गायत्री चालीसा - Gayatri Chalisa

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गायत्री चालीसा 

जयति जयति गायत्री अम्बे, काटहु कष्ट न करहु विलम्बा। तब ध्यावत विधि विष्णु महेशा, लहत अगम सुख शांति हमेशा।। तू ही  ब्रहमज्ञान उर धारणी, जग तारणि मग मुक्त प्रसारणी। जन तन संकट नासन हारी, हरणि पिशाच प्रेत दै तारी।। मंगल मोद मरिण भय नासनि, घट-घट वासिनि बुद्धि प्रकासिनी। पूरण ज्ञान रत्न की खानि, सकल सिद्धि दानी कल्याणी।। सक्षमबनो इन हिन्दी में, sakshambano image, sakshambano ka ddeshya in hindi, sakshambano ke barein mein in hindi, sakshambano ki pahchan in hindi, apne aap sakshambano in hindi, sakshambano blogger in hindi,  sakshambano  png, sakshambano pdf in hindi, sakshambano photo, Ayurveda Lifestyle keep away from diseases in hindi, sakshambano in hindi, sakshambano hum sab in hindi, sakshambano website, adopt ayurveda lifestyle in hindi, to get rid of all problems in hindi, Vitamins are essential for healthy health in hindi in hindi, गायत्री चालीसा in hindi, Sri Gayatri Chalisa in hindi, solution by maa gayatri hin hindi, जयति जयति अम्बे जयति, जय गायत्री देवी। in hindi,  ब्रहम ज्ञान धारणिहृदय, आदिशक्ति सुरसेवी in hindi, जयति जयति गायत्री अम्बा  in hindi, काटहु कष्ट न करहु विलम्बा in hindi, तब ध्यावत विधि विष्णु महेशा in hindi, लहत अगम सुख शांति हमेशा in hindi तुहि जन ब्रहम ज्ञान उर धारणी in hindi, जग तारणि मग मुक्त प्रसारणी in hindi, जन तन संकट नासन हारी in hindi,  हरणि पिशाच प्रेत दै तारी in hindi, मंगल मोद मरिण भय नासनि in hindi, घट-घट वासिनि बुद्धि प्रकासिनी in hindi  पूरण ज्ञान रत्न की खानि। in hindi सकल सिद्धि दानी कल्याणी  in hindi, शम्भु नेत्र नित निरत करैया  in hindi, भव भय दारुण दर पहरइया in hindi, सर्व काम क्रोधादि माया in hindi, ममता मत्सर मोह अदाया in hindi, अगम अनिष्ट हरण महाशक्ति in hindi, महज भरण भक्तन उर भक्ति in hindi, ऊँ रूपकलि कलषु विभंजनि in hindi, भूर्भुवः स्वः स्वतः निरंजनि in hindi, शब्द तत्सवितु हंस सवारी in hindi, अरु वण्यं ब्रहम दुलारी in hindi, भर्गो जनतनु क्लेश भगावत in hindi, प्रेम सहित देवस्य जु ध्यावत in hindi, धीमहि धीर धरत उर माहीं in hindi, धियो बुद्धि बल विमल सुहाही in hindi यो नः नितनव भक्ति प्रकाशन in hiindi, प्रचोदयात् पुंज अघ नाशन in hindi, अक्षर-अक्षर महं गुण रूपा in hindi अगम अपार सुचरित अनूपा in hindi, जो गणमन्त्रन तुम्हरो जाना in hindi, शब्द अर्थ जो