उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम से 3 किमी ऊंचाई पर बसा हुआ माणा गांव भारत का आखिरी गांव कहा जाता है। माणा समुद्र तल से 19,000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है। देश के अंतिम छोर पर स्थित है। इस माणा गांव से होकर भारत और तिब्बत के बीच व्यापार होता है। माणा गांव पवित्र बद्रीनाथ धाम से काफी पास है। इस गांव का यह अनोखा नाम भगवान शिव के भक्त मणिभद्र देव के नाम पर दिया गया है। भोजपत्र अधिक संख्या में मिलते हैं। भोजपत्र पर गुरुओं ने ग्रंथों की रचना की थी। यहाँ पर गणेश गुफा और व्यास गुफा है। गणेश गुफा, व्यास गुफा की तुलना में छोटी है। गुफा के अंदर जाते ही वहाँ एक छोटी सी शिला दिखाई देती है इस शिला में वेदों का अर्थ लिखा हुआ है।
माणा गांव यहां मिलने वाली जड़ी-बूटियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां मिलने वाली अधिकांश जड़ी-बूटियां लाभदायक हैं। यहां की जड़ी-बूटी खाने से पथरी की बीमारी से निजात मिलता है। यह मान्यता है कि माणिक शाह नाम एक व्यापारी था जो शिव का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार व्यापारिक यात्रा के दौरान लुटेरों ने उसका सिर काट दिया। परन्तु इसके बाद भी उसकी गर्दन शिव का जाप कर रही थी। इस श्रद्धा से प्रसन्न होकर शिव ने उसके गर्दन पर वराह का सिर लगा दिया। इसके बाद माना गांव में मणिभद्र की पूजा की जाने लगी। शिव ने माणिक शाह को वरदान दिया कि माणा आने पर व्यक्ति की दरिद्रता दूर हो जाएगी।
अगर कोई मणिभद्र भगवान से बृहस्पतिवार को पैसे के लिए प्रार्थना की जाए तो अगले बृहस्पतिवार तक मिल जाता है। इसी गांव में गणेश जी ने व्यास ऋषि के कहने पर महाभारत की रचना की थी। माना जाता है कि इस गांव पर भगवान शिव की ऐसी अनुकम्पा है कि यहाँ जो भी आता है उसकी गरीबी हमेशा के लिए दूर हो जाती है। इसके साथ-साथ यह भी कहा जाता है कि इस गांव में अगर कोई एक बार आ जाता है तो उसके जीवन भर के पाप दूर हो जाते हैं। रोग, शोक, पाप, भय और सभी प्रकार के श्राप से मुक्ति मिलती है क्योंकि इस गांव को श्रापमुक्त जगह की उपाधि मिली हुई है।