माँ कात्यायनी की पूजा से चारों फलों की प्राप्ति होती है-Worshiping Maa Katyayani It Brings All Four Happiness

Share:

माँ कात्यायनी की पूजा से चारों फलों की प्राप्ति होती है
(Worshiping Maa Katyayani It Brings All Four Happiness)

माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कथा है कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। 

माँ कात्यायनी की पूजा से चारों फलों की प्राप्ति होती है, Worshiping Maa Katyayani It Brings All Four Happiness in hindi, Maa Katyayani vrat vidhi in hindi,  Maa Katyayani Katha Puja Vidhi in hindi, maa katyayani mantra in hindi, maa katyayani beej mantra in hindi, maa katyayani mantra benefits in hindi, Katyayani Mantra: Benefits And Significance in hindi, Worshiping Maa Katyayani it brings all four happiness in hindi, durga avatar hindi, maa durga ka panchva avatar hindi, maa durga ki shakti in hindi, Maa Katyayani ke barein mein hindi, Maa Katyayani ki pooja in hindi, Maa Katyayani ki jankari hindi, Maa Katyayani ki katha hindi, Maa Katyayani kaun hai hindi, kaise karni hai Maa Katyayani  pooja hindi, durga ke roop in hindi, maa durga nau roop in hindi, maa durga ke avatar hindi, maa ki shakti hindi, sakshambano, sakshambano ka uddeshya, latest viral post of sakshambano website, sakshambano pdf hindi,

महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्त सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था। माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। इनकी आराधना करने से साधक के व्यक्तित्व में बदलाव आने लगते है वह खोजी प्रवति का हो जाता है, उसके अंदर ज्ञान की वृद्धि होने लगती है और आज विज्ञान के युग में जितने भी हर रोज नये नये आविष्कार होते है वो सभी माता कात्यायनी के आशीर्वाद से ही सम्भव होते है।

बृज गोपिकाओं ने भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए कालिंदी यमुना नदी के किनारे पर  माता कात्यानी की पूजा की थी। आज भी बृज में माँ कात्यायनी अधिष्ठात्री देवी के रूप में विराजमान है। सबसे पहले माता कात्यानी वैद्यनाथ नाम के स्थान पर प्रकट हुई। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है यह स्वर्ण के समान तेज है। इनकी चार भुजाएं है दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। माँ के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। 

यचंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। 
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ कात्यायनी की कृपा से मनचाहा जीवन साथी की प्राप्ति होती है: जिन लोगों की शादी में रुकावट आ रही हो या मनचाही शादी ना हो पा रही हो उन्हें देवी कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। देवी कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए और उनके पूजन में भी शहद को प्रमुखता से शामिल करना चाहिए। माना जाता है कि इससे विवाह योग और प्रबल हो जाता है।

इस मंत्र द्वारा विवाह संबंधी रुकावट दूर हो जाती है
हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा माँ कुरु कल्याणी कान्त कान्तां सुदुर्लभाम।।

शिक्षा में सफलता के लिए माँ कात्यायनी पूजा: माँ कात्यायनी की पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में अपार सफलता की प्राप्त होती है।

हर प्रकार के कष्ट दूर होते है: माँ कात्यायनी को शोध की देवी माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति देवी कात्यायनी की पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते है। समस्त जीवन में उसे कोई परेशानी नहीं होती है।

माँ दुर्गा के नौ स्वरूप-Maa Durga Ke Nau Roop