जिसकी वजह से नाक निरंतर बहती है या फिर बंद हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है।
प्रदूषण के कारण साइनस (Sinus due to pollution): साइनस की समस्या प्रदूषण के कारण भी हो सकती है। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के कारण साइनस की समस्या बढ़ सकती है। ये हानिकारक कण सीधे श्वास नली पर अपना प्रवाह डालते है।
नाक की हड्डी बढ़ना साइनस का कारण (Nasal bone enlargement causes of sinus): नाक की हड्डी बढ़ने के कारण भी साइनस की समस्या हो जाती है। नाक पर चोट लगने या दबने के कारण नाक की हड्डी एक तरफ मुड़ जाती है, जिससे नाक का आकार टेढ़ा दिखाई देता है। हड्डी का यह झुकाव नाक के छिद्र को प्रभावित करता है, जिससे साइनस की समस्या हो सकती है।
अस्थमा साइनस का कारण (Sinus cause asthma): अस्थमा सांस संबंधी गंभीर बीमारी है जो फेफड़ों और श्वास नलियों को प्रभावित करती है। अस्थमा से ग्रसित मरीज ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता जिसके लिए उसे स्पेसर की आवश्यकता पड़ती है। इन हालातों में मरीज को साइनस की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं।
साइनस के लक्षण (Symptoms of sinus)
सिरदर्द साइनस के लक्षण (Headache sinus symptoms): साइनस का सबसे सामान्य लक्षण सिरदर्द है। वायु विवर बंद होने या सूजन की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, क्येंकि इससे सिर और नसों पर दबाव पड़ता है।
बुखार साइनस के लक्षण (Symptoms of fever sinus): साइनस के दौरान बुखार भी आ सकता है और बेचैनी या घबराहट भी हो सकती है या फिर बुखार आ सकता है।
आँखों के ऊपर दर्द साइनस के लक्षण (Pain over eyes symptoms of sinus): साइनस कैविटीज आंखों के ठीक ऊपर भी होते हैं, जहां सूजन या रुकावट के कारण दर्द शुरू हो जाता है।
सूंघने की शक्ति कमजोर होना साइनस के लक्षण (Loss of smell symptoms of sinus): खोखले छिद्रों में अवरोध पैदा होने के कारण सूंघने की शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में नाक बंद हो जाती है और सूजन के कारण इंद्रियां अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं।
दांतों में दर्द साइनस के लक्षण (Symptoms of toothache sinus): साइनस संक्रमण के कारण दांतों में भी दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि साइनस कैविटीज में बनने वाला तरल पदार्थ मैक्सिलरी साइनस नाक के पास ऊपरी दांतों पर दबाव डालता है।
खांसी साइनस के लक्षण (Cough symptoms of sinus): तेज खांसी को भी साइनस का मुख्य लक्षण माना गया है। साइनस से गले और फेफड़े प्रभावित होते हैं, जिससे मरीज खांसी की चपेट में आ जाता है।
साइनस के घरेलू उपचार (Sinus home remedies)
योग साइनस के लिए फायदेमंद (Yoga is beneficial for sinus): वर्तमान समय में योगा को किसी भी बीमारी के इलाज के सर्वोत्तम तरीके के रूप में देखा जाता है। इसी प्रकार साइनस का इलाज योगा के द्वारा संभव है इसके लिए कुछ योगासान जैसे कपालभाती, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम इत्यादि को किया जा सकता है।
अदरक साइनस के लिए फायदेमंद (Ginger is beneficial for sinus): अदरक के अन्दर जिन्जिरोल नाम का एक एक्टिव कंपाउंड पाया जाता है। सदियों से इसका उपयोग पाचन और सांस से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किया जाता रहा है। इसमें बहुत से एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं। यह शरीर में साइनस के टिश्यू में सूजन उत्पन्न करने वाले कई किस्म के वायरल और बैक्टीरियल के संक्रमण की रोकथाम करता है।
काली मिर्च साइनस के लिए फायदेमंद (Black pepper is beneficial for sinus): एक कटोरे सूप में एक छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर डालें और धीरे-धीरे पियें। ऐसा हफ्तों में दो-तीन बार दिन में करें। काली मिर्च के सेवन से साइनस की सूजन कम हो जाएगी और बलगम सूख जाएगा।
साइनस के लिए घरेलू दवा (Home medicine for sinus)
