अशुद्ध उच्चारण, रावण के लिए मृत्यु का रास्ता बना
मां दुर्गा ने ऋषि-मुनियों और मानव जाति की रक्षा के लिए चण्डी रूप धारण किया। मां चण्डी ने रूद्र रूप ने असुरों का संहार किया। धर्म शास्त्रों के अनुसार मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी ने रावण पर विजय प्राप्ति के लिए ब्रहमा जी का आवहन किया। ब्रहमा जी प्रकट हुये, मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी विनम्र भाव से रावण पर विजय प्राप्त करने का उपाय पूछा। ब्रहमा जी ने मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी को बताया कि मां चण्डी को प्रसन्न करके रावण पर विजय प्राप्त की जा सकती है और मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी ने मां चण्डी का पूजा और हवन के लिए एक सौ आठ नीलकमल की वयस्था की। रावण ने भी विजय के लिए चण्डी पाठ आरम्भ किया।
रावण के पास मायावी शक्तियों का भंडार था इसलिए उसने अपनी माया से मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी पूजा हवन सामग्री से नीलकमल को अदर्शय कर दिया। जब मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी को नीलकमल के बारे में ज्ञात हुआ। नीलकमल की पुनः प्रप्ति आसान नही थी इसलिए मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी को स्मरण हुआ कि मुझे स्वयं कमल नयन नवकंच लोचन कहते है इसलिए संकल्प हेतू एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए। मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी ने जैसे तीर से अपना नेत्र निकालना चाहा शीघ्र मां चण्डी प्रकट हुई और मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम जी को विजय श्री का आशीर्वाद दिया।
रावण के यहां भी ब्राहमणों द्वारा चण्डी पाठ आरम्भ होने लगा इतने में महाबल हनुमान जी को मालूम हुआ कि रावण ने प्रभु श्रीराम जी के यज्ञ में बाधा पहुंचाई तो उन्होंने स्वयं चतुराई से बालक का रूाप धारण किया और लंका पहुचे। महाबली का बालक रूप को कोई पहचान न पाया। बालक हनुमान जी ने यज्ञ में सम्मलित होकर ब्राहमणों की खूब सेवा की इससे सभी ब्राहमणों ने प्रसन्न होकर बालक को अपने पास बुलाया और वरदान मागने को कहा।हनुमान जी विन्रम भाव से अनुरोध किया कि आपके द्वारा पढ़े जा रहे मंत्रों में एक शब्द बदल दिया जाए तो यही मेरे लिए वरदान होगा। ब्राहमण बालक के रूप में हनुमान की बात को समझ ने पाये और वरदान के लिए सहमत हो गयो। भर्तिहरणी का अर्थ होता है -मनुष्यों की रक्षा करने वाली होता है इसमें अगर ह की जगह क लगाने से भर्तीकरणी हुआ। इसका अर्थ होता है- प्राणियों का नाश करने वाली। रावण के इस यज्ञ में मां चण्डी का घोर अपमान हुआ। मां चण्डी के अपमान के लिए रावण को सर्वनाश का श्राप मिला यही वजह रावण की मृत्यु का कारण बनी।
माँ दुर्गा के नौ स्वरूप-Maa Durga Ke Nau Roop