हर संकट दूर करता है संकट चौथ व्रत - Har Sankat Door Karta Hai Sankat Chauth Vrat

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हर संकट दूर करता है संकट चौथ व्रत
(Every Crisis Resolves Sankat Chauth Fast)

माघ माह कृष्ण पक्ष में चतुर्थी के दिन संकट चौथ व्रत किया जाता है इसे तिल चौथ, माही चौथ जैसे विभिन्न प्रकार के नामों से जाना जााता है। गणेश जी ने इसी दिन देवताओं की मदद की और उनके ऊपर आये संकट को दूर किया। भगवान शिव गणेश जी के इस पराक्रम से अति प्रसन्न हुए और गणेश जी को आर्शीवाद दिया। इस दिन को संकट मोचन के रूप में जाना जायेगा। जो भी मनुष्य इस दिन का व्रत करेगा उसके सारे कष्ट इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाएंगे। 

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संकट चौथ व्रत से बुद्धि-सिद्धि की प्राप्ति के साथ-साथ जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं का नाश होगा। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती है और मिट्टी को गणेश जी आकृति देकर उनकी पूजा करती है और कथा सुनने के बाद लोटे में भरा जल चंद्रमा को अर्घ देकर व्रत पूर्ण किया जाता है। पुराणों में भी संकट चतुर्थी का विशेष महत्व है गणेश जी को तिल-गुड़ के लडडू का भोग अति शुभ माना जाता है। इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र पहने और गणेश जी की पूजा करते समय मुहं पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

संकट चौथ व्रत के दिन इन चीजों का ध्यान रहे (Keep These Things In Mind On The Day Of Sankat Chauth Fast)

1) संकट चैथ व्रत के दिन भूलकर भी भगवान श्रीगणेश को तुलसी का भोग न चढ़ाएं। इससे विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। पूजा के दौरान व्रती महिलाएं उन्हें दुर्वा चढ़ाए।

2) जमीन के अंदर उगने वाले खाद्य सामग्रियों का सेवन न करें। ऐसे में मूली, प्याज, चुकंदर, गाजर जैसे सामग्रियों को न खाएं।

3) चांद को अर्घ्य दिए बिना व्रत अपने न तोड़ें। सकट चैथ व्रत तब पूरा होता है जब चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

4) आज के दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें। किसी भी पूजा में काले वस्त्र का पहनना अशुभ माना जाता है। 

5) भगवान गणेश की पूजा के दौरान अर्घ्य देते समय जल के छींटे शरीर पर न पड़ने दें। 

श्री गणेश कृपा की कथा (The Story Of Shri Ganesh Graciousness)

एक साहूकार और उसकी पत्नी धर्म पुण्य को नहीं मानते थे इसलिए उनके पास कोई संतान नही थी। एक दिन साहूकारनी अपने पड़ोसन के घर गई उस दिन संकट चौथ था पड़ोसन संकट चौथ की पूजा करके कहानी सुन रही थी। साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा तुम क्या कर रही हो? तब पड़ोसन बोली कि आज संकट चौथ का व्रत है इसलिए कहानी सुन रही हूं। तब साहूकारनी बोली कि चौथ का व्रत करने से क्या होता है? पड़ोसन ने कहा कि यह व्रत करने से अन्न, धन, सुहाग, पुत्र सबकी प्राप्ति होती है तब साहूकारनी ने कहा यदि मेरा गर्भ रह जाये तो मैं सवा सेर तिलकूट करूंगी और चौथ का व्रत भी करूंगी। श्री गणेश भगवान की कृपा से साहूकारनी का गर्भ रह गया। साहूकारनी बोली कि मेरा लड़का हो जाये तो मैं ढ़ाई सेर तिलकूट करूंगी। कुछ दिन बाद उसका लड़का हो गया। साहूकारनी बोली भगवान मेरे बेटे का विवाह हो जायेगा तो मैं सवा पांच सेर का तिलकूट करूंगी। कुछ वर्षों के बाद उसके बेटे का विवाह तय हो गया और उसका बेटा विवाह करने चला गया लेकिन साहूकारनी ने तिलकूट नहीं किया इस कारण से चौथ देव क्रोधित हो गये और उन्होंने फेरों से उसके बेटे को उठाकर पीपल के पेड़ पर बिठा दिया। सभी वर को खोजने लगे लेकिन वह कहीं नही मिला निराश होकर सारे लोग अपने-अपने घर लौट गये। 

