माँ भैरवी के 108 नाम

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माँ भैरवी के 108 नाम

माँ भैरवी के 108 नाम ॐ भैरव्यै नमः Om Bhairavyai Namah ॐ भैरवाराध्यायै नमः Om Bhairavaradhyayai Namah ॐ कामधेनवे नमः Om Kamadhenave Namah ॐ सर्वसम्पत्प्रदायिन्यै नमः Om Sarvasampatpradayinyai Namahsakshambano in hindi, sakshambano image, क्षीयमान विश्व के अधिष्ठान दक्षिणामूर्ति कालभैरव हैं in hindi,  उनकी शक्ति ही त्रिपुरभैरवी है in hindi,  ये ललिता या महात्रिपुरसुंदरी की रथवाहिनी हैं in hindi,  ब्रह्मांडपुराण में इन्हें गुप्त योगिनियों की अधिष्ठात्री देवी  in hindi,  के रूप बताया गया है  in hindi,  मत्स्यपुराण में इनके त्रिपुर भैरवी  in hindi,  रुद्रभैरवी  in hindi,  चैतन्यभैरवी  in hindi,  तथा नित्या भैरवी  in hindi,  आदि रूपों का वर्णन प्राप्त होता है  in hindi,  इंद्रियों पर विजय और सर्वत्र उत्कर्ष की प्राप्ति हेतु  in hindi,  त्रिपुरभैरवी की उपासना का वर्णन शास्त्रों में मिलता है  in hindi,  महाविद्याओं में इनका छठा स्थान है  in hindi,  त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं  in hindi,  इनकी उपासना से व्यक्ति को सफलता एवं सर्वसंपदा की प्राप्ति होती है  in hindi,  दुर्गासप्तशती के तीसरे अध्याय में महिषासुर वध के प्रसंग में हुआ है  in hindi,  इनका रंग लाल है  in hindi,  ये लाल वस्त्र पहनती हैं  in hindi,  गले में मुंडमाला धारण करती हैं  in hindi,   और शरीर पर रक्त चंदन का लेप करती हैं  in hindi,  अपने हाथों में जपमाला, पुस्तक तथा वर और अभय मुद्रा धारण करती हैं। और कमलासन पर विराजमान हैं  in hindi,  भगवती त्रिपुरभैरवी ने ही मधुपान करके महिषका हृदय विदीर्ण किया था  in hindi,  समस्त विपत्तियों को शांत कर देने वाली शक्ति को ही त्रिपुरभैरवी कहा जाता है  in hindi,  इनका अरुणवर्ण विमर्श का प्रतीक है  in hindi,  इनके गले में सुशोभित मुंडमाला ही वर्णमाला है  in hindi,  देवी के रक्तचंदन लिप्त पयोधर रजोगुणसंपन्न सृष्टि प्रक्रिया के प्रतीक हैं in hindi,  अक्षमाला वर्णमाला की प्रतीक है  in hindi,  पुस्तक ब्रह्मविद्या है  in hindi,  त्रिनेत्र वेदत्रयी हैं  in hindi,  भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने का दृढ़ निर्णय लिया था in hindi,  बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी इनकी तपस्या को देखकर दंग रह गए in hindi,  इससे सिद्ध होता है कि भगवान शंकर की उपासना में निरत उमा का दृढ निश्चयी स्वरूप ही त्रिपुरभैरवी का परिचालक है  in hindi,  त्रिपुरभैरवी की स्तुति में कहा गया है  in hindi,  कि भैरवी सूक्ष्म वाक् तथा जगत में मूल कारण की अधिष्ठात्री हैं। भैरवी के अनेकों नाम त्रिपुरा भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी in hindi, , कामेश्वरी भैरवी in hindi, , नित्याभैरवी in hindi, , रुद्रभैरवी in hindi, , भद्र भैरवी  in hindi, तथा षटकुटा भैरवी  in hindi,  आदि। त्रिपुरा भैरवी  in hindi,  ऊर्ध्वान्वय की देवता हैं।  in hindi,  भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र  in hindi,  और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महाविद्याएँ हुई हैं  in hindi,  भगवान शिव की यह महाविद्याएँ सिद्धियाँ प्रदान करने वाली होती हैं  in hindi,  माँ त्रिपुर भैरवी कथा  in hindi,  एक बार जब देवी काली के मन में आया  in hindi,  कि वह पुनः अपना गौर वर्ण प्राप्त कर लें  in hindi,  तो यह सोचकर देवी अन्तर्धान हो जाती हैं  in hindi,  भगवान शिव जब देवी को को अपने समक्ष नहीं पाते  in hindi,  तो व्याकुल हो जाते हैं in hindi,  और उन्हें ढूंढने का प्रयास करते हैं v भगवान शिव महर्षि नारदजी से देवी के विषय में पूछते हैं  in hindi,  तब नारद जी उन्हें देवी का बोध कराते हैं  in hindi,  वह कहते हैं कि शक्ति के दर्शन आपको सुमेरु के उत्तर में हो सकते हैं  in hindi,  वहीं देवी की प्रत्यक्ष उपस्थित होने की बात संभव हो सकेगी।  