सुना न काना in hindi, सो नर दुलर्भ असतन पावत in hindi, पारस गहतन कनक बनावत in hindi, जब लगि ब्रहम कृपा नहिं तेरी in hindi, रहहि तबहि लगि ज्ञान की देरी in hindi, प्राकृति ब्रहम शक्ति बहु तेरी in hindi,  महा व्यह्ती ना घनेरी in hindi,  ऊँ तत्व रूप चर्तुदल माना in hindi,  र्भुवः भुवन पालन शुचिकारी in hindi, स्वः रक्षा सोलह दलधारी in hindi,  त-विधि रूप जन पालन हारी in hindi, त्स-रस रूप ब्रहम सुखकरी in hindi, वि-कचित गंध शिशिर संयुक्ता in hindi,  तु रमित घट घट जीवन मुक्ता in hindi, व-नत शब्द सू विग्रह कारण in hindi,  रे-स्व शरीर तत्नत धारण in hindi,  ण्य-सर्वत्र सुपालन कर्ता in hindi,  भ-भवन बीच मुद मंगल भर्ता in hindi,  र्गो-संयुक्त गंध अविनासी in hindi,  दे-तन बुद्धि वचन सुखरासी in hindi,  व-सत ब्रहम युग बाहु स्वरूपा in hindi,  स्य-तनु लसत षट दल अनुरूपा in hindi,  धी-जनु प्रकृति शब्द नित कारण in hindi  म-नितब्रहम रूपणि नित धारण in hindi,  हि-यहिसर्व परब्रहम प्रकासिन in hindi,  धियो-बुद्धि बल विद्या वासिन in hindi,  यो-सर्वत्रलसत थल जल निधि in hindi,  नः नित तेज पुंज जग बहु विधि in hindi, प्र-बलअनि अकाया नित कारण in hindi, चो-परिपूरण श्री शिव धारण in hindi, द-मन करति अघ प्रगटनि शक्ति in hindi, यात्-ज्ञान प्रविशन हरि भक्ति in hindi, जयति जयति जय जय जगधात्राी in hindi, जय जय महामंत्र गायत्री in hindi, तुहि श्रीराम राधिका सीता in hindi, तहि कृष्ण मुखर्सित गीता in hindi, आदि शक्ति तुहि भक्ति भवानी in hindi, जगत जननि फल वांछित दानी in hindi, तुहि श्रीदुर्गा दुर्ग नाशिनी in hindi,  उमा रमा बैकुण्ठ वासिनी in hindi, तुहि श्री भक्ति भैरव बानी in hindi, तुम्हीं मातु मंगला मृडानी in hindi, जेते मन्त्र जगत के माहीं in hindi, पर गायत्री सम कोई नाहीं in hindi, जाहि ब्रहम हत्यादिक लागै in hindi, गायत्रिहिं जप सो अघ भागे in hindi, धनिहो धनि त्रैलोक्य वन्दिनी in hindi, जय हो श्री ब्रहम नन्दिनी in hindi,   श्री गायत्री चालीसा, पाठ करै सानन्द सहज   तरै पातक हरै, हरै न पुनि भव फन्द।।  बास होई गृह लक्ष्मी, गाहि मन वांछित आस,  आस पूर्णलहि सकल विधि, विरच्यो सुन्दर दास।। गायत्री-चालीसा-in-hindi, संक्षमबनों इन हिन्दी में, संक्षम बनों इन हिन्दी में, sakshambano in hindi, saksham bano in hindi, क्यों सक्षमबनो इन हिन्दी में, क्यों सक्षमबनो अच्छा लगता है इन हिन्दी में?, कैसे सक्षमबनो इन हिन्दी में? 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जयति जयति अम्बे जयति, जय गायत्री देवी।
ब्रहमज्ञान धारणि हृदय, आदिशक्ति सुरसेवी।। 

