रुद्राक्ष को रूद्र का अक्ष मानते है इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। कहते है कई वर्षों तपस्या के बाद जब भगवान शिव ने अपनी आँख खोली तब उनकी आँखों के अश्रु धरती पर गिरे जहांँ पर शिव की आँख का अश्रु गिरे वहाँ रुद्राक्ष का पेड़ बन गया। शिव के अश्रु कहे जाने वाले रुद्राक्ष चौदह प्रकार के होते हैं इनकी अपनी अलग-अलग चमत्कारिक शक्ति होती है। रुद्राक्ष का लाभ निश्चित रूप से होता है परन्तु नियमों को ध्यान में रखकर उपयोग करना चाहिए। कहते हैं कि पूर्ण विधि-विधान और शिव के आशीर्वाद के साथ रुद्राक्ष को पहना जाए तो यह पहनने मात्र से ही सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं। प्राचीन काल से रुद्राक्ष को सुरक्षा, ग्रह शांति, आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है।
अमंगल को मंगल बनाता है-रूद्राक्ष
हर प्रकार के रोग-निवारण के लिए लाभकारी-एक मुखी रुद्राक्ष
एक मुखी रुद्राक्ष को शिव के सबसे करीब माना जाता है। रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। असली एक मुखी रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ है। इसका मूल्य विशेषतः अत्यधिक होता है। यह अभय लक्ष्मी दिलाता है। इसके धारण करने पर सूर्य जनित दोषों का निवारण होता है। नेत्र संबंधी रोग, सिर दर्द, हृदय का दौरा, पेट तथा हड्डी संबंधित रोगों के निवारण हेतु इसको धारण करना चाहिए। यह यश और शक्ति प्रदान करता है। इसे धारण करने से आध्यात्मिक उन्नति, एकाग्रता, सांसारिक, शारीरिक, मानसिक तथा दैविक कष्टों से छुटकारा, मनोबल में वृद्धि होती है। इस रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करें।
यह रुद्राक्ष शिव-शक्ति दोनों का स्वरूप माना जाता है। यह चंद्रमा की शक्ति को बढ़ाता है और जो व्यक्ति हृदय, फेफड़ों, मस्तिष्क, गुर्दों तथा नेत्र रोगों से पीड़ित है उन्हें इसे धारण करने से निश्चित लाभ होता है। इसे धारण करने से सौहाद्र्र लक्ष्मी का वास रहता है, इससे भगवान अर्द्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं, इसकी ऊर्जा से सांसारिक बाधाएं तथा दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है।
पेट से पीडितों के लिए-तीन मुखी रुद्राक्ष
जिस व्यक्ति का शरीर किसी न किसी प्रकार के बुखार से पीड़ित रहता हो, भोजन खाने पर पेट की अग्नि मंद होने के कारण से भोजन के ना पचने के रोग में यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभदायक साबित होता है, अग्नि को तीव्र करके पाचक क्षमता बढ़ाने का कार्य करता है।
चार मुखी रूद्राक्ष को ब्रह्मा तथा देवी सरस्वती का प्रतिनिधि माना गया है। देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उत्तम है। बुध इसका संचालक होता है इसलिए चार मुखी रूदाक्ष शिक्षा के क्षेत्र में सफलता देता है। यह स्मरण शक्ति को बढ़ाता है तथा विद्या अध्ययन करने की शक्ति प्रदान करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से मस्तिक विकार, मनोरोग, त्वचा रोग, लकवा, नासिका रोग, दमा इत्यादि रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
स्वस्थ-स्वास्थ्य-अकाल-मृत्यु भयमुक्त के लिए-पांच मुखी रुद्राक्ष
यह ऐसा रुद्राक्ष है जिसके के कारण भगवान शिव, विष्णु, गणेश, सूर्य और शक्ति की प्रतीक माँ भगवती की असीम कृपा प्राप्त होती है। मन के रोगों को दूर करके मानसिक तौर पर स्वस्थ करने में यह रुद्राक्ष अति सक्षम होता है। शिवपुराण में तो अकाल मृत्यु से बचने के लिए इस माला पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से अल्प मृत्यु से बचा जा सकता है। ब्रहस्पति देव पांच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसको धारण करने से ब्रहस्पति देव की कृपा से नौकरी व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है।
सुखी-दांपत्य जीवन के लिए-छह मुखी रुद्राक्ष
यह रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है और इसके संचालक ग्रह शुक्र है। छह मुखी रुद्राक्ष को पहनने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और व्यक्ति की आंतरिक शक्तियाँ जागृत होती है। इसे धारण करने से क्रोध, लोभ, अंहकार जैसी भावनाओं पर नियंत्रण रहता है। इसे धारण करने से दांपत्य जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