in hindi,  तब भोले शंकर की आज्ञानुसार नारदजी देवी को खोजने के लिए वहाँ जाते हैं  in hindi,  महर्षि नारद जी जब वहां पहुँचते हैं  in hindi,  तो देवी से शिवजी के साथ विवाह का प्रस्ताव रखते हैं  in hindi,  यह प्रस्ताव सुनकर देवी क्रोद्ध हो जाती हैं  in hindi,  और उनकी देह से एक अन्य षोडशी विग्रह प्रकट होता है  in hindi,  और इस प्रकार उससे छाया-विग्रह त्रिपुर भैरवी का प्रकट होती है  in hindi,  माँ का स्वरूप सृष्टि के निर्माण और संहार के लिए तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण है। माँ भैरवी के अन्य तेरह स्वरुप हैं, in hindi,   माँ त्रिपुर भैरवी  in hindi,  कंठ में मुंड माला धारण किये हुए है,  in hindi,  हाथों में माला धारण, स्वयं साधनामय  in hindi,  ,  अभय और वर मुद्रा धारण कर रखी है  in hindi,  जो भक्तों को सौभाग्य प्रदान करती है in hindi,  माँ भैरवी ने लाल वस्त्र धारण  किये है  in hindi,  माँ के हाथ में  विद्या तत्व है  in hindi,  माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा में लाल रंग का उपयोग किया जाना अति-फलदायक होता है  in hindi,  त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं  in hindi,  इनकी उपासना भव-बन्ध-मोचन कही जाती है  in hindi,   माँ भैरवी उपासना से व्यक्ति को सफलता एवं सर्वसंपदा की प्राप्ति होती है  in hindi,  शक्ति-साधना तथा भक्ति-मार्ग में किसी भी रुप में त्रिपुर भैरवी की उपासना फलदायक होती है  in hindi,  साधना द्वारा अहंकार का नाश होता है  in hindi, तब साधक में पूर्ण शिशुत्व का उदय हो जाता है  in hindi,  और माता साधक के समक्ष प्रकट होती है  in hindi,  भक्ति-भाव से मन्त्र-जप, पूजा, होम करने से त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होती है  in hindi,  त्रिपुर भैरवी के अनेक रुप  in hindi,  माँ भैरवी के अनेक रूप त्रिपुरा भैरवी  in hindi, , चैतन्य भैरवी  in hindi, , सिद्ध भैरवी  in hindi, , भुवनेश्वर भैरवी  in hindi, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी तथा षटकुटा भैरवी आदि  in hindi,  त्रिपुरा भैरवी ऊर्ध्वान्वय की देवता है  in hindi,  भागवत के अनुसार महाकाली  in hindi,  के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महा-विद्याएँ हुई हैं  in hindi,  भगवान शिव की यह महाविद्याएँ सिद्धियाँ प्रदान करने वाली होती है  in hindi,  दस महाविद्या शक्तियां in hindi, Click here »  मंगलमयी जीवन के लिए कालरात्रि की पूजा in hindi,  Kalratri worship for a happy life in hindi, Click here »  दुःख हरणी सुख करणी- जय माँ तारा in hindi, Click here »  माँ षोडशी in hindi, Click here »  माँ भुवनेश्वरी शक्तिपीठ in hindi, Maa Bhuvaneshwari in hindi,  Click here »  माँ छिन्नमस्तिका द्वारा सिद्धि in hindi,  Accomplishment by Maa Chhinnamasta in hindi,  Click here »  माँ त्रिपुर भैरवी in hindi, Maa Tripura Bhairavi in hindi,  Click here »  माँ धूमावती - Maa Dhumavati in hindi, Click here »  महाशक्तिशाली माँ बगलामुखी in hindi, Mahashaktishali Maa Baglamukhi in hindi, Click here »  माँ मातंगी  in hindi, Maa Matangi Devi in hindi, 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ॐ भैरव्यै नमः। Om Bhairavyai Namah।

