श्रावण मास में शनिदेव की पूजा बहुत जरूरी- Worship of Shani Dev is very important in the shravan month

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श्रावण मास में शनिदेव की पूजा बहुत जरूरी 
(Worship of Shani Dev is very important in the shravan month)

शनि के प्रभावों से हर कोई बचना चाहता है। शनि के कुप्रभावों से बचने के लिए हर कोई कुछ उपाय करता है, ताकि शनि से होने वाली समस्याओं से बचा जा सके। व्यक्ति पर शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अगर शनि के कुप्रभावों से खुद को बचाए रखना चाहते हैं, तो श्रावण का महीना इसके लिए बेहद खास है। सावन का मास भगवान शिव को समर्पित है। इस मास में की गई भोले की आराधना का फल बहुत जल्द मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव भगवान शिव के शिष्य हैं, ऐसे में शिव भक्तों पर शनि अपनी कुदृष्टि नहीं डालते और वे शनिदशा के दौरान भी शनि प्रकोप से बच जाते हैं। सावन मास में भगवान शिव का चालीसा करने मात्र से ही शिव जी प्रसन्न होते हैं और शनिदेव की बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।

श्रावण मास में की गई शिव-पार्वती की आराधना का फल बहुत जल्द मिलता है। शनिदेव भगवान शिव के शिष्य हैं ऐसे में शिव भक्तों पर शनि अपनी कुदृष्टि नहीं डालते, shravan month importance in hindi, shravan mass mein shanidev ki pooja in hindi, shravan mass mein shanidevi pooja jaroori hai in hindi, what is the story behind shravan in hindi, why lord shiva is worship in shravan month in hindi, which god is worshipped in shravan month in hindi, why is shravan month the holiest month in the hindu in hindi,sawan mahine mein shanidev ki pooja in hindi,sawan mahine mein shani dev ki pooja bhoot hi jaroori hai in hindi,  shiv chalisa in hindi, shiv chalisa pdf in hindi, spiritual activities during shravan maas in hindi, importance and benefits in shravan month, shravan maas in hindi, sakshambano image, sakshambano ka udeshya in hindi, sakshambano ke barein mein in hindi, sakshambano ki pahchan in hindi, apne aap sakshambano in hindi, sakshambano blogger in hindi,  sakshambano  png, sakshambano pdf in 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पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव दंडाधिकारी है। माना जाता है कि न्याय करते वक्त शनिदेव किसी से न तो प्रभावित होते हैं और न ही किसी से डरते हैं। शनिदेव निष्पक्ष होकर न्याय करते हैं। वो सभी को कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं और दंड देते हैं। भगवान शिव जो समस्त संसार के लिए पूजनीय हैं और देवों के देव महादेव हैं, उन्होंने शनिदेव को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया अर्थात भगवान भोलेनाथ शनिदेव के गुरु हैं। इसलिए कहा जाता है कि शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए क्योंकि यदि गुरु प्रसन्न हैं तो शिष्य भी प्रसन्न होंगे। श्रावण के महीने का सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि शनिदेव के साथ भी गहरा संबंध है। यदि शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो श्रावण के महीने में उनकी भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से शीघ्र ही भगवान शनिदेव को प्रसन्न कर सकते। 

श्रावण के प्रत्येक शनिवार को शनि संपत व्रत रखा जाता है। इस व्रत के फलस्वरूप शनिदेव का प्रकोप शांत होता है और जन्म कुंडली में शनिदेव द्वारा जनित दोषों का शमन होता है। श्रावण के प्रत्येक शनिवार को संपत शनिवार कहा जाता है यही वजह है कि इस व्रत को रखने से ना केवल उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है बल्कि धन-संपत्ति की प्रबलता भी मिलती है। शनि देव वायु तत्व पर अपना आधिपत्य रखते हैं, इसलिए शनि देव की कृपा से वातावरण में वायु तत्व की भी वृद्धि हो जाती है और पारिस्थितिक संतुलन बनने से सभी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

शिव चालीसा (Shiv Chalisa)

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ।।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।।
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा।।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी।।
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं।।
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला।।
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई।।
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई।।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर।।
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी।।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै।।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो।।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो।।
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई।।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी।।
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं।।
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन।।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं।।
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई।।
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी।।
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे।।
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे।।
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के।।
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए।।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे।।
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे।।

 • Shani kripa se acche din avashya aate hain
 • Good days definitely come by Shani-Kripa in hindi
  To get the blessings of Shani Dev

समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)

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