नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। (Har safalta ki Devi Maa Brahmacharini in hindi,) माँ ब्रह्मचारिणी त्याग और तपस्या की देवी है इनको वेद-शास्त्रों और ज्ञान की जननी भी माना गया है। माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यन्त भव्य और तेजयुक्त है। माँ ब्रह्मचारिणी के सफेद वस्त्र धारण किये है। इनके दाएं हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है।नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप माँं ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। माँ ब्रह्मचारिणी की कथा जीवन के कठिन क्षणों में अपने भक्तों को संबल देती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। देवी दुर्गा का यह दूसरा रूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। ऐसा भक्त इसलिए करते हैं ताकि माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सके।
माँ-ब्रह्मचारिणी-दूसरा-स्वरूप-पूजा-मंत्र-कथा
माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini)
पिछले जन्म में देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की इसी कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहकर तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रही। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रही। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की यह आप से ही संभव थी। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे है।
मंत्र
अर्थ
ध्यान-साधना
ध्यान-साधना मंत्र
कवच
माँ दुर्गा के नौ स्वरूप-Maa Durga Ke Nau Roop