ॐ भैरवाराध्यायै नमः। Om Bhairavaradhyayai Namah।

ॐ कामधेनवे नमः। Om Kamadhenave Namah।

ॐ सर्वसम्पत्प्रदायिन्यै नमः। Om Sarvasampatpradayinyai Namah।

ॐ त्रैलोक्यवन्दितायै नमः। Om Trailokyavanditayai Namah।

ॐ देव्यै नमः। Om Devyai Namah।

ॐ महिषासुरमर्दिन्यै नमः। Om Mahishasuramardinyai Namah।

ॐ मोहघ्न्यै नमः। Om Mohaghnyai Namah।

ॐ मालत्यै नमः। Om Malatyai Namah।

ॐ मालायै नमः। Om Malayai Namah।

ॐ महापातकनाशिन्यै नमः। Om Mahapatakanashinyai Namah।

ॐ क्रोधिन्यै नमः। Om Krodhinyai Namah।

ॐ क्रोधनिलयायै नमः। Om Krodhanilayayai Namah।

ॐ क्रोधरक्तेक्षणायै नमः। Om Krodharaktekshanayai Namah।

ॐ कुह्वै नमः। Om Kuhvai Namah।

ॐ त्रिपुरायै नमः। Om Tripurayai Namah।

ॐ त्रिपुराधारायै नमः। Om Tripuradharayai Namah।

ॐ त्रिनेत्रायै नमः। Om Trinetrayai Namah।

ॐ भीमभैरव्यै नमः। Om Bhimabhairavyai Namah।

ॐ देवक्यै नमः। Om Devakyai Namah।

ॐ देवमात्रे नमः। Om Devamatre Namah।

ॐ भूतिदायै नमः। Om Bhutidayai Namah।

ॐ भूतभावनायै नमः। Om Bhutabhavanayai Namah।

ॐ आर्यायै नमः। Om Aryayai Namah।

ॐ ब्राह्म्यै नमः। Om Brahmyai Namah।

ॐ देवदुष्टविनाशिन्यै नमः। Om Devadushtavinashinyai Namah।

ॐ प्रत्यङ्गिरायै नमः। Om Pratyangirayai Namah।

ॐ प्रतिपदायै नमः। Om Pratipadayai Namah।

ॐ प्रणतक्लेशनाशिन्यै नमः। Om Pranatakleshanashinyai Namah।

ॐ प्रभावत्यै नमः। Om Prabhavatyai Namah।

ॐ गुणवत्यै नमः। Om Gunavatyai Namah।

ॐ गणमात्रे नमः। Om Ganamatre Namah।

ॐ गुहेश्वर्यै नमः। Om Guheshwaryai Namah।

ॐ क्षीराब्धितनयायै नमः। Om Kshirabdhitanayayai Namah।

ॐ क्षेम्यायै नमः। Om Kshemyayai Namah।

ॐ जगत्त्राणविधायिन्यै नमः। Om Jagattranavidhayinyai Namah।

ॐ महामार्यै नमः। Om Mahamaryai Namah।

ॐ महामोहायै नमः। Om Mahamohayai Namah।

ॐ महाक्रोधायै नमः। Om Mahakrodhayai Namah।

ॐ महानद्यै नमः। Om Mahanadyai Namah।

ॐ महापातकसंहन्त्र्यै नमः। Om Mahapatakasamhantryai Namah।

ॐ महामोहप्रदायिन्यै नमः। Om Mahamohapradayinyai Namah।

ॐ विकरालायै नमः। Om Vikaralayai Namah।

ॐ महाकालायै नमः। Om Mahakalayai Namah।

ॐ कालरूपायै नमः। Om Kalarupayai Namah।

ॐ कलावत्यै नमः। Om Kalavatyai Namah।

ॐ कपालखट्वाङ्गधरायै नमः। Om Kapalakhatvangadharayai Namah।

ॐ खड्गखर्परधारिण्यै नमः। Om Khadgakharparadharinyai Namah।

ॐ कुमार्यै नमः। Om Kumaryai Namah।

ॐ कुङ्कुमप्रीतायै नमः। Om Kunkumapritayai Namah।

ॐ कुङ्कुमारूणरञ्जितायै नमः। Om Kunkumarunaranjitayai Namah।

ॐ कौमोदक्यै नमः। Om Kaumodakyai Namah।

ॐ कुमुदिन्यै नमः। Om Kumudinyai Namah।

ॐ कीर्त्यायै नमः। Om Kirtyayai Namah।

ॐ कीर्तिप्रदायिन्यै नमः। Om Kirtipradayinyai Namah।