दालचीनी साइनस के लिए फायदेमंद (Cinnamon is beneficial for sinus): एक गिलास गरम पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर मिक्स करें और दिन में एक बार पिएं। ऐसा दो हफ्ते तक करने से जरूर आराम मिलता है।
तुलसी साइनस के लिए फायदेमंद (Basil is beneficial for sinus): तुलसी का काढ़ा इस तरह से बनाकर पीने से आराम मिलता है। तुलसी के पत्ते कुछ पत्ते, कुछ काली मिर्च, कुछ मिश्री, 2 ग्राम अदरक, 1 गिलास पानी। इन सब को 1 ग्लास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर प्रातः खाली पेट जितना गर्म हो सके पी लें।
साइनस की जानकारी और इलाज (Sinus knowledge and treatment)
एसेंशियल ऑयल साइनस के लिए फायदेमंद (Essential oil is beneficial for sinus): एसेंशियल ऑयल की दो से तीन बूंदें। तेल को डिफ्यूजर में डाल कर इसकी खुशबू को सूंघें। हथेली में तेल लेकर नाक और सिर की हल्की मसाज भी कर सकते हैं। एसेंशियल ऑयल की खुशबू को सूंघने को एरोमाथेरेपी कहते हैं। यह थेरेपी साइनस की बीमारी में होने वाली सूजन और बैक्टीरिया से बचाव में मददगार हो सकती है।
सेब का सिरका साइनस के लिए फायदेमंद (Apple cider vinegar is beneficial for sinus): सेब का सिरका एक चैड़े बर्तन में डालें। अब उसमें करीब एक लीटर पानी डाल दें। फिर बर्तन को गैस पर रखकर गर्म करें। जैसे ही पानी से भाप निकलने लगे, बर्तन को गैस से उतार लें। फिर, तौलिए से सिर को ढककर भाप लें।
ग्रीन टी साइनस के लिए फायदेमंद (Green tea is beneficial for sinus): एक चम्मच ग्रीन टी या फिर एक ग्रीन टी बैग। एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। थोड़ी देर बाद चाय को छान लें। अगर टी बैग का इस्तेमाल किया है, तो उसे निकाल लें। स्वाद के लिए इसमें शहद और नींबू डाल सकते हैं। एक दिन दो से तीन कप चाय पी सकते हैं। कैसे लाभदायक है।
शहद साइनस के लिए फायदेमंद (Honey is beneficial for sinus): दो चम्मच शहद। आधा चम्मच नींबू का रस। एक गिलास पानी। एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद मिला लें। अब इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें मिला लें। इसे रोज सुबह-शाम पिएं।
साइनस से छुटकारा के लिए अपनाएं (Follow these steps to get rid of sinus)
लेमन बाम साइनस के लिए फायदेमंद (Lemon balm is beneficial for sinus): लेमन बाम के तेल को हाथ में लेकर सिर, नाक और गले की मसाज कर सकते हैं। लेमन बाम की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़े के रूप में पी सकते हैं।
सैल्मन मछली एलर्जी रोकथाम के लिए फायदेमंद (Salmon fish is beneficial for allergy prevention): सैल्मन मछली भी एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मददगार होती है। सैल्मन, सार्डिन और मैकेरल जैसी फैटी फिश ओमेगा-3 फैटी एसिड के जरिए शरीर में एलर्जी और सूजन से लड़ती हैं। फैटी फिश कोशिका झिल्ली को स्थिर रखती है। ज्यादा मछली खाने वालों को बुखार कम होता है।
टमाटर (Tomato is beneficial for allergy prevention): टमाटर में भी विटामिन सी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा टमाटर में एलर्जी से लड़ने वाले सारे जरूरी तत्व पाए जाते हैं। टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन एक एंटीऑक्सीडेंट यौगिक होता है जो इंफ्लेमेशन को कम करता है। टमाटर के जूस में 85 फीसदी ज्यादा लाइकोपीन पाया जाता है। लाइकोपीन अस्थमा के मरीजों के फेफड़ों में सुधार करता है।
मिर्च वाला खाना फायदेमंद (Chili is beneficial in allergy): मिर्च और मसाले वाला खाना भी शरीर में एलर्जी को कम करता है। सौंफ, गर्म सरसों और काली मिर्च जैसी चीजें कफ को नेचुरल तरीके से बाहर निकालती हैं। इनके सेवन से बंद नाक खुल जाती है और बलगम बाहर आ जाता है। कफ, सीने में जकड़न और सिर दर्द होने पर मिर्च वाला खाना खाने से राहत मिलती है।
आयुर्वेद लाइफस्टाइल बीमारियों से रखे दूर- Ayurveda Lifestyle keep away from diseases
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