अब कभी नहीं रहेगी घर में पैसों की कमी-There will never be any shortage of money in the house

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घर में पैसों की कमी अब कभी नहीं रहेगी
(There will never be any shortage of money in the house)

माता लक्ष्मी पृथ्वी पर निवास करने के दौरान भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा करना चाहती थी।माता लक्ष्मी ने बहुत विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले के वृक्ष में होते हैं और आंवला वृक्ष भगवान शिव और विष्णु का प्रतीक है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को भगवान विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव प्रकट हुए। माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर भगवान विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी, तभी से आंवला पूजन की  शुरुआत हुई।

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी मनाए जाने की परंपरा है। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। शास्त्रों में वर्णित है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं भगवान शिव का निवास होता है और इस दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

अक्षय शुभ, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अक्षय तिथि पर पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है इसके अलावा व्यक्ति को आरोग्यता व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी पर पूजा, स्नान और दान करने से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। इसी कारण से अक्षय नवमी का विशेष महत्व होता है। अक्षय नवमी पर आंवले के कुछ विशेष उपाय करने से धन संबंधी समस्याएं खत्म हो सकती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी की तिथि पर ही सतयुग की शुरुआत हुई थी इसी कारण इसे सत्य युगादि के नाम भी जाना जाता है। इसके अलावा अक्षय नवमी की तिथि के दो दिन बाद सृष्टि का पालनहार भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं इस कारण से इसका महत्व अधिक माना जाता है।

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आंवला नवमी के दिन उपाय

• अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की आराधना करें। आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी का वास रहता है।

• अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें भोग में आंवला जरूर चढ़ाएं।

• अक्षय नवमी के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। आंवला नवमी के दिन किए गया दान और ब्राह्राणों को भोजन कराने से धन-सम्पदा और सुख-शान्ति में कई गुना बढ़ोत्तरी होती है।

• आंवला नवमी पर नई चीजों की खरीदारी शुभ मानी जाती है। 

• आंवला नवमी के दिन आंवले का सेवन करना चाहिए। 

• अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा अत्यधिक फलदायी होती है, लेकिन दोनों पक्षों की एकादशी पर भी इसके प्रयोग बहुत शुभ होते हैं। एकादशी पर जो लोग पानी में आंवले का रस डालकर स्नान करते हैं, उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

• अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे गरीबों को भोजन कराना बहुत ही उत्तम माना गया है। जो लोग ये उपाय करते हैं, उनके घर में अन्न-धन के भंडार कभी खत्म नहीं होते हैं।

• अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के पत्तों पर हल्दी का स्वस्तिक बनाएं और उसका वंदनवार बनाकर अपने घर के मुख्य द्वार पर टांग दें। इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा। घर की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और तनाव या लड़ाई-झगड़ों की समस्याएं भी खत्म होंगी

• अक्षय नवमी पर आंवले का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से इंसान की हर मनोकामना पूरी हो जाती है और जीवन के सारे कष्ट भी दूर हो जाते हैं।

• अक्षय नवमी के दिन घर के आस-पास आंवले का पौधे लगाना भी बहुत शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है माना जाता है कि घर के आस-पास आंवले का पौधा लगा होने से बुरी नजर भी परिवार को नहीं लगती है। क्योंकि यह पौधा ही सारी नकारात्मक ऊर्जा अपने आप में समा लेता है।

• आंवले की पूजा करने से न सिर्फ भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें आंवला अर्पित करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में विष्णु जी खुशियां और मां लक्ष्मी धन लेकर पधारते हैं।

• आंवला नवमी पर लोग पवित्र नदी में स्नान, ध्यान, दान आदि करके भगवान से हर मनोकामना को पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं। 

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