श्री हरि स्तुति-Shri Hari Stuti

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श्री हरि स्तुति

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा।।
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना।
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना।।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।
खुशी की प्राप्ति के लिए विष्णु जी के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 

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श्री हरि स्तुति-Shri Hari Stuti, vishnu stuti, bhagwan vishnu stuti, vishnu narayan stuti, pitambara stuti, shri hari vishnu stuti.

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।
लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

भगवान विष्णु को जगतपालक कहा जाता है। वे पूरी दुनिया के पालनहार हैं इसलिए हमेशा पीले फूल व पीला वस्त्र उन्हें अर्पित करने चाहिए और इस मंत्र से उनका स्मरण करना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मक विचारों और घटनाओं का विकास होता है। भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा जिस घर में होती है वहाँ सुख और समृद्धि का भी वास होता है। 

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