विवाह संबंधी बाधाओं का निवारण करती है महागौरी पूजा-Vivah sambandhi badhao ka nivaran karti hai mahagauri pooja

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आठवीं शक्ति महागौरी
(Mahagauri Pooja removes obstacles related to marriage) 

आठवीं शक्ति का नाम महागौरी, इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कून्द के फूल की गयी है। महागौरी का सांसारिक स्वरूप माँं महागौरी को शिवा भी कहा जाता है। इनके एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथे हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है। महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती है। इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत है। 

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माँ महागौरी की पूजा से मधुमेह और आँखों की हर समस्या से छुटकारा 

महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप नष्ट हो जाते है। माँ ने शिव वरण के लिए कठोर तपस्या का संकल्प लिया था जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को पवित्र गंगाजल से मलकर धोया तब वह विद्युत के समान गौर हो गया और इनका नाम महागौरी पड़ा। महागौरी की पूजा करते समय जहाँ तक हो सके गुलाबी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। महागौरी गृहस्थ आश्रम की देवी है और गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। एक परिवार को प्रेम के धागों से ही गूथकर रखा जा सकता है इसलिए आज के दिन गुलाबी रंग पहनना शुभ रहता है।

i) माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी। माँ महागौरी श्वेत वर्ण की है और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है।

ii) विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण मैं इनकी पूजा अति फलदायक होती है।

iii) पूजा में माँ को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें।

iv) पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होता है।

v) अष्टमी के दिन माँ को नारियल का भोग लगाएं। इस दिन नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

vi) माँ महागौरी की पूजा से मधुमेह और आँखों की हर समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही हर तरह बाधाएं दूर होती है।

vii) माँ गौरी को दूध की कटोरी में रखकर चांदी का सिक्का अर्पित करें। सिक्के को धोकर सदैव के लिए अपने पास रख लें।

ध्यान-साधना

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्।।
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्।।

पूजा-पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्।।
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्।।
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्।।

कवच

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो।।
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी माँ नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो।।

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