गठिया (Gout) का मुख्य कारण improper diet होता है। जैसे अधिक मात्रा में Meat, fish, highly spicy food alcohol और fructose युक्त पेय पदार्थों का सेवन। इसके अलावा हमारे शरीर में आई चयापचय (metabolism) में खराबी के कारण और मोटापा के कारण भी अर्थराइटिस (Arthritis) होता है। Joint Pain की समस्या को सामान्य भाषा में लोग गठिया (Gout) के नाम से जानते हैं वहीं मेडिकल भाषा में इसे आर्थराइटिस (Arthritis) कहा जाता है। पहले के समय में ये समस्या 50 के बाद की उम्र पर होती थी लेकिन आजकल युवाओं के बीच भी ये समस्या बढ़ने लगी है। सर्दियों में ये परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। जोड़ों के कार्टिलेज (Cartilage) घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट (Smoothness) कम होने लगती है इससे जोड़ों में दर्द के साथ टेढ़ापन, सूजन और जलन जैसी समस्याएं होने लगती है।
जड़ी बूटियों में से एक बोसवेलिया (Boswellia) नाम दवा रूपी रस भी है। बोसवेलिया दरअसल बोसवेलिया सेराटा नामक पेड़ से एक रस के रूप में प्राप्त होता है जिसे सुखाकर रखा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Indian Franciscans है। इसका लोकप्रिय नाम शलक्की भी है। बोसवेलिया को एशिया व अफ्रीका में गठिया के उपाय के लिए काफी लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है। बोसवेलिया प्रमुख रूप से Polysaccharide नामक पदार्थ से बना होता है। यह सफेद डलियों के रूप में मिलता है जिसे चूर्ण की तरह पीसकर इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद कहता है कि बोसवेलिया में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो शरीर के अंदर की सूजन व लालिमा को कम करने की क्षमता रखते हैं। खास तौर पर Rheumatoid Arthritis के मरीजों के लिए बोसवेलिया का इस्तेमाल काफी प्रभावशाली होता है।
यूरिक एसिड के कारण गठिया (Gout due to uric acid): हमारे शरीर में यूरिक एसिड (Uric Acid) का निर्माण कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों से मिलने वाले यूरिक एसिड के टूटने से होता है। यही यूरिक एसिड बनने के बाद हमारे ब्लड में घुलकर किडनियों से होते हुए यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है, लेकिन अगर यह यूरिक एसिड यूरिन के जरिए बाहर नहीं निकल पाता है तो यह हमारे ब्लड में ही इकट्ठा होने लगता है। यह यूरिक हमारी किडनियों और जोड़ों में इकट्ठा होकर वहां गठिया गुर्दों की पथरी और खराबी जैसे लक्षण पैदा करता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis): यह एक ऑटोइम्यून (Autoimmune) बीमारी है जो जोड़ों और उसके आसपास के ऊतकों में सूजन का कारण बनती है। यह शरीर के अन्य अंगों में सूजन का कारण बन सकता है और इस प्रकार इसे व्यवस्थित बीमारी के रूप में भी जाना जाता है।
सरल उपचार (Simple Treatment): उपचार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा शारीरिक थेरेपी और गतिशील व्यायाम है। जोड़ों के बीच रिक्त स्थानों में मौजूद द्रव या तरल पूरे दिन सामान्य रूप से परिचालित होता रहता है और रक्त के अल्ट्रा फिल्ट्रेशन से जोड़ों का ताजा द्रव बनता रहता है। व्यक्ति जितना अधिक सक्रिय होता है उतना अधिक वहां संचालन होता है और जोड़ों से हानिकारक रसायन निकल जाते हैं। इससे जोड़ों का नुकसान कम होता है।
एलोपैथी की बात करें तो गठिया का कोई स्थायी इलाज नहीं सामने आ पाया है। एंटी बायोटिक दवाएं कुछ समय के लिए दर्द और सूजन कम कर सकती हैं लेकिन इसे स्थायी तौर पर खत्म नहीं कर सकती।
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