जिन मनुष्यों का भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता, धन का अभाव, दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन-सम्पदा, यश, कीर्ति एवं मान मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति मानसिक रूप से पीड़ित हो या जोड़ो के दर्द से परेशान पीड़ित, उनको शनि देव की कृपा प्राप्त होने के कारण से यह रुद्राक्ष लाभदायक होता है। सात मुखी होने के कारण यह शरीर में सप्त धातुओं की रक्षा करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है। यह गठिया दर्द ,सर्दी, खांसी, पेट दर्द, हड्डी व मांसपेशियों में दर्द, अस्थमा जैसे रोगों पर नियंत्रण करता है। सात मुखी रुद्राक्ष पर लक्ष्मी जी की कृपा मानी गई है और लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विधान है इसलिए इस रुद्राक्ष को गणपति के स्वरुप आठ मुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
आठ मुखी रुद्राक्ष में कार्तिकेय, गणेश और गंगा का अधिवास माना जाता है। राहु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे धारण करना चाहिए। मोतियाविंद, फेफड़े के रोग, पैरों में कष्ट, चर्म रोग आदि रोगों तथा राहु की पीड़ा से यह छुटकारा दिलाने में सहायक है। इसकी तुलना गोमेद से की जाती है। आठ मुखी रुद्राक्ष अष्ट भुजा देवी का स्वरूप है। यह हर प्रकार के विघ्नों को दूर करता है। इसे धारण करने वाले को अरिष्ट से मुक्ति मिलती है।
केतु ग्रह को शांत करने के लिए-नौ मुखी रुद्राक्ष
नौ मुखी रुद्राक्ष को माँ दुर्गा स्वरूप माना गया है। केतु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे धारण करना चाहिए। ज्वर, नेत्र, उदर, फोड़े, फुंसी आदि रोगों से मुक्ति मिलती है।
दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का साक्षात रूप सस्वरुप माना गया है, दस रुद्रों का आशीर्वाद होने के कारण से भूत प्रेत, डाकिनी शाकिनी, पिशाच और ब्रह्म-राक्षस, ऊपरी बाधाएं, जादू-टोने को दूर करने में सक्षम है। कानूनी परेशानियों में भी दस मुखी रुद्राक्ष लाभदायक है, विष्णु जी का स्वरुप होने के कारण से धारक के प्रभाव को दसों दिशाओं में फैलता है, ग्रन्थों के अनुसार विष्णु जी की कृपा होने के कारण से इसके धारक को दमा, गठिया, शएतिका, पेट और नेत्रों के रोग में लाभ हो सकता है।
इस रुद्राक्ष को गले में धारण करना चाहिए, व्यापारियों के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम फलदायक होता है। भाग्य-वृद्धि और धन-सम्पत्ति-मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके प्रभाव से मनुष्य रागेमुक्त हो जाता है, हनुमान जी की उपासना करने वाले एवं व्यापार करने वाले हर व्यक्ति को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए।
सूर्य जैसा तेज की प्राप्ति-बारह मुखी रुद्राक्ष
बारहमुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसके देवता सूर्य है सूर्य होने के कारण यह व्यक्ति को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। यदि किसी व्यक्ति का सूर्य कमजोर होता है या जन्म कुंडली में सूर्य से जुड़ी हुईं समस्यायें मौजूद हो तो उस व्यक्ति को बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। संतान सुख, शिक्षा, धन, ऐश्वर्य, आदि सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए बारहमुखी रुद्राक्ष अति फलदायक माना गया है। बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सूर्य का तेज प्राप्त होता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से दरिद्रता का नाश होता है इस रुद्राक्ष को ग्रहों को अनुकूल करने के लिए भी धारण किया जाता है। उच्च पद पर काम करने वाले या कला के क्षेत्र में काम करने वाले सभी जातकों को तेरह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए और इसके साथ बारह और चौदह मुखी रुद्राक्ष भी अगर धारण कर लिया जाए तो अति उत्तम फल की प्राप्ति की जा सकती है।
भगवान शिव के रूद्र अवतार हनुमान का स्वरूप- चौदह मुखी रुद्राक्ष
चतुर्दशमुखी को धारण करने से व्यक्ति को परम पद की प्राप्ति होती है। रुद्राक्ष में भगवान हनुमान का निवास होने के कारण कोई भी बुरी बाधा, भूत, पिशाच व्यक्ति को नुकसान नही पहुँचा। शनि साढ़े-साती, महादशा-शनि पीड़ा से मुक्ति हेतु इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए और शनि तथा मंगल के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है।चौदह मुखी रुद्राक्ष की कृपा से व्यक्ति ऊर्जावान और निरोगी बनाता है।
समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)