जब किसी पूजा–पाठ या अनुष्ठान की शुरुआत की जाती है तो संकल्प लेना बहुत ही जरूरी होता है। यह परम्परा सनातन धर्म के प्राम्भ चली आ रही है। बिना संकल्प के पूजा का फल नहीं मिलता। यदि आप संकल्प नहीं लेते हैं तो आपकी पूजा का फल इंद्रदेव को प्राप्त हो जाता है। अगर आप एक बार पूजा का संकल्प ले लेते हैं तो तो उस पूजा को पूर्ण करना आवश्यक होता है।
हाथ में जल, फूल और चावल ( अक्षत ) और सिक्का लें और फिर निम्न पंक्तियों में दिए गए मंत्र को ध्यान से पढ़िए
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2071, तमेऽब्दे प्लवंग नाम संवत्सरे दक्षिणायने ……. ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे ……. मासे …… पक्षे …….. तिथौ ……. वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री ……….. (जिस देवी.देवता की पूजा कर रहे हैं उनका नाम ले)पूजनं च अहं करिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन निर्विघ्नतापूर्वक कार्य सिद्धयर्थं यथामिलितोपचारे गणपति पूजनं करिष्ये।
जब आप संकल्प मंत्र बोल लें, फिर उसके बाद आपने हाथ में जो सामग्री ली है, उसे नीचे छोड़ दें।
अमुक अयने – उत्तरायन/दक्षिणायन
अमुक ऋतौ – वसंत आदि छह ऋतु हैं
अमुक मासे – चैत्र आदि 12 मास हैं
अमुक तिथौ – तिथि का नाम
अमुक वासरे – दिन का नाम
मां दुर्गा पूजा के लिए संकल्प मंत्र
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