जिस लड़की से उस साहूकारनी के बेट का विवाह होने वाला था वह अपनी सहेलियों के साथ गनगौर पूजने के लिए जंगल में दूब लेने गयी  हुई थी तभी रास्ते में एक पीपल के पेड़ से आवाज आई आ मेरी अर्द्धब्याही यह बात सुनकर जब लड़की अपने घर आई उसके बाद से वह घीरे-धीरे सूखने लगी। एक दिन लड़की की मां ने कहा-मैं तुझे अच्छा खिलाती हूं, अच्छा पहनाती हूं, फिर भी तू सूखती जा रही हो ऐसा क्यों? तब लड़की अपनी मां से बोली कि वह जब भी दूब लेने जंगल जाती है, तो पीपल के पेड़ से एक आदमी बोलता है कि आ मेरी अर्द्धब्याही। उसने मेंहंदी लगा रखी है, सेहरा भी बांध रखा है। तब उसकी मां ने पीपल के पेड़ के पास जाकर देखा कि यह तो उसका जमाई है तब उस लड़की की मां ने अपने जमाई से कहा- यहां क्यों बैठे हो? मेरी बेटी को अर्द्धब्याही कर दिया और अब क्या लेगा?

साहूकारनी का बेटा बोला-मेरी मां ने चौथ का तिलकूट बोला था लेकिन नही किया इसलिए चौथ माता ने नाराज होकर मुझे यहां बैठा दिया। यह सुनकर उस लड़की की मां साहूकारनी के घर गई और उससे पूछा कि तुमने संकट चौथ का कुछ बोला है क्या? तब साहूकारनी बोली-तिलकुट बोला था। साहूकारनी बोली यदि मेरा बेटा आ जाये तो ढ़ाई मन का तिलकूट करूंगी। इससे श्री गणेश जी प्रसन्न हो गये और उसके बेटे को फेरों में लाकर बैठा दिया। बेटे का विवाह धूमधाम से हो गया जब साहूकारनी के बेटे-बहू घर में आ गये तब साहूकारनी ने ढ़ाई मन का तिलकूट किया और बोली कि हे चौथ देवता आपके आर्शीवाद से मेरे बहू-बेटा घर आये हैं जिससे में हमेशा तिलकूट करके व्रत करूंगी इसके बाद से सारे नगरवासियों ने तिलकूट के साथ संकट चौथ का व्रत करना आरम्भ किया।  हे संकट चौथ जी जिस तरह साहूकारनी के बेटे-बहू से मिलवाया, वैसे ही इस कथा को कहने-सुनने वालों का संकट दूर करना।
श्री गणेश जी के 108 नाम हर दुःख कष्ट दूर करेंगे (108 Names Of Shri Ganesh Ji Will Remove Every Sorrow And Crisis)

