शनिदेव द्वारा बताया गया कलियुग का भविष्य- The future of Kaliyuga told by Shani Dev

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शनिदेव द्वारा बताया गया कलियुग का भविष्य
(The future of Kaliyuga told by Shani Dev)

शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वह व्यक्तियों को उनके कर्मों के अनुसार ही दंडित करते हैं। कई बार तो किसी-किसी व्यक्ति पर उसके शुभ कर्मों के चलते शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उसे धन-धान्य और हर तरह से समृद्ध कर देते हैं। शनिदेव ने देवताओं की भी कठिन परीक्षा ली है। इसी कड़ी की एक कहानी महाभारत काल में भी मिलती है। जब उन्होंने पांडवों की न केवल कठिन परीक्षा ली बल्कि जब वह सफल नहीं हुए तो उन्हें भी दंड दे डाला। महाभारत काल में पांडवों को 12 वर्ष के वनवास के साथ ही 1 वर्ष का अज्ञातवास दिया गया था। उनके अज्ञातवास में कुछ ही समय शेष था और सभी किसी जगह की तलाश में थे। जहां उन्हें कोई भी पहचान न सके। तभी शनिदेव की नजर पांडवों पर पड़ी। उनके मन में विचार आया कि क्यों न इनकी परीक्षा ली जाए? देखा जाए कि पांडवों में कौन सबसे ज्यादा समझदार है? इसी कड़ी में उन्होंने एक माया महल का निर्माण कर दिया।

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माया रूपी महल को देखते ही भीम के मन में उस महल को देखने की इच्छा प्रकट हुई। उन्होंने बड़े भाई युधिष्ठिर से आज्ञा ली और महल के अंदर प्रवेश करने लगे। तभी दरबान बनें शनिदेव ने उन्हें रोक लिया। उन्होंने कहा कि कुछ शर्तों पर ही प्रवेश मिलेगा। भीम सहमत हुए। तब शनिदेव ने कहा कि भीतर जो भी वस्तुएं आप देखेंगे उसका अर्थ बताना होगा। अन्यथा आपको बंदी बना लेंगे। यह सुनने के बाद भीम महल के अंदर गए। वहां उन्होंने तीन कुएं देखें। इसमें एक सबसे बड़ा था और दो छोटे कुएं थे। जब बड़े कुएं का पानी उछलता था तो बराबर के दोनों कुएं भर जाते थे। लेकिन जब छोटे कुएं में पानी उछलता तो बड़े कुएं का पानी आधा ही रह जाता। यह देखकर भीम लौट आते हैं। बाहर शनदिेव उनके इन कुओं का मतलब पूछते हैं तो भीम उन्हें नहीं बता पाते। तब शनिदेव शर्त के मुताबिक उन्हें बंदी बना लेते हैं। 

बहुत देर हो गयी भीम नहीं लौटे तो अर्जुन उन्हें खोजने पहुंचे तो शनिदेव ने उन्हें पूरी बात कह सुनाई। साथ ही शर्त मानने पर ही महल में प्रवेश करने को कहा। अर्जुन बात मान जाते हैं और भीतर जाते हैं। वहां देखते हैं कि एक तरफ मक्के की तो दूसरी तरफ बाजरे की फसल उग रही है। मक्के के पौधे में बाजरा और बाजरे में मक्का का फल निकल रहा है। यह देखकर वह बाहर आते हैं। अन्य देखी हुई चीजों का अर्थ तो बता देते हैं लेकिन मक्का और बाजरा उनकी समझ से परे होता है। शनिदेव उन्हें भी बंदी बना देते हैं। इसी तरह नकुल और सहदेव को भी जवाब न दे पाने के चलते शनिदेव उन्हें भी बंदी बना लेते हैं।

भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव महल से बाहर नहीं आए तो युधिष्ठिर पत्नी द्रौपदी के साथ महल पहुंचे। उन्होंने दरबान से सभी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि सभी उनकी शर्तों को पूरी न कर सके इसलिए सभी बंदी हैं। तब युधिष्ठिर ने कहा कि वह उनकी शर्त पूरी करेंगे और वह सभी देखी हुई वस्तुओं का अर्थ बताएंगे। तब सबसे पहले भीम को सामने लाया गया। भीम के कुएं के दृश्य के बारे मे युधिष्ठिर ने बताया कि इसका अर्थ है कि कलयुग में एक पिता दो बेटों का पेट तो भर देगा लेकिन दो बेटे अपने एक पिता का पेट नहीं भर पाएंगे। इस जवाब पर भीम को छोड़ दिया गया। इसके बाद अर्जुन आए। उनके दृश्य का अर्थ युधिष्ठिर ने कुछ यूं बताया कि इसका आशय कुल परिवर्तन से है। यानि कि कलियुग में विवाह के लिए जात-पात का भेद नहीं किया जाएगा लोग अपने कुल की मर्यादा को त्यागकर किसी भी कुल में विवाह करने लगेंगे।

भीम और अर्जुन के बाद युधिष्ठिर ने बारी-बारी से नकुल और सहदेव के दृश्यों का भी जवाब दिया। युधिष्ठिर ने नकुल के देखे हुए दृश्य यानी कि जब गायों को भूख लगती है तो वह अपनी बछिया का दूध पीती हैं का अर्थ बताया। उन्होंने बताया कि इसका मतलब है कि कलयुग में बड़े-बुजुर्गों के प्रति बच्चों का सम्मान बिल्कुल न के बराबर होगा। कई जगहों पर मां-पिता को बेटों की उपेक्षा झेलनी पड़ सकती है। वहीं सहदेव ने एक चांदी के सिक्के पर सोने की विशाल शिला को टिके हुए देखा था। युधिष्ठिर ने बताया कि इसका आशय है कि कलयुग में पाप धर्म को दबाने की लाख कोशिशें करेगा लेकिन वह सफल नहीं होगा। यह सुनने के बाद शनिदेव ने नकुल और सहदेव को भी मुक्त कर देते हैं। इस तरह शनिदेव की परीक्षा में युधिष्ठिर सबसे अधिक बुद्धिमान साबित होते हैं।

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