इस खजाने के पहरेदार है नाग देवता- Naag Devta is janitor of this treasure

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इस खजाने के पहरेदार है नाग देवता
(Naag Devta is janitor of this treasure) 

भारत एक ऐसा देश है यहाँ पर न जाने कितने ऐसे मंदिर हैं जिनके पास अरबों रुपयों का खजाना है। इनमें से कुछ मंदिर सैंकड़ों साल पुराने हैं। और इनमें जो भी चढ़ावा आता है उसे तिजोरियों में बंद करके रखा जाता है। परन्तु एक ऐसा मंन्दिर भी है यहाँ पर आने वाले चढ़ावा को ऐसे ही रख दिया जाता है। और इसे कोई भी हाथ नहीं लगाता। मान्यता के अनुसार इस मंदिर से जो भी कामना करते हैं वह मनोकामना पूरी हो जाती है और बदले में भी कोई आभूषण इस झील में अर्पित करना होता है। और ऐसा हजारों साल पहले से ही होता आ रहा है। इस प्रकार की मान्यता है कि इस पूरे पहाड़ पर और इस झील के आस-पास नाग रूपी छोटे छोटे पौधे लगे हुए हैं जो कि दिन ढलते ही इच्छाधारी नाग के रूप में आ जाते हैं। इसलिए इन्हें आप रात में नहीं देख पाएंगे। अगर कोई भी इस झील में इस खजाने को हाथ लगाने की कोशिश करता है तो यही इच्छाधारी नाग इस खजाने की रक्षा करते हैं। 

भारत एक ऐसा देश है यहाँ पर न जाने कितने ऐसे मंदिर हैं जिनके पास अरबों रुपयों का खजाना है। इनमें से कुछ मंदिर सैंकड़ों साल पुराने हैं। और इनमें जो भी चढ़ावा आता है उसे तिजोरियों में बंद करके रखा जाता है। परन्तु एक ऐसा मंन्दिर भी है यहाँ पर आने वाले चढ़ावा को ऐसे ही रख दिया जाता है। और इसे कोई भी हाथ नहीं लगाता। मान्यता के अनुसार इस मंदिर से जो भी कामना करते हैं वह मनोकामना पूरी हो जाती है और बदले में भी कोई आभूषण इस झील में अर्पित करना होता है। और ऐसा हजारों साल पहले से ही होता आ रहा है। इस प्रकार की मान्यता है कि इस पूरे पहाड़ पर और इस झील के आस-पास नाग रूपी छोटे छोटे पौधे लगे हुए हैं जो कि दिन ढलते ही इच्छाधारी नाग के रूप में आ जाते हैं। इसलिए इन्हें आप रात में नहीं देख पाएंगे। अगर कोई भी इस झील में इस खजाने को हाथ लगाने की कोशिश करता है तो यही इच्छाधारी नाग इस खजाने की रक्षा करते हैं। सक्षमबनो इन हिन्दी में, sakshambano image, sakshambano ka ddeshya in hindi, sakshambano ke barein mein in hindi, sakshambano ki pahchan in hindi, apne aap sakshambano in hindi, sakshambano blogger in hindi,  sakshambano  png, sakshambano pdf in hindi, sakshambano photo, Ayurveda Lifestyle keep away from diseases in hindi, sakshambano in hindi, sakshambano hum sab in hindi, sakshambano website, adopt ayurveda lifestyle in hindi, to get rid of all problems in hindi, Vitamins are essential for healthy health in hindi in hindi, Dev Kamrunag in hindi, Dev Kamrunag ke barein mein hindi, Dev Kamrunag ki story in hindi, Dev Kamrunag ki katha in hindi, Dev Kamrunag ka mahatva in hindi, Dev Kamrunag khan hai in hindi, Dev Kamrunag ki kahani in hindi,  Dev Kamrunag in hindi, Dev Kamrunag ke barein mein hindi, Dev Kamrunag ki story in hindi, Dev Kamrunag ki katha in hindi, Dev Kamrunag ka mahatva in hindi, Dev Kamrunag khan hai in hindi, Dev Kamrunag ki kahani in hindi,

प्राचीन मान्यता के अनुसार इस मंदिर का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है। महाभारत के सबसे महान योद्धा ‘बर्बरीक’ जब युद्ध में लड़ने के लिए आए तो भगवान श्री कृष्ण जान चुके थे कि वह सिर्फ कमजोर पक्ष की तरफ से ही लड़ेंगे। और अगर वह कौरवों की तरफ से लड़े तो युद्ध का नतीजा बदल सकता था। इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका सर भेंट स्वरूप मांगा। इस पर बर्बरीक ने भी कहा कि वह महाभारत का पूरा युद्ध देखना चाहते हैं। और अपना सर काट कर भगवान श्री कृष्ण को दे दिया। बर्बरीक का सर सबसे ऊंची पहाड़ी पर रखा गया। और यही वह जगह है जहां पर यह मंदिर स्थित है। 

युद्ध के बाद इस झील का निर्माण भीम द्वारा किया गया। और तब से ही यहां पर आभूषण अर्पित किए जाते हैं। यहां झील की गहराई में सोने चांदी के आभूषण ओर तैरते रुपये नजर आते है। हिमाचल प्रदेश के मण्डी जिले से लगभग 60 किलोमीटर दूर आता है रोहांडा, यहाँ से पैदल यात्रा आरम्भ होती है। देव कामरूनाग तक पहुँचने के लिए तकरीबन 8 किमी तक पैदल चलना होता है। मंदिर के पास एक सुन्दर झील है जिसे कमरुनाग झील के नाम से जाना जाता है। मेले के समय हर साल की तरह भक्त झील में सोने-चांदी के गहनें तथा पैसे डालते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। 

देव कमरूनाग 

देव कमरूनाग पांडवों के आराध्य के साथ-साथ मंडी जनपद के आराध्य देव माना जाता है। साल में एक बार मंडी जिला मुख्यालय आते हैं देव कमरूनाग वर्ष में एक बार शिवरात्रि महोत्सव के दौरान ही मंडी आते हैं। देव कमरूनाग कभी किसी वाहन में नहीं जाते और ना इनका कोई देवरथ है और न ही कोई पालकी केवल एक छड़ी के रूप में इनकी प्रतिमा को लाया जाता है। 100 किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद कमरूनाग देव के कारदार मंडी पहुंचते हैं। इनके आगमन के बाद ही शिवरात्रि महोत्सव शुरू होता है। कमरूनाग देव सात दिनों तक टारना माता मंदिर में ही विराजमान रहते हैं।

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