1. बालगणपति : सबसे प्रिय बालक
2. भालचन्द्र : जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो
3. बुद्धिनाथ : बुद्धि के भगवान
4. धूम्रवर्ण : धुंए को उड़ाने वाले 
5. एकाक्षर : एकल अक्षर
6. एकदन्त: एक दांत वाले
7. गजकर्ण : हाथी की तरह आंखों वाले
8. गजानन: हाथी के मुख वाले भगवान
9. गजवक्र : हाथी की सूंड वाले 
10. गजवक्त्र:  हाथी की तरह मुंह है
11. गणाध्यक्ष : सभी जनों के मालिक
12. गणपति : सभी गणों के मालिक
13. गौरीसुत : माता गौरी के बेटे 
14. लम्बकर्ण : बड़े कान वाले देव
15. लम्बोदर : बड़े पेट वाले 
16. महाबल : अत्यधिक बलशाली  
17. महागणपति : देवादिदेव
18. महेश्वर: सारे ब्रह्मांड के भगवान
19. मंगलमूर्ति : सभी शुभ कार्यों के देव
20. मूषकवाहन : जिनका सारथी मूषक है
21. निदीश्वरम : धन और निधि के दाता
22. प्रथमेश्वर : सब के बीच प्रथम आने वाले 
23. शूपकर्ण : बड़े कान वाले देव
24. शुभम : सभी शुभ कार्यों के प्रभु
25. सिद्धिदाता:  इच्छाओं और अवसरों के स्वामी
26. सिद्दिविनायक : सफलता के स्वामी
27. सुरेश्वरम : देवों के देव। 
28. वक्रतुण्ड : घुमावदार सूंड वाले 
29. अखूरथ : जिसका सारथी मूषक है
30. अलम्पता : अनन्त देव। 
31. अमित : अतुलनीय प्रभु
32. अनन्तचिदरुपम : अनंत और व्यक्ति चेतना वाले 
33. अवनीश : पूरे विश्व के प्रभु
34. अविघ्न : बाधाएं हरने वाले। 
35. भीम : विशाल
36. भूपति : धरती के मालिक  
37. भुवनपति: देवों के देव। 
38. बुद्धिप्रिय : ज्ञान के दाता 
39. बुद्धिविधाता : बुद्धि के मालिक
40. चतुर्भुज: चार भुजाओं वाले
41. देवादेव : सभी भगवान में सर्वोपरि 
42. देवांतकनाशकारी: बुराइयों और असुरों के विनाशक
43. देवव्रत : सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले
44. देवेन्द्राशिक : सभी देवताओं की रक्षा करने वाले
45. धार्मिक : दान देने वाले 
46. दूर्जा : अपराजित देव
47. द्वैमातुर : दो माताओं वाले
48. एकदंष्ट्र: एक दांत वाले
49. ईशानपुत्र : भगवान शिव के बेटे
50. गदाधर : जिनका हथियार गदा है
51. गणाध्यक्षिण : सभी पिंडों के नेता
52. गुणिन: सभी गुणों के ज्ञानी
53. हरिद्र : स्वर्ण के रंग वाले
54. हेरम्ब : मां का प्रिय पुत्र
55. कपिल : पीले भूरे रंग वाले 
56. कवीश : कवियों के स्वामी
57. कीर्ति : यश के स्वामी
58. कृपाकर : कृपा करने वाले
59. कृष्णपिंगाश : पीली भूरी आंख वाले
60. क्षेमंकरी : माफी प्रदान करने वाला
61. क्षिप्रा : आराधना के योग्य
62. मनोमय : दिल जीतने वाले
63. मृत्युंजय : मौत को हराने वाले
64. मूढ़ाकरम : जिनमें खुशी का वास होता है
65. मुक्तिदायी : शाश्वत आनंद के दाता
66. नादप्रतिष्ठित : जिन्हें संगीत से प्यार हो
67. नमस्थेतु : सभी बुराइयों पर विजय प्राप्त करने वाले
68. नन्दन: भगवान शिव के पुत्र  
69. सिद्धांथ: सफलता और उपलब्धियों के गुरु
70. पीताम्बर : पीले वस्त्र धारण करने वाले 
71. प्रमोद : आनंद   72. पुरुष : अद्भुत व्यक्तित्व
73. रक्त : लाल रंग के शरीर वाले 
74. रुद्रप्रिय : भगवान शिव के चहेते
75. सर्वदेवात्मन : सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकर्ता  
76) सर्वसिद्धांत : कौशल और बुद्धि के दाता
77. सर्वात्मन : ब्रह्मांड की रक्षा करने वाले 
78. ओमकार : ओम के आकार वाले 
79. शशिवर्णम : जिनका रंग चंद्रमा को भाता हो
80. शुभगुणकानन : जो सभी गुणों के गुरु हैं
81. श्वेता : जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध हैं 
82. सिद्धिप्रिय : इच्छापूर्ति वाले
83. स्कन्दपूर्वज : भगवान कार्तिकेय के भाई
84. सुमुख : शुभ मुख वाले
85. स्वरूप : सौंदर्य के प्रेमी
86. तरुण : जिनकी कोई आयु न हो
87. उद्दण्ड : शरारती
88. उमापुत्र : पार्वती के पुत्र 
89. वरगणपति : अवसरों के स्वामी
90. वरप्रद : इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता
91. वरदविनायक: सफलता के स्वामी
92. वीरगणपति : वीर प्रभु
93. विद्यावारिधि : बुद्धि के देव
94. विघ्नहर : बाधाओं को दूर करने वाले
95. विघ्नहत्र्ता: विघ्न हरने वाले 
96. विघ्नविनाशन : बाधाओं का अंत करने वाले
97. विघ्नराज : सभी बाधाओं के मालिक
98. विघ्नराजेन्द्र : सभी बाधाओं के भगवान
99. विघ्नविनाशाय : बाधाओं का नाश करने वाले 
100. विघ्नेश्वर :  बाधाओं के हरने वाले भगवान
101. विकट : अत्यंत विशाल
102. विनायक : सब के भगवान
103. विश्वमुख : ब्रह्मांड के गुरु
104. विश्वराजा : संसार के स्वामी
105. यज्ञकाय : सभी बलि को स्वीकार करने वाले 
106. यशस्कर : प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी
107. यशस्विन : सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव
108. योगाधिप : ध्यान के प्रभु  

समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To Get Rid Of All Problems)


बोलो श्री गणेश जी की जय।