बरगद के पेड़ को पवित्र और दैव शक्ति से युक्त माना जाता है। बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। इसी कारण हिंदू शास्त्रों में इसकी पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, इसे अक्षयवट भी कहते हैं। वट वृक्ष की जड़ें जमीन में दूर-दूर तक फैल जाती हैं। मान्यता है कि इसकी छाल में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव विराजते हैं। जैन धर्म में मान्यता है कि तीर्थंकर ऋषभदेव ने अक्षय वट के नीचे तपस्या की थी। यह स्थान प्रयाग में ऋषभदेव तपस्थली के नामसे जाना जाता है।
• अगर काम बनते बनते रुक जाते हैं तो रविवार के दिन बरगद के पत्ते पर अपनी मनोकामना लिखकर किसी नदी में बहा दें। इससे जल्द मनोकामना पूरी होने के योग बनने लगते हैं।
• घर या परिवार में किसी चीज या कलह से परेशान रहने वाले लोगों को रोज शाम को बरगद के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। इससे घरपरिवार में कलह खत्म होती है और विवादित चीजों का अंत होता है।
• अगर घर में किसी को बेवजह डर लगता है या मानसिक तनाव रहता है तो बरगद के नीचे हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय खत्म होता है और मानसिक तनाव में राहत मिलती है।
• व्यापार में मेहनत करने के बाद भी इजाफा नहीं हो रहा है तो शनिवार को बरगद के पेड़ के नीचे पान-सुपारी और एक सिक्का रख कर अपनी परेशानी कह दें। इससे व्यापार की बाधाएं समाप्त होने के योग बनने लगते हैं।
• अगर घर में नकारात्मक ऊर्जा हावी रहती है तो पूजा स्थल के पास बरगद के पेड़ की टहनी रख लीजिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और साथ ही बरगद की टहनी को दफ्तर और दुकान में भी रख सकते हैं वहां भी इससे लाभ मिलेगा और फायदा होगा।
• बरगद के पेड़ पर सफेद सूत के धागे को 11 बार बांधें और जल अर्पण करें इससे धन लाभ की संभावनाएं बनती हैं।
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