रूद्र अवतार हनुमान जी का जन्मोत्सव
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव का पावन त्योहार मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। मान्यता है कि बजरंगबली दयालु व शक्तिशाली हैं, इनकी कृपा से भक्तों को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जहां हनुमान जी की कृपा होती है, उस घर में किसी चीज की कमी नहीं रहती है। लेकिन इनकी पूजा में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
1) हनुमान जी की पूजा करने करते समय चरणामृत का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चरणामृत का प्रयोग करने से अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
2) हनुमान जी बाल ब्रह्यचारी हैं। हनुमान जी की पूजा करते समय ब्रह्यचर्य व्रत का सख्ती से पालन करना चाहिए। इसलिए पूजा के दौरान महिलाओं को उनका स्पर्श नहीं करना चाहिए।
3) हनुमान जी की पूजा में टूटी हुई या खंडित मूर्ति का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर घर में हनुमान जी की कोई फटी तस्वीर है तो उसे तुरंत हटा दें। मान्यता है कि ऐसा करने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।
4) काले या सफेद रंग के कपड़े पहनकर कभी हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। बजरंगबली की पूजा करते समय पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
5) हनुमान जन्मोत्सव पर व्रत रखने वाले भक्तों को दिन में नहीं सोना चाहिए। इसके अलावा दान में मिली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
6) सूतक काल में हनुमान जी की पूजा नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि सूतक काल में पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है।
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जयंती नहीं जन्मोत्सव कहें! कई लोग भगवान हनुमान की जन्मतिथि के इस पर्व को हनुमान जयंती कह रहे हैं, जबकि ऐसा कहना उचित नहीं है। भगवान हनुमान की जन्मतिथि के दिन को जन्मोत्सव कहना चाहिए। साथ ही जयंती और जन्मोत्सव के फर्क को समझना चाहिए। दरअसल जयंती शब्द का इस्तेमाल किसी ऐसे व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो अब इस संसार में नहीं है। वहीं भगवान हनुमान की जन्मतिथि को लेकर बात करें तो इसके लिए जन्मोत्सव शब्द का ही इस्तेमाल होना चाहिए क्योंकि कलियुग में केवल श्री राम भक्त हनुमान जी ही चिंरजीवी हैं। वे अजर-अमर हैं और आज भी विद्यमान हैं। जन्मोत्सव कहने के लिए करें प्रेरित जयंती और जन्मोत्सव शब्द के इस बड़े मूलभूत अंतर को देखते हुए भगवान हनुमान के जन्म के पर्व के लिए जन्मोत्सव शब्द का ही इस्तेमाल करें। साथ ही अन्य लोगों को भी सही शब्द कहने के लिए ही प्रेरित करें।
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