एक बार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी में श्रेष्ठता को लेकर बहस होने लगी। माता लक्ष्मी का मानना था कि समस्त संसार उनकी वजह से चल रहा है। जबकि भगवान विष्णु कहना था कि सृष्टि के कर्ता होने के कारण समस्त संसार उनकी वजह से चल रहा है। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से क्रोध में कह दिया अपने घर को एक संतान दे न पायी तुम कैसे समस्त संसार को चलाओगी। माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु की इस बात से अति दुखः हुआ और माता लक्ष्मी दुखी होकर माता पार्वती के पास गयी और सारी बातें बताई।
यह सब सुनकर माता पार्वती बोली मेरी दो संतानें है, कार्तिकेय और गणेश इनमे से जो तुम्हें चाहिये ले लो। माता लक्ष्मी यह सुनकर अति प्रसन्न हुई और गणेश जी पर अपनी सहमति जताई तब माता पार्वती जी ने गणेश को दे दिया माता। पार्वती का इतना बड़ा त्याग देखकर माता लक्ष्मी अत्यधिक प्रसन्न हुई और बोली अपने दत्रक पुत्र गणेश का विवाह में ऋद्धि और सिद्धि से करूंगी। माता लक्ष्मी ने वरदान दिया कि मेरी पूजा तब पूरी होगी जब मेरे साथ गणेश की पूजा भी हो। इसलिए लक्ष्मी-गणेश पूजा का अपना बहुत महत्व है।
एक साथ लक्ष्मी-गणेश की कृपा (Ek saath lakshmi-Ganesh ki kirpa): लक्ष्मी गणेश की पूजा से बिगड़े कार्यों में सफलता तथा सम्पूर्ण जीवन में धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। दीपावली के शुभ दिन इनकी पूजा-स्थापना का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने से शीघ्र ही मनोकामना पूरी होती है और इस दिन की पूजा से समस्त जीवन में धन का अभाव रहेगा।
हर बिगड़े काम में सफलता मिलती है (Har bigade kaam mein safalta milti hai): लक्ष्मी-गणेश की पूजा से सारे बिगड़े कार्य स्वतः ही बने जाते है, सभी कार्य बिना किसी बाधा और संकट पूरे होते है। भगवान शिव-पार्वती के वरदान के अनुसार किसी भी शुभ कार्य करने से पहले श्री गणेश भगवान की पूजा होगी तभी पूजा सफल होगी। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन को सफल बनाने के लिए सबसे पहले गणेश की पूजा की करनी चाहिए।
हर संकट दूर करता है संकट चौथ व्रत - Har Sankat Door Karta Hai Sankat Chauth Vrat
भगवान विष्णु के अवतार-Bhagwan Vishnu ke Avatars