ॐ नवीनायै नमः। Om Navinayai Namah।

ॐ नीरदायै नमः। Om Niradayai Namah।

ॐ नित्यायै नमः। Om Nityayai Namah।

ॐ नन्दिकेश्वरपालिन्यै नमः। Om Nandikeshwarapalinyai Namah।

ॐ घर्घरायै नमः। Om Ghargharayai Namah।

ॐ घर्घरारावायै नमः। Om Gharghararavayai Namah।

ॐ घोरायै नमः। Om Ghorayai Namah।

ॐ मनोभवायै नमः। Om Manobhavayai Namah।

ॐ मनुमय्यै नमः। Om Manumayyai Namah।

ॐ मनुवंशप्रवर्धिन्यै नमः। Om Manuvanshapravardhinyai Namah।

ॐ श्यामायै नमः। Om Shyamayai Namah।

ॐ श्यामतनवे नमः। Om Shyamatanave Namah।

ॐ शोभायै नमः। Om Shobhayai Namah।

ॐ सौम्यायै नमः। Om Saumyayai Namah।

ॐ शम्भुविलासिन्यै नमः। Om Shambhuvilasinyai Namah।

ॐ घोरस्वरूपिण्यै नमः। Om Ghoraswarupinyai Namah।

ॐ कलिघ्न्यै नमः। Om Kalighnyai Namah।

ॐ कलिधर्मघ्न्यै नमः। Om Kalidharmaghnyai Namah।

ॐ कलिकौतुकनाशिन्यै नमः। Om Kalikautukanashinyai Namah।

ॐ किशोर्यै नमः। Om Kishoryai Namah।

ॐ केशवप्रीतायै नमः। Om Keshavapritayai Namah।

ॐ क्लेशसङ्घनिवारिण्यै नमः। Om Kleshasanghanivarinyai Namah।

ॐ महोन्मत्तायै नमः। Om Mahonmattayai Namah।

ॐ महामत्तायै नमः। Om Mahamattayai Namah।

ॐ महाविद्यायै नमः। Om Mahavidyayai Namah।

ॐ महीमय्यै नमः। Om Mahimayyai Namah।

ॐ महायज्ञायै नमः। Om Mahayagyayai Namah।

ॐ महावाण्यै नमः। Om Mahavanyai Namah।

ॐ महामन्दरधारिण्यै नमः। Om Mahamandaradharinyai Namah।

ॐ मोक्षदायै नमः। Om Mokshadayai Namah।

ॐ मोहदायै नमः। Om Mohadayai Namah।

ॐ मोहायै नमः। Om Mohayai Namah।

ॐ भुक्तिमुक्तिप्रदायिन्यै नमः। Om Bhuktimuktipradayinyai Namah।

ॐ अट्टाट्टहासनिरतायै नमः। Om Attattahasaniratayai Namah।

ॐ क्वणन्नूपुरधारिण्यै नमः। Om Kwanannupuradharinyai Namah।

ॐ दीर्घदंष्ट्रायै नमः। Om Dirghadamshtrayai Namah।

ॐ दामोदरप्रियायै नमः। Om Damodarapriyayai Namah।

ॐ दीर्घायै नमः। Om Dirghayai Namah।

ॐ दुर्गायै नमः। Om Durgayai Namah।

ॐ दुर्गतिनाशिन्यै नमः। Om Durgatinashinyai Namah।

ॐ लम्बोदर्यै नमः। Om Lambodaryai Namah।

ॐ लम्बकर्णायै नमः। Om Lambakarnayai Namah।

ॐ प्रलम्बितपयोधरायै नमः। Om Pralambitapayodharayai Namah।

ॐ दीर्घमुख्यै नमः। Om Dirghamukhyai Namah।

ॐ दीर्घघोणायै नमः। Om Dirghaghonayai Namah।

ॐ दीर्घिकायै नमः। Om Dirghikayai Namah।

ॐ दनुजान्तकर्यै नमः। Om Danujantakaryai Namah।

ॐ दुष्टायै नमः। Om Dushtayai Namah।

ॐ दुःखदारिद्र्यभञ्जिन्यै नमः। Om Dukhadaridryabhanjinyai Namah।

ॐ दुराचारायै नमः। Om Duracharayai Namah।

ॐ दोषघ्न्यै नमः। Om Doshaghnyai Namah।

ॐ दमपत्न्यै नमः। Om Damapatnyai Namah।

ॐ दयापरायै नमः। Om Dayaparayai Namah।

दस महाविद्या शक्तियां-Das Mahavidya