जयति जयति गायत्री अम्बे, काटहु कष्ट न करहु विलम्बा।
तब ध्यावत विधि विष्णु महेशा, लहत अगम सुख शांति हमेशा।।
तू ही  ब्रहमज्ञान उर धारणी, जग तारणि मग मुक्त प्रसारणी।
जन तन संकट नासन हारी, हरणि पिशाच प्रेत दै तारी।।
मंगल मोद मरिण भय नासनि, घट-घट वासिनि बुद्धि प्रकासिनी।
पूरण ज्ञान रत्न की खानि, सकल सिद्धि दानी कल्याणी।।
शम्भु नेत्र नित निरत करैया, भव भय दारुण दर पहरइया।
सर्व काम क्रोधादि माया, ममता मत्सर मोह अदाया।।
अगम अनिष्ट हरण महाशक्ति, महज भरण भक्तन उर भक्ति।
ऊँ रूपकलि कलषु विभंजनि, भूर्भुवः स्वः स्वतः निरंजनि।।
शब्द तत्सवितु हंस सवारी, अरु वण्यं ब्रहम दुलारी।
भर्गो जन तनु क्लेश भगावत, प्रेम सहित देवस्य जु ध्यावत।।
धीमहि धीर धरत उर माहीं, धियो बुद्धि बल विमल सुहाही।
यो नः नित नवभक्ति प्रकाशन, प्रचोदयात् पुंज अघ नाशन।।
अक्षर-अक्षर महं गुण रूपा, अगम अपार सुचरित अनूपा।
जो गणमन्त्रन तुम्हरो जाना, शब्द अर्थ जो सुना न काना।।
सो नर दुलर्भ असतन पावत, पारस गहतन कनक बनावत।
जब लगि ब्रहम कृपा नहिं तेरी, रहहि तबहि लगि ज्ञान की देरी।
प्राकृति ब्रहम शक्ति बहु तेरी, महा व्यह्ती ना घनेरी।।
ऊँ तत्व रूप चर्तुदल माना, र्भुवः भुवन पालन शुचिकारी।
स्वः रक्षा सोलह दलधारी, त-विधि रूप जन पालन हारी।।
त्स-रस रूप ब्रहम सुखकरी, वि-कचित गंध शिशिर संयुक्ता।
तु रमित घट घट जीवन मुक्ता, व-नत शब्द सू विग्रह कारण।।
रे-स्व शरीर तत्नत धारणण्यम-सर्वत्र सुपालन कर्ता।
भ-भवन बीच मुद मंगल भर्ता, र्गो-संयुक्त गंध अविनासी।।
दे-तन बुद्धि वचन सुखरासी, व-सत ब्रहम युग बाहु स्वरूपा।
स्य-तनु लसत षट दल अनुरूपा, धी-जनु प्रकृति शब्द नित कारण।
म-नितब्रहम रूपणि नित धारण, हि-यहिसर्व परब्रहम प्रकासिन।।
धियो-बुद्धि बल विद्या वासिन, यो-सर्वत्रलसत थल जल निधि।
नः नित तेज पुंज जग बहु विधि, प्र-बलअनि अकाया नित कारण।।
चो-परिपूरण श्री शिव धारण, द-मन करति अघ प्रगटनि शक्ति।
यात्-ज्ञान प्रविशन हरि भक्ति, जयति जयति जय जय जगधात्राी।।
जय जय महामंत्र गायत्री, तुहि श्रीराम राधिका सीता।
तहि कृष्ण मुखर्सित गीता, आदि शक्ति तुहि भक्ति भवानी।।
जगत जननि फल वांछित दानी, तुहि श्रीदुर्गा दुर्ग नाशिनी।
उमा रमा बैकुण्ठ वासिनी, तुहि श्री भक्ति भैरव बानी।।
तुम्हीं मातु मंगला मृडानी, जेते मन्त्र जगत के माहीं।
पर गायत्री सम कोई नाहीं, जाहि ब्रहम हत्यादिक लागै।।
गायत्रिहिं जप सो अघ भागे, धनिहो धनि त्रैलोक्य वन्दिनी।
जय हो श्री ब्रहम नन्दिनी।।

।। दोहा ।।
श्री गायत्री चालीसा, पाठ करै सानन्द सहज 
तरै पातक हरै, हरै न पुनि भव फन्द।।
बास होई गृह लक्ष्मी, गाहि मन वांछित आस,
आस पूर्णलहि सकल विधि, विरच्यो सुन्दर दास।।


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