देवी कमला का स्वरूप साक्षात माँ लक्ष्मी से मिलता हैं। जीवन में धन, ऐश्वर्य, सुख और सम्पदा की मनोकामना पूरी करने के लिए माँ कमला की साधना की जाती है। यह कमल के पुष्प के समान दिव्यता का प्रतीक हैं। देवी धन और सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी हैं। दस विद्याओं में माँ कमला का दसवाँ स्थान है। माँ कमला पवित्रता, सम्मान, भाग्य और परोपकार की देवी है इममें सभी दिव्य शक्तियाँ विद्ययामान है। माँ कमला पूजा-विधि से हर प्रकार से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। तीनों लोकों में देवी की आराधना सभी के द्वारा की जाती हैं। दानव, देवता और मनुष्य सभी को देवी कृपा की आवश्यकता रहती है।
माँ कमला जयंती का महत्व: दिवाली के दिन माँ कमला जयंती मनाई जाती है इस दिन 10 महाविद्या में से एक देवी कमला धरती पर अवतरित हुई थी। महाविद्या माँ कमला श्रीहरी विष्णु की साथी है उनकी सबसे बड़ी ताकत है। देवी कमला का रूप, देवी लक्ष्मी के समान ही है, जो प्रसिद्धी, भाग्य, धन की देवी है। धन, समृद्धि प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा आराधना की जाती है। इस दिन माता की सभी दस शक्तियों की पूजा की जाती है, इस दिन तांत्रिक पूजा का महत्व होता है इस दिन कन्या भोज कराया जाता है, जिसमे छोटी बालिका जिनकी उम्र 10 वर्ष से कम ह उन्हें भोजन करवा कर दान दिया जाता है। माँ कलमा देवी अभिषेक एवं सम्पूर्ण पूजा, जिसमें देवी का पूरा श्रृंगार किया जाता है, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, सिन्दूर, फूल आदि चढ़ाया जाता है। गणपति, नवग्रह एवं आवाहन पूजा की जाती है। श्री कमला मूल मन्त्र, सम्पूर्ण पाठ किया जाता है। अंत में दीप दान एवं प्रसाद वितरण किया जाता है। दान का बहुत अधिक महत्व होता है इस दिन अनाज एवं वस्त्रो का दान किया जाता है। इस दिन गरीबो एवं ब्राह्मणों को दान देने का महत्व बताया गया है।
महाविद्याओं के रूप
2) तारा-अक्षोभ्य
3) षोडषी-कामेश्वर
4) भुवनेश्वरी-त्रयम्बक
5) त्रिपुर भैरवी-दक्षिणा मूर्ति
6) छिन्नमस्ता-क्रोध भैरव
7) धूमावती-विधवा रूपिणी
8) बगला-मृत्युंजय
9) मातंगी-मातंग
दस महाविद्या से ही विष्णु के भी दस अवतार माने गए हैं।
महाविद्याओं से विष्णु के अवतार
3) षोडषी-परशुराम
4) भुवनेश्वरी-वामन
5) त्रिपुर भैरवी-बलराम
6) छिन्नमस्ता-नृसिंह
7) धूमावती-वाराह
8) बगला-कूर्म
9) मातंगी-राम
दस महाविद्या शक्तियां-Das Mahavidya