पंचकों की उपयोगिता
(Panchkon ki upyogita in hindi)
- जब चंद्रमा गोचर में कुंभ और मीन राशि से होकर गुजरता है तो यह समय अशुभ माना जाता है। इस दौरान चंद्रमा धनिष्ठा से लेकर शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती से होते हुए गुजरता है। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पञ्चक कहा जाता है इन नक्षत्रों की संख्या पांच होती है इस कारण भी इन्हें पंचक कहा जाता है। जब भी कोई कार्य प्रारंभ किया जाता है तो उसमें शुभ मुहूर्त के साथ पंचक का भी ध्यान रखा जाता है। हर 27 दिन के बाद नक्षत्र की पुनरावृत्ति होती है इसलिए पंचक हर 27 दिन बाद आता है। नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं इनमें अंतिम के पांच नक्षत्र दूषित माने गए है। पंचक के दौरान यदि कोई अशुभ कार्य हो तो उनकी पांच बार आवृत्ति होती है। इसलिए उसका निवारण करना आवश्यक होता है। पंचक का विचार खासतौर पर किसी की मृत्यु के समय किया जाता है। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक के दौरान हो तो घर-परिवार में पांच लोगों पर संकट रहता है। इसलिए जिस व्यक्ति की मृत्यु पंचक में होती है उसके दाह संस्कार के समय आटे-चावल के पांच पुतले बनाकर साथ में उनका भी दाह कर दिया जाता है। इससे परिवार पर से पंचक दोष समाप्त हो जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि पंचक सर्वाधिक दूषित दिन होते हैं इसलिए पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की ओर यात्रा नही करनी चाहिए। घर का निर्माण हो रहा है तो पंचक में छत नहीं डालना चाहिए। घास, लकड़ी, कंडे या अन्य प्रकार के ईंधन का भंडारण पंचक के समय नहीं किया जाना चाहिए। हल जोतना, शय्या निर्माण यानी पलंग बनवाना, पलंग खरीदना, बिस्तर खरीदना, बिस्तर का दान करना पंचक के दौरान वर्जित रहता है। शास्त्रों में वर्णन है कि शुभ कार्य में पंचक देखने की आवश्यकता नहीं है। पंचक का अर्थ पांच आवृत्ति। उदाहरण के लिए यदि पंचक के दौरान नया घर या वाहन खरीदा जाता है तो संभव है आप पांच घरों या पांच वाहनों के मालिक बनें।
- रोग पंचक - यदि पंचक का आरम्भ रविवार के दिन से होता है तो इसे रोग पंचक कहते हैं। रोग पंचक के कारण आने वाले 5 दिन विशेष रुप से कष्ट और मानसिक परेशानियों के होते हैं। इस पंचक में शुभ कार्यों को सर्वथा त्यागना चाहिए क्योंकि हर तरह के शुभ कार्यों में अशुभ माने जाते हैं।
- राज पंचक- यदि पंचक का आरम्भ सोमवार के दिन से होता है तो इसे राज पंचक कहा जाता है। आमतौर पर यह पंचक शुभ माने जाते हैं और उनके प्रभाव से आने वाले सभी 5 दिन कार्य में सफलता और सरकारी कामकाज से लाभ दिलाते हैं तथा संपत्ति से जुड़े काम करने के लिए भी राज पंचक काफी उपयुक्त होता है।
- अग्नि पंचक- यदि पंचक का आरम्भ मंगलवार के दिन से होता है तो इसे अग्नि पंचक कहा जाता है इस दौरान कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसलों पर अपना हक प्राप्त करने के लिए अनेक कार्य कर सकते हैं। यह पंचक अशुभ माना जाता है इसी वजह से इस पंचक में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तथा मशीनरी और औजार के काम की शुरुआत करना अशुभ होता है। इस पंचक पर इन कार्यों को करने से नुकसान होने की पूरी संभावना रहती है।
- चोर पंचक- यदि पंचक का आरम्भ शुक्रवार के दिन से होता है तो इसे चोर पंचक कहा जाता है। चोर पंचक विशेष रूप से यात्रा करने के उद्देश्य से त्याज्य माने जाते हैं। इसके अलावा इस पंचक पर किसी भी प्रकार का व्यापार, लेन-देन तथा किसी भी प्रकार का सौदा नहीं करना चाहिए। विशेष रूप से धन की हानि होने की संभावना होती है।
- मृत्यु पंचक- यदि पंचक का आरमभ शनिवार के दिन से होता है तो इसे मृत्यु पंचक कहते है। इस पंचक के दौरान मृत्यु तुल्य कष्टों की प्राप्ति हो सकती है और यह पूरी तरह से अशुभ माना जाता है। इस दौरान आपको किसी भी प्रकार के कष्टकारी कार्य और किसी भी प्रकार के जोखिम भरे कामों को करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस पंचक के प्रभाव से आपको किसी प्रकार की चोट लग सकती है।
- विशेष नोट : इसके अतिरिक्त जब कोई पंचक बुधवार या बृहस्पतिवार को शुरू होता है तो उनमें उपरोक्त किसी भी प्रकार की बात का पालन करना आवश्यक नहीं होता। इन 2 दिनों में शुरू होने वाले पंचक के दौरान उपरोक्त बताए गए कार्यों के अलावा किसी भी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
पंचकों की तिथि (2020)
- 30 दिसंबर 2019 प्रातः 9.33 से 4 जनवरी 2020 प्रातः 10.05 बजे तक
- 26 जनवरी सायं 5.39 से 31 जनवरी सायं 6.11 बजे तक
- 22 फरवरी मध्यरात्रि 1.29 से 27 फरवरी मध्यरात्रि 1.07 बजे तक
- 21 मार्च प्रातः 6.20 से 26 मार्च सायं 7.15 बजे तक
- 17 अप्रैल दोपहर 12.16 से 22 अप्रैल दोपहर 1.18 बजे तक
- 14 मई सायं 7.20 से 19 मई सायं 7.53 बजे तक
- 10 जून मध्यरात्रि बाद 3.40 से 15 जून मध्यरात्रि बाद 3.18 बजे तक
- 8 जुलाई दोपहर 12.31 से 13 जुलाई प्रातः 11.15 बजे तक
- 4 अगस्त रात्रि 8.47 से 9 अगस्त सायं 7.05 बजे तक
- 31 अगस्त मध्यरात्रि बाद 3.48 से 5 सितंबर मध्यरात्रि बाद 2.22 बजे तक
- 28 सितंबर प्रातः 9.39 से 3 अक्टूबर प्रातः 6.37 बजे तक
- 25 अक्टूबर दोपहर 3.24 से 30 अक्टूबर दोपहर 2.56 बजे तक
- 21 नवंबर रात्रि 10.24 से 26 नवंबर रात्रि 9.20 बजे तक
- 19 दिसंबर प्रातः 7.16 से 23 दिसंबर तड़के 4.32 बजे तक