ब्रहमा जी के 6 मानस पुत्रों में से एक मरीचि थेे और इनके पुत्र कश्यप ऋषि ने प्रजापति दक्ष की 17 कन्याओं से विवाह किया। पुराणों के अनुसार सब मनुष्य कश्यप ऋषि की संतान है। सारी जातियां महर्षि कश्यप की इन्हीं 17 पत्नियों की संतानें है। कश्यप ऋषि के पुत्र विस्वान से मनु का जन्म हुआ महाराज को इक्ष्वाकु, धृष्ट, नाभाग, शर्याति, नृग, नरिश्यन्त, दिष्ट, प्रान्शु, पृषध्र, करूष, नामक दस पुत्रों की प्राप्ति हुई।
ऋषि पत्नियों द्वारा उत्पन्न विभिन्न प्राणी
अदिति: प्रजापति दक्ष की पुत्री और कश्यप ऋषि की पत्नी अदिति ने तेजस्वी पुत्र देवराज इन्द्र को जन्म दिया।
दिति: कश्यप ऋषि की पत्नी दिति से हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नाम दो पुत्र एवं एक पुत्री सिंहिका का जन्म हुआ। पुराणों के अनुसार इन तीन पुत्रों के अलावा दिति ने 49 और पुत्रों को जन्म दिया। यह पुत्र मरून्दण से जाने जाते है सभी पुत्र निःसंतान रहे। हिरण्यकश्यप के चार पुत्र थे, अनुहल्लाद, हल्लाद, प्रहलाद, संहलाद।
दनु: दनु के गर्भ से द्विमुर्धा, शम्बर, अरिष्ट, विभावसु, अरुण, अनुतापन, हयग्रीव, धूम्रकेश, तारक, विरूपाक्ष, दुर्जय, शंकुशिरा, कपिल, शंकर, अयोमुख, एकचक्र, महाबाहु, महाबल, स्वर्भानु, वृषपर्वा, महाबली पुलोम, विप्रचिति इत्यादि 61 पुत्रों की प्राप्ति हुई।
काष्ठा: घोड़े आदि एक खुर वाले पशु उत्पन्न हुए।
अनिष्ठा: गन्धर्व को संतान के रूप में उत्पन्न किया।
सुरसा: यातुघान राक्षस उत्पन्न हुआ।
इला: वृक्ष, लता इत्यादि पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों को उत्पन्न किया।
मुनि: सुन्दर अप्सरा उत्पन्न हुई।
करोधवशा: सर्प, विच्छु आदि विषैले जन्तु उत्पन्न हुए।
सुरभि: गाय, भैस और दो खुर वाले पशुओं को उत्पन्न किया।
सरसा: बाघ जैसे हिंसक जीव को संतान के रूप में उत्पन्न किया।
ताम्रा: बाज, गिद्ध आदि शिकारी पक्षियों को उत्पन्न किया।
तिमि: जलचर जन्तुओं को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया।
विनता: गरुड़ विष्णु का वाहन और वरुण सूर्य का सारथि उत्पन्न हुए।
कद्रु: शेष नाग, वासुकिनाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, धृतराष्ट्र नाग, कालिया नाग इत्यादि नागों को उत्पन्न किया।
पतंगी: पक्षियों को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया।
यामिनी: शलभ या पंतगों को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया।
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