गायत्री चालीसा-Gayatri Chalisa

Share:



गायत्री चालीसा 

जयति जयति अम्बे जयति, जय गायत्री देवी।
ब्रहमज्ञान धारणि हृदय, आदिशक्ति सुरसेवी।। 

गायत्री चालीसा, Gayatri Chalisa in hindi, Sri Gayatri Chalisa in hindi, Shri Gayatri Chalisa in hindi, Gayatri Chalisa Aarti, Shri Gayatri Chalisa Vandana in hindi, Gayatri Chalisa Aarti Stotram in hindi,  Gayatri Mantra in hindi,  Gayatri Mata Ki Aarti,  Gayatri Mata Aarti Ki Shakti in hindi, solution by maa gayatri hin hindi, gayatri ki pooja hindi, gayatri mantra hindi, gayatri mantra se sudhi hindi, kya hai gayatri mantra hindi, kaise karein gayatri mantra pooja hindi, gayatri mantra se gayatri chalisa hindi, gayatri chalisa ki pooja hindi, gayatri chalisa ka paath hindi, gayatri pooja vidhi-vidhan hindi,  gayatri mantra se labh hindi, gayatri mantra aaj se hi hindi, phir se gayatri mantra hindi, dukh nivaran ke liye gayatri pooja hindi, gayatri mantra se dukh ka nivaran hota hai hindi, har dukh door hote hain hindi, jai gayatri chalisa hindi, sakshambano, sakshambano ka uddeshya, latest viral post of sakshambano website, sakshambano pdf hindi,


जयति जयति गायत्री अम्बे, काटहु कष्ट न करहु विलम्बा।
तब ध्यावत विधि विष्णु महेशा, लहत अगम सुख शांति हमेशा।।
तू ही  ब्रहमज्ञान उर धारणी, जग तारणि मग मुक्त प्रसारणी।
जन तन संकट नासन हारी, हरणि पिशाच प्रेत दै तारी।।
मंगल मोद मरिण भय नासनि, घट-घट वासिनि बुद्धि प्रकासिनी।
पूरण ज्ञान रत्न की खानि, सकल सिद्धि दानी कल्याणी।।
शम्भु नेत्र नित निरत करैया, भव भय दारुण दर पहरइया।
सर्व काम क्रोधादि माया, ममता मत्सर मोह अदाया।।
अगम अनिष्ट हरण महाशक्ति, महज भरण भक्तन उर भक्ति।
ऊँ रूपकलि कलषु विभंजनि, भूर्भुवः स्वः स्वतः निरंजनि।।
शब्द तत्सवितु हंस सवारी, अरु वण्यं ब्रहम दुलारी।
भर्गो जन तनु क्लेश भगावत, प्रेम सहित देवस्य जु ध्यावत।।
धीमहि धीर धरत उर माहीं, धियो बुद्धि बल विमल सुहाही।
यो नः नित नवभक्ति प्रकाशन, प्रचोदयात् पुंज अघ नाशन।।
अक्षर-अक्षर महं गुण रूपा, अगम अपार सुचरित अनूपा।
जो गणमन्त्रन तुम्हरो जाना, शब्द अर्थ जो सुना न काना।।
सो नर दुलर्भ असतन पावत, पारस गहतन कनक बनावत।
जब लगि ब्रहम कृपा नहिं तेरी, रहहि तबहि लगि ज्ञान की देरी।
प्राकृति ब्रहम शक्ति बहु तेरी, महा व्यह्ती ना घनेरी।।
ऊँ तत्व रूप चर्तुदल माना, र्भुवः भुवन पालन शुचिकारी।
स्वः रक्षा सोलह दलधारी, त-विधि रूप जन पालन हारी।।
त्स-रस रूप ब्रहम सुखकरी, वि-कचित गंध शिशिर संयुक्ता।
तु रमित घट घट जीवन मुक्ता, व-नत शब्द सू विग्रह कारण।।
रे-स्व शरीर तत्नत धारणण्यम-सर्वत्र सुपालन कर्ता।
भ-भवन बीच मुद मंगल भर्ता, र्गो-संयुक्त गंध अविनासी।।
दे-तन बुद्धि वचन सुखरासी, व-सत ब्रहम युग बाहु स्वरूपा।
स्य-तनु लसत षट दल अनुरूपा, धी-जनु प्रकृति शब्द नित कारण।
म-नितब्रहम रूपणि नित धारण, हि-यहिसर्व परब्रहम प्रकासिन।।
धियो-बुद्धि बल विद्या वासिन, यो-सर्वत्रलसत थल जल निधि।
नः नित तेज पुंज जग बहु विधि, प्र-बलअनि अकाया नित कारण।।
चो-परिपूरण श्री शिव धारण, द-मन करति अघ प्रगटनि शक्ति।
यात्-ज्ञान प्रविशन हरि भक्ति, जयति जयति जय जय जगधात्राी।।
जय जय महामंत्र गायत्री, तुहि श्रीराम राधिका सीता।
तहि कृष्ण मुखर्सित गीता, आदि शक्ति तुहि भक्ति भवानी।।
जगत जननि फल वांछित दानी, तुहि श्रीदुर्गा दुर्ग नाशिनी।
उमा रमा बैकुण्ठ वासिनी, तुहि श्री भक्ति भैरव बानी।।
तुम्हीं मातु मंगला मृडानी, जेते मन्त्र जगत के माहीं।
पर गायत्री सम कोई नाहीं, जाहि ब्रहम हत्यादिक लागै।।
गायत्रिहिं जप सो अघ भागे, धनिहो धनि त्रैलोक्य वन्दिनी।
जय हो श्री ब्रहम नन्दिनी।।

।। दोहा ।।
श्री गायत्री चालीसा, पाठ करै सानन्द सहज 
तरै पातक हरै, हरै न पुनि भव फन्द।।
बास होई गृह लक्ष्मी, गाहि मन वांछित आस,
आस पूर्णलहि सकल विधि, विरच्यो सुन्दर दास।।


समस्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए (To get rid of all problems)