रेमडेसिविर एक एंटी वायरल दवा है, साल 2009 में अमेरिकी दवा कंपनी गिलीएड साइंसेज ने हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए रेमडेसिविर बनाई। ये दवा सुई के माध्यम से धमनियों में लगाई जाती है। उस समय ये दवा हेपेटाइटिस सी को रोकने में नाकाम रही। रेमडेसिविर का इंजेक्शन जब वायरस से संक्रमित व्यक्ति को लगाया जायेगा तो रेमडेसिविर मरीज के शरीर में वायरस के (RNA) को रोक देती है। रेमडीसिविर एक न्यूक्लियोसाइड राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) पोलीमरेज इनहिबिटर इंजेक्शन है। इसका निर्माण सबसे पहले वायरल रक्तस्रावी बुखार इबोला के इलाज के लिए किया गया था।
यह वायरस की पुनरावृत्ति को रोकने में इस्तेमाल होता है। इसको 2014 में ईबोला के इलाज के लिए उपयोग में लाया गया था। इसके बाद इसे SARS और MERS के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया गया है। 2020 में इसे कोविड उपचार के लिए पुनर्निर्मित किया गया था। अब ये भारत में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही है।दरअसल, जिस रेमडीसिविर इंजेक्शन के लिए फलिहाल इतनी मारामारी चल रही है, वो सबसे पहले हेपेटाइटीस सी के लिए बनाया गया था। इसके बाद उसे इबोला और मिडलि ईस्ट रेस्परिेटरी सिंड्रोम एमईआरएस के लिए के लिए इस्तेमाल किया गया।
लेकिन जैसा कि अभी हो रहा है, कोविड-19 के संक्रमण में एक जीवन रक्षक ड्रग के तौर पर इसका इस्तेमाल गलत है। डॉक्टरों के मुताबकि रेमडीसिविर इंजेक्शन सिर्फ मरीज के अस्पताल में रहने के समय को दो या तीन दिन घटा सकता है।
कोविड-19 के खिलाफ रेमडेसिविर कितनी असरदार है इसका पता लगाने के लिए अब तक कई ट्रायल और स्टडीज हो चुकी हैं। ऐसा ही एक ट्रायल अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने भी किया था जिसमें यह सुझाव दिया गया कि रेमडेसिवियर कोविड-19 के मरीजों के रिकवरी टाइम को 31 प्रतिशत तक बेहतर कर सकती है और इस तरह से मरीज 11वें दिन में अस्पताल से बाहर आ सकता है। जबकी स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट में मरीज को 15 दिन के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलती है।
अध्ययनों में दावा किया गया है कि यह हल्के बीमार रोगियों में और अस्पताल में भर्ती होने के शुरुआती चरण में कोरोना के इलाज के लिए सहायक है, लेकिन गंभीर रोगियों में इसके इस्तेमाल का प्रभाव कम पड़ता है। वहीं रेमडेसिविर को लेकर WHO ने कहा है कि अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे ये पुष्टि की जा सके कि रेमडेसिविर कोरोना वायरस के इलाज के लिए काम करता है।
इस दवा का निर्माण करने वाली कंपनी गिलीएड ने इस संबंध में लिखा है, रेमडेसिविर एक प्रयोगात्मक दवा है जिसके सुरक्षित होने, या किसी भी बीमारी के इलाज में कारगर होने की पुष्टि नहीं हुई है। कंपनी ने इसके साइड इफेक्ट हो सकने की भी चेतावनी दी है।
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