महर्षि वशिष्ठ-Maharshi Vashisht
महर्षि वशिष्ठ-Maharshi Vashisht ब्रह्मर्षि वशिष्ठ जी ब्रह्माजी के मानसपुत्र है। सृष्टि के प्रारम्भ में ही ब्रह्मा के प्राणो से उत्पन्न उन...
Read more »महर्षि वशिष्ठ-Maharshi Vashisht ब्रह्मर्षि वशिष्ठ जी ब्रह्माजी के मानसपुत्र है। सृष्टि के प्रारम्भ में ही ब्रह्मा के प्राणो से उत्पन्न उन...
Read more »माँ चंद्रबदनी शक्तिपीठ Maa Chandrabadni Shakti Peeth माँ चंद्रबदनी मंदिर उत्तराखंड के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है, जिसकी एक विशिष्...
Read more »भगवान परशुराम का फरसा आज भी मौजूद (Bhagwan Parshuram ka farsa aaj bhi maujood hai) टांगीनाथ धाम रांची से लगभग 150 किलोमीटर दूर गुमला जिले...
Read more »भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी क्यों हुई जल-विलीन (Bhagwan Shri Krishna ki Dwarka Nagari kyon hui jal-vileen) हिंदू धर्म के चार धामों में...
Read more »शीतला माता जिन्हें बासी भोग लगाया जाता है Sheetla Mata Ji ko basi bhog lagaya jata hai शीतला माता को चेचक रोग की देवी भी कहते है। हर साल ...
Read more »गरुड़ पुराण दूसरा अध्याय Garuda Purana Dusra Adhyay गरुड़ जी ने कहा–हे केशव- यमलोक का मार्ग किस प्रकार दु:खदायी होता है। पापी लोग वहाँ किस...
Read more »आमलकी एकादशी व्रत कथा Amalaki Ekadashi Vrat Katha भगवान् श्रीकृष्ण बोले-धर्मनन्दन! सुनो तुम्हें इस समय वह प्रसङ्ग सुनाता हूं, जिसे राजा मा...
Read more »गरुड़ पुराण पहला अध्याय Garuda Purana Pahla Adhyay भगवान श्री विष्णु तथा गरुड़ के संवाद में गरुड़ पुराण पापी मनुष्यों की इस लोक तथा परलोक मे...
Read more »माँ गंगा का मायका मुखवा मंदिर Maa Ganga Ka Mayka Mukhwa Mandir मुखवा, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हर्षिल वैली के पास बसा एक सुंदर पहा...
Read more »महाकुंभ प्रयागराज Mahakumbh Prayagraj हर 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले को पूर्ण कुंभ कहा जाता है। इसका आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन...
Read more »माँ कामाख्या देवी मंत्र Maa Kamakhya Devi Mantra क्लीं क्लीं कामाख्या क्लीं क्लीं नमः प्रतिदिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पूजा के स्थान...
Read more »माँ कामाख्या देवी पूजा स्थल Maa Kamakhya Devi Pooja Sthal भारत के असम राज्य गुवाहटी शहर से से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर मां कामख्या देवी...
Read more »श्री हरि स्तुति जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता। गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम...
Read more »विश्वकर्मा के पुत्र नल-नील (vishwakarma ke putra nal aur nil) एक दिन अनल अर्थात् नल तथा अनील अर्थात् नील ने मुनिन्द्र जी का सत्संग सुना। द...
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