बुध देवता दिलाते हैं हर कामयाबी
(Budh Dev ensures every success)
बुध ग्रह सब सुखों के लिए ब्रह्मास्त्र है (Mercury is the Brahmastra for all happiness): सभी प्रकार के सुखों की कामना के लिए बुध्रवार का व्रत करना चाहिए और इस दिन हरी वस्तुओं का उपयोग करना अति लाभकारी होता है इस दिन भगवान शिव की पूजा बेल-पत्र इत्यादि से करना अति लाभकारी होता है।
बुध ग्रह के प्रकोप से मनुष्य को इन स्थितियों का सामना करना पड़ता है (Humans have to face these conditions due to the outbreak of the planet Mercury): त्वचा, मुंह, जिवा, नाक, कान, गर्दन, खुजली, एलर्जी, शरीर पर दाग, दाने, धब्बे, चेचक, पित्त, कफ, सिर दर्द, मानसिक शक्ति क्षीण, सूँघने की शक्ति क्षीण, स्मरण शक्ति क्षीण इत्यादि सम्बंधी स्थितियों का सामना करना पड़ता सकता है।

गुरू और शिष्य में स्त्री के लिए घोर युद्ध (A fierce battle between Guru and disciple for a woman in hindi)
गुरू वृहस्पति चन्द्रमा के गुरू थे और गुरू की पत्नी तारा के सौन्दर्य से चन्द्रमा अत्यन्त प्रभावित हुये और उन्होंने उनसे विवाह का प्रस्ताव दिया। तारा ने विवाह का प्रस्ताव को ठुकरा दिया इससे चन्द्रमा अत्यन्त क्रोधित होकर तारा का हरण किया। तदपश्चात तारा के गर्भ में बुद्धदेव की जन्म प्रक्रिया शुरू हो गई थी जिसके कारण गुरू वृहस्पति के वापस बुलाने पर तारा ने मना कर दिया इससे गुरू वृहस्पति अत्यन्त क्रोधित हुये। चन्द्रमा तथा वृहस्पति के बीच घोर युद्ध आरम्भ हुआ, इस युद्ध में दैत्य गुरू शुक्राचार्य ने चन्द्रमा का साथ दिया। देवताअें ने गुरू वृहस्पति का साथ दिया इस युद्ध के परिणाम को लेकर ब्रहमा जी को सृष्टि की चिन्ता होने लगी। उन्होंने तारा को समझा कर गुरू वृहस्पति के पास भेज दिया, इस बीच तारा ने सुन्दर बालक को जन्म दिया। बृहस्पति और चन्द्र दोनों ही बालक को अपना पुत्र बताने लगे। समय के साथ बड़े होकर एक दिन स्वयं बुद्ध ने माता को सत्य बताने के लिए बाध्य किया और तारा ने चन्द्रमा को उनका पिता बताया। यह सुनकर बुध को अपने जीवन पर क्रोध होने लगा और पाप मुक्ति के लिए उन्होंने हिमालय पर्वत में भगवान विष्णु की कठोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया। भगवान विष्णु ने दर्शन देकर उन्हें वैदिक विधाएं एवं सभी कलाओं का वरदान दिया और वृहस्पति बुध के पालनकर्ता होने के साथ-साथ उनके पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
बुधदेव कथा-Budhdev Katha
एक आदमी अपनी पत्नी को लेकर अपने ससुराल गया। कुछ दिनों तक वहां रहने के बाद उसने अपनी पत्नी को विदा करने के लिए अपने विचार व्यक्त किये, परन्तु सास और ससुर दोनों ने भी अपने विचार व्यक्त किये कि आज बुधवार है, प्रस्थान के लिए ठीक नही है। यह सब सुनने के बाद भी वह अपनी पत्नी को लेकर चल पड़ा।चलते-चलते उसकी पत्नी को प्यास लगी और उसने अनुरोध किया मुझे पानी पीना है। उसका पति पानी ले जाता है और वापस आते देखता है कि उसकी शक्ल और भेष-भूषा वाला व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा है। यह देखकर उसे क्रोध आया और पूछने लगा कौन हो तुम, तब वह बोला यह मेरी पत्नी है अभी-अभी ससुराल से लाया हूं। दोनों व्यक्ति आपस में लड़ने-झगड़ने लगे इतने में राज्य के सिपाही वहां पहुंच गये। स्त्री से पूछने लगे तुम्हारा पति इनमें से कौन है स्त्री चुप ही रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे। इतने में व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि हे प्रभु सत्य का फैसला कीजिये तभी आकशवाणी हुई मूर्ख बुधवार को प्रस्थान नहीं करना था। यह सब बुध देव की लीला है तब उसने बुध देव से प्रार्थना और अपनी गल्ती के लिए क्षमा मांगी। और पति-पत्नी ने घर पहुंचने के बाद नियमानुसार बुधवार का व्रत करने लगे। बुध की कृपा से हर तरफ सुख-समृद्धि का माहौल स्वयं स्थापित हो गया। जो भी मनुष्य बुध ग्रह की विधिवत कथा तथा इसके उपाय करता है। उस पर बुध वार प्रस्थान का कोई भी दोष नही लगता है